Lok Sabha Elections 2024: क्या होता है Exit Poll, कितना होता है Opinion Poll से अलग, क्या सही साबित होता है सामने आया अनुमान?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Jun 01, 2024, 03:12 PM IST

Lok Sabha Elections 2024 Exit Poll: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान आज खत्म हो जाएगा. इसके बाद Exit Poll सामने आएंगे, जिससे 4 जून के संभावित रिजल्ट की एक तस्वीर सामने आएगी. आइए आपको बताते हैं कि एग्जिट पोल कैसे कराए जाते हैं.

Lok Sabha Elections 2024: पिछले दो महीने से पूरे देश में चल रहा लोकसभा चुनाव का शोर आज (शनिवार 1 जून) सातवें और आखिरी चरण के मतदान के साथ थम जाएगा. इसके बाद सभी की निगाह 4 जून पर टिक जाएगी, जब EVM खोली जाएंगी और वोटों की गिनती के साथ ही रिजल्ट घोषित किए जाएंगे. लेकिन इससे पहले सबको इंतजार है एग्जिट पोल (Lok Sabha Elections 2024 Exit Poll) का, जो आज आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के बाद जारी किया जाएगा. लोकतंत्र के पर्व यानी चुनाव चाहे लोकसभा के हों या राज्य विधानसभा के, सबसे ज्यादा चर्चा में ये एग्जिट पोल (Exit Poll) ही रहते हैं, जिनके जरिये पोल एजेंसियां यह अनुमान लगाने की कोशिश करती हैं कि रिजल्ट में किसका पलड़ा भारी रहने वाला है. एग्जिट पोल क्या होते हैं और इनमें लगाया गया अनुमान कितना सही होता है. चलिए इसे समझने की कोशिश करते हैं.

पहले जान लेते हैं एग्जिट पोल का मतलब

एग्जिट का मतलब होता है बाहर निकलना. ऐसे में एग्जिट पोल का मतलब होता है, रिजल्ट सामने लाने वाला चुनाव. एग्जिट पोल हमेशा मतदान के आखिरी चरण की प्रक्रिया पूरी होने पर और रिजल्ट सामने आने से पहले जारी किए जाते हैं. एग्जिट पोल पूरी तरह से मतदाताओं की राजनीतिक पसंद पर आधारित होता है. पोलिंग बूथ के बाहर मतदाताओं से बातचीत की जाती है. उनसे कुछ सवाल पूछे जाते हैं. ये सवाल आमतौर पर निम्न हैं- 

  • आपने किसे वोट दिया है.
  • आपको कौन सी पार्टी पसंद है.
  • किसे प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं.
  • किस मुद्दे पर वोट दिया है.

पोलिंग बूथ पर सर्वे करने वाले लोग ऐसे सवाल हर 10वें या 20वें मतदाता से पूछते हैं. इससे सामने आए डाटा का एनालिसिस करते हुए एक औसत रिजल्ट तैयार किया जाता है. यह रिजल्ट ही इस बात का अनुमान देता है कि किस पार्टी को कितनी सीट मिल सकती हैं और कौन से गुट की सरकार बनने जा रही है. एग्जिट पोल में यह खास ध्यान रखा जाता है कि इसमें सैंपल सर्वे बहुत बड़ा लिया जाता है यानी ज्यादा से ज्यादा लोगों की राय जानने की कोशिश की जाती है. 

ऑपिनियन पोल भी यही करता है तो दोनों में क्या फर्क

आप कहना चाहेंगे कि एग्जिट पोल जैसा ही काम ऑपिनियन पोल भी करता है तो आखिर दोनों में क्या अंतर है? पहले आपको बता दें कि ऑपिनियन पोल में भी मतदाताओं की राजनीतिक पसंद से जुड़े सवालों के आधार पर आंकलन किया जाता है. ऑपिनियन पोल हमेशा मतदान के पहले चरण के शुरू होने से पहले ही कराए जाते हैं. इनमें भी सर्वे के दौरान मतदाताओं से सवाल कर उनकी राय के हिसाब से सामने आए डेटा को कैल्कुलेट करते हुए तैयार किया जाता है. इसमें भी अधिकतर सवाल वही होते हैं, जो एग्जिट पोल में पूछे जाते हैं. 

अब बात करते हैं कि ऑपिनियन पोल और एग्जिट पोल में अंतर क्या है. दरअसल ऑपिनियन पोल हमेशा चुनाव से पहले कराए जाते हैं, जबकि एग्जिट पोल मतदान के बाद जारी होते हैं. ऑपिनियन पोल का असली लाभ राजनीतिक दलों को होता है, क्योंकि इससे उन्हें मतदाताओं का मूड भांपकर रणनीति तैयार करने में मदद मिलती है. इसके उलट एग्जिट पोल में राजनीतिक दल केवल अपनी जीत-हार की संभावना ही भांप सकते हैं. देश में एग्जिट पोल तैयार करने वाली कुछ प्रमुख पोल एजेंसियों में C-Voter, Axis My India, CNX, Chanakya आदि शामिल हैं, जिनके चुनावी सर्वे के बाद निकले एग्जिट पोल बेहद विश्वसनीय माने जाते हैं.

क्या नियम लागू होते हैं एग्जिट पोल पर

  • एग्जिट पोल पर जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 126ए के तहत दिए आदेश लागू होते हैं.
  • चुनाव आयोग भी समय-समय पर एग्जिट पोल को लेकर अपने दिशा-निर्देश जारी करता है.
  • चुनाव आयोग के निर्देशों का मकसद चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित नहीं होने देना होता है.
  • एग्जिट पोल आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के आधा घंटे बाद ही प्रसारित हो सकते हैं.
  • किसी भी पोल एजेंसी को अपना एग्जिट पोल जारी करने से पहले चुनाव आयोग से इजाजत लेनी पड़ती है.

भारत में कब हुआ था पहला एग्जिट पोल्स

भारत में पहला एग्जिट पोल 1957 में दूसरे लोकसभा चुनाव में हुआ था.

यह एग्जिट पोल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ऑपिनियन ने कराया था.

दुनिया का सबसे पहला एग्जिट पोल अमेरिका में 1936 में कराया गया था.

जॉर्ज गैलप और क्लॉड रॉबिन्सन ने न्यूयॉर्क शहर में यह चुनावी सर्वे किया था.

इस सर्वे में मतदाताओं की राय के आधार पर फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट की जीत की संभावना जताई गई.

रिजल्ट सामने आने के बाद फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ही यूएस राष्ट्रपति पद का चुनाव जीते थे.

ब्रिटेन में 1937 में और फ्रांस में 1938 में पहली बार एग्जिट पोल कराया गया था.

इन देशों के अलावा भी दुनिया के कई देशों में आज की तारीख में एग्जिट पोल कराए जाते हैं.

भारत में कितना सही रहता है एग्जिट पोल्स का अनुमान

एग्जिट पोल्स का अनुमान कितना सही साबित होता है, इसका आंकलन करने के लिए हम पिछले 4 लोकसभा चुनावों के एग्जिट पोल्स का विश्लेषण कर सकते हैं.

  • लोकसभा चुनाव 2019 में ज्यादातर एग्जिट पोल में BJP नेतृत्व वाले NDA को 300+ सीट की संभावना जताई गई थी, जो पूरी तरह सही निकली थीं.
  • 2019 में भाजपा के 303 और NDA को 350 सीटें मिली थीं. एग्जिट पोल में कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA को 100 सीटों का अनुमान था, लेकिन कांग्रेस को 52 सीट ही मिली थीं.
  • लोकसभा चुनाव 2014 में NDA को अधिकतर सर्वे में 290 सीट के आसपास मिलने की संभावना जताई गई थी, जबकि UPA को 150+ सीटें मिलने का अनुमान था.
  • 2014 में रिजल्ट सामने आने पर NDA के खाते में 336 सीट आई थीं, जबकि UPA का खाता 66 सीट पर ही अटककर रह गया था.
  • लोकसभा चुनाव 2009 में NDA को 180 के आसपास और UPA को 200 के आसपास सीटें मिलने की संभावना जताई गई थी.
  • 2009 में रिजल्ट सामने आने पर NDA को 159 सीट मिली थीं, जबकि UPA ने 262 सीट हासिल की थीं.
  • लोकसभा चुनाव 2004 में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रिजल्ट आया था. इसमें NDA को 230 से 275 सीट और UPA को 180 से 190 सीट मिलने की संभावना दी गई थी.
  • 2004 का जब रिजल्ट सामने आया तो NDA महज 181 सीट पर ही सिमट गया था, जबकि UPA को 208 सीट हासिल हुई थीं.

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