Lok Sabha Elections 2024: भाजपा की 2 सूची में 267 उम्मीदवार, मुस्लिम बस एक, क्या ध्रुवीकरण के लिए अपनाई ये रणनीति?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Mar 13, 2024, 11:32 PM IST

Lok Sabha Elections 2024: भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की दो लिस्ट घोषित कर दी हैं. पहली लिस्ट में 195 नाम थे, जबकि दूसरी लिस्ट में 72 नाम हैं. इन 267 नामों में महज एक मुस्लिम उम्मीदवार चुना गया है. इसे BJP की खास रणनीति माना जा रहा है.

Lok Sabha Elections 2024: भाजपा ने लोकसभ चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) के लिए अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में 72 नाम घोषित किए हैं. 10 राज्यों व 1 केंद्र शासित प्रदेश की सीटों पर ये नाम घोषित किए गए हैं. भाजपा ने पहली लिस्ट में भी 195 नाम घोषित किए थे. अब दूसरी लिस्ट के साथ ही भाजपा 267 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जिनमें महज एक ही मुस्लिम को टिकट दिया गया है. यह टिकट भी पहली लिस्ट (BJP Candidates List) में घोषित किया गया था, जबकि दूसरी लिस्ट (BJP Lok Sabha Candidates Second List) में अब एक भी मुस्लिम नाम शामिल नहीं है. राजनीतिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके जरिये भाजपा चुनाव में ध्रुवीकरण की अपनी पुरानी रणनीति आजमा रही है, जिसके जरिये हिंदू और मुस्लिम वोट को एक-दूसरे के खिलाफ संगठित कर वह अपनी जीत सुनिश्चित करती रही है. 


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क्या है भाजपा की रणनीति

दरअसल भाजपा चुनावों में वोटों का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश करती है. इसमें भाजपा की कोशिश हिंदू वोटर्स को जात-बिरादरी के दायरे से ऊपर उठकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एकजुट वोटबैंक के तौर पर खड़ा करने की रहती है. यह रणनीति भाजपा हर लेवल के चुनाव में अपनाती है, जिसका लाभ भी उसे मिलता रहा है. इसे 80-20 की राजनीति कहा जाता है. 


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कैसे मिलता भाजपा को इसका लाभ

भाजपा मुस्लिमों के बजाय अपने अधिकतर उम्मीदवार हिंदू चुनती है. यहां तक कि जिन सीटों पर मुस्लिम मतदाता 60 फीसदी से भी ज्यादा है, वहां भी वह हिंदुओं को ही टिकट देने की कोशिश करती है और मुस्लिमों को नजरअंदाज करती है. इससे वह हिंदू हितैषी दिखती है, जबकि इसकी काट के लिए विपक्षी दल मुस्लिम उम्मीदवार घोषित करते हैं. इससे भाजपा के हिंदू मतदाता के सामने एक-एक सीट पर 2 से 3 मुस्लिम उम्मीदवार उतर जाते हैं और अल्पसंख्यक वोट उनके बीच बंट जाता है. मुस्लिम कैंडिडेट्स के सामने इकलौता हिंदू कैंडिडेट होने के कारण हिंदू वोटर्स भी उसके पक्ष में एकजुट हो जाते हैं. इस ध्रुवीकरण का सीधा लाभ हिंदू कैंडिडेट को मिलता है और वह जीत जाता है. इससे भाजपा को आसानी से सीट मिल जाती है.


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इस बार केरल में दिया है बस एक मुस्लिम को टिकट

भाजपा ने लोकसभा उम्मीदवारों की दोनों सूची में मुस्लिम समुदाय को इकलौता टिकट पहली लिस्ट में दिया था. पहली लिस्ट में भाजपा के 195 उम्मीदवारों के बीच भाजपा का इकलौता मुस्लिम कैंडिडेट केरल में घोषित किया गया था. भाजपा ने केरल की मलप्पुरम सीट पर कालीकट यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. अब्दुल सलाम को उतारा है. डॉ. सलाम केरल में मशहूर शिक्षाविद् हैं. उन्हें टिकट देने का लाभ भाजपा को अन्य सीटों पर भी मिल सकता है.


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यूपी-बिहार के मुस्लिम नेताओं में बेचैनी

भाजपा की पहली लिस्ट के बाद अब दूसरी लिस्ट में भी मुस्लिम नेताओं को टिकट नहीं देने की रणनीति सामने आई है. इससे उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा से जुड़े मुस्लिम नेताओं में बेचैनी के हालात बन गए हैं. अभी इन दोनों राज्यों में बड़ी संख्या में टिकट घोषित होने से बचे हुए हैं. पहली दो लिस्ट में मुस्लिम चेहरे नहीं होने से इन दोनों राज्यों के मुस्लिम नेताओं को अपने लिए कोई भी जगह नहीं बनने का खतरा पैदा हो गया है. हालांकि इन दोनों ही राज्यों में भाजपा के पास कई अहम मुस्लिम चेहरे मौजूद हैं. 

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