डीएनए हिंदी: लद्दाख (Laddakh), अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और सिक्किम (Sikkim) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर टकराव की मुद्रा में बैठे चीन के दो नए कदमों ने नई चर्चा शुरू कर दी है. एकतरफ चीन (China) ने संकट में फंसे श्रीलंका (Srilanka) में अपने नियंत्रण वाले बंदरगाह पर जासूसी पोत खड़ा कर दिया है.
दूसरी तरफ, बुधवार को सामने आई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन ने पाकिस्तान (Pakistan) में अपने निवेश को सुरक्षित करने के नाम पर अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) तैनात करने का प्रस्ताव रखा है. माना जा रहा है कि यह चीन की तरफ से भारत की घेराबंदी करने के नए प्रयास हैं. कुछ एक्सपर्ट्स इसे भारत के लिए संकेत की तरह देख रहे हैं.
पहले जानते हैं कि आखिर क्या हुआ है पिछले दिनों
दरअसल सूत्रों के हवाले से कुछ खबरें सामने आई हैं, जिनमें कहा गया है कि चीनी राजदूत नोंग रोंग ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ लगातार बैठकें की हैं. इन बैठकों में चीन ने पाकिस्तान में अपने करीब 60 अरब डॉलर के निवेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी चीनी सेना को सौंपने की मांग की है.
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चीन ने सिल्क रूट परियोजना वन बेल्ट वन रोड के तहत तिब्बत से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक CPEC कॉरिडोर के तहत सड़क बनाई है. पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने के कारण भारत इस सड़क का विरोध करता रहा है. इस सड़क को लेकर पाकिस्तान में भी अशांति का माहौल है. बलूच विद्रोही कई बार चीनी नागरिकों और परियोजनाओं को निशाना बना चुके हैं.
चीन का कहना है कि उसका मकसद अपनी परियोजनाओं की सुरक्षा अपनी सेना से कराने का है, लेकिन चीन इससे पहले अपने लड़ाकू विमानों के लिए ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उपयोग करने की इजाजत देने की भी मांग कर चुका है. ग्वादर में हवाई अड्डे का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. इसके चलते चीन की नई मांग संदेह खड़ा कर रही है.
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श्रीलंका में कल ही पहुंचा है चीनी जासूसी जहाज
चीन का जासूसी युद्धपोत युआंग वांग 5 (Yuan Wang 5) श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट (Hambantota port) पर 16 अगस्त को ही पहुंचा है. पनडुब्बी, मिसाइल से लेकर सैटेलाइट तक को ट्रैक करने में सक्षम इस जहाज के श्रीलंका में खड़े होने पर भारत आपत्ति जता चुका है. भारत का मानना है कि चीन इसके जरिए अरब सागर में भारतीय ठिकानों की जासूसी करना और यहां का सैन्य नक्शा बनाने की फिराक में है. हालांकि चीन इस आरोप को नकार चुका है.
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भारत ने बुधवार को श्रीलंका को लेकर फिर जताई है चिंता
चीनी पोत के श्रीलंका पहुंचने को लेकर भारत ने बुधवार को फिर चिंता जताई है. भारत ने चीन के उन बयानों को खारिज किया, जिसमें जहाज के आगमन को श्रीलंका का निजी मामला बताया गया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने एक कार्यक्रम में कहा, हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है, क्या नई घटनाएं घट रही हैं. यदि वे हमारी सुरक्षा से जुड़ी हैं तो यह निश्चित तौर पर हमारी दिलचस्पी का मुद्दा है.
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क्या लगातार भारत को घेर रहा है चीन
- महासागरों पर कब्जा: चीन ने म्यांमार (Myanamar) के रास्ते बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में घुसपैठ बना ली है. इसके अलावा वह अरब सागर में फारस की खाड़ी और अदन की खाड़ी पर कब्जे के लिए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. चीन की योजना है कि वह मलक्का की खाड़ी में भारतीय नौसेना के कारण बने चोक पॉइंट को खत्म कर दिया जाए. हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में भी चीनी पनडुब्बियों की सक्रियता पहले से ही बहुत ज्यादा हो चुकी है.
- अफगानिस्तान : इस्लामाबाद (Islamabad) के टॉप सुरक्षा सूत्रों ने दावा किया है कि अफगानिस्तान (Afganistan) में भी चीन पहले ही युद्ध स्तर पर अपनी मिलिट्री आउटपोस्ट्स बनाने की तैयारी शुरू कर चुका है, जिसके लिए उसे तालिबान (Taliban) की मौन सहमति मिल चुकी है. इसके अलावा अफगानिस्तान में चीनी कंपनियां बड़े पैमाने पर अहम खनिज खनन में जुटी हुई हैं. चीन ने कई तरह की
- बांग्लादेश: चीन ने पिछले कुछ साल में बांग्लादेश (Bangladesh) को हथियार और सस्ता कर्ज दिया है. चीन से बांग्लादेश को चार प्रशिक्षण विमान मिले हैं और दो पनडुब्बियां व चार युद्धपोत भी मिल रहा है. इसके अलावा चीन ने बांग्लादेश के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में एक तेल पाइपलाइन में भी पूंजी लगा रहा है. साथ ही दक्षिण-पश्चिम बांग्लादेश में एक बंदरगाह को भी आधुनिक बनाने का प्रस्ताव दे चुका है.
- मालदीव: मालदीव में चीन पहले से ही सक्रिय है. वहां हालांकि भारत समर्थक सरकार काबिज है, लेकिन चीन समर्थक लोग 'इंडिया आउट' कैंपेन चला रहे हैं. इसके अलावा पिछली सरकार के जरिए चीन ने मालदीव के समुद्र में कृत्रिम द्वीप बना लिया है, जिसे वह अपने सैन्य बेस की तरह इस्तेमाल कर रहा है.
- म्यांमार: म्यांमार में सत्ता पर काबिज सैन्य सरकार के ऊपर चीन का हाथ पूरी तरह जगजाहिर है. इससे चीन की पहुंच भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लगभग समूचे इंटरनेशनल बॉर्डर तक है. म्यांमार के जरिए चीन भारतीय उत्तर-पूर्वी राज्यों में अलगाववादियों की मदद कर यहां अशांति बनाने की कोशिश करता रहता है.
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अब उठता है सवाल कि आखिर चीन की मंशा क्या है
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर चीन के श्रीलंका और पाकिस्तान में अचानक इन दो नए कदमों के पीछे क्या मंशा है? एक्सपर्टस का कहना है कि फिलहाल इसे यह नहीं माना जा सकता कि चीन भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है, क्योंकि वह खुद ताइवान में उलझा हुआ है और उसकी अपनी अर्थव्यवस्था भी बेहद धीमी है.
हालांकि एक्सपर्ट्स यह जरूर मान रहे हैं कि इस कदम को युद्ध की तैयारियों के तौर पर अवश्य देखा जा सकता है और भविष्य में दोनों देशों के बीच संघर्ष की स्थिति बनने पर ये तैयारी चीन के काम आएगी. इसके अलावा पाकिस्तान में चीन की सेना की मौजूदगी के बाद भारत को उसके खिलाफ कार्रवाई करने में भी परेशानी का सामना करना होगा.
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