Lok Sabha Elections 2024: 67 साल में चार गुना बढ़े चुनाव लड़ने वाले, क्या इस बार टूटेगा 1996 का रिकॉर्ड?

Written By कुलदीप पंवार | Updated: Apr 02, 2024, 05:10 PM IST

Lok Sabha Elections 2024: साल 1952 में हुए आम चुनाव में 1,874 उम्मीदवारों ने शिरकत की थी, जबकि 2019 में ये संख्या बढ़कर 8,039 हो चुकी थी.

Lok Sabha Elections 2024: देश में चुनावी माहौल चरम पर है. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Polls 2024) के पहले चरण के लिए नामांकन शुरू हो चुके हैं. सभी पार्टियां धीरे-धीरे अपने उम्मीदवार घोषित कर रही हैं. कई जगह अपनी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर नाराज हुए नेता निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. क्या आप जानते हैं कि लोकतंत्र के इस महापर्व में पहले चुनाव से आखिरी बार हुए लोकसभा चुनाव तक हर बार कितने उम्मीदवार उतरे हैं? यदि नहीं जानते तो आपको बता दें कि साल 1952 में हुए लोकसभा चुनावों से 2019 में हुआ आखिरी चुनाव तक 543 सीटों पर लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या चार गुना हो चुकी है. लेकिन किसी एक चुनाव में 10,000 से ज्यादा उम्मीदवारों के दावेदारी दिखाने का वाकया इन 67 साल के दौरान एक बार ही हुआ है. क्या इस बार चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या का यह 28 साल पुराना रिकॉर्ड टूट पाएगा?


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1952 से 2019 तक कितने बढ़े उम्मीदवार?

साल 1952 में हुए आम चुनाव के दौरान देश में 489 सीटों पर 1,874 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जबकि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 542 सीटों पर उतरने वाले कैंडीडेट्स की संख्या 8,039 रही थी. इस हिसाब से देखा जाए तो चुनाव लड़ने वालों की संख्या चार गुणा बढ़ चुकी है. एक एनजीओ पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के एनालिसिस के मुताबिक, इन 67 साल के दौरान हर लोकसभा सीट पर लड़ने वाले उम्मीदवारों की औसत संख्या भी 3.83 से बढ़कर 14.8 हो चुकी है. यह एनालिसिस भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के ऑफिशियल डाटा पर आधारित है, जिसमें बहुत रोचक जानकारी सामने आई है.

कैंडीडेट/सीट का एवरेज दोगुना होने में लगे 28 साल

1952 में पहले लोकसभा चुनाव के दौरान 3.83 कैंडीडेट/सीट के हिसाब से 1,874 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था. इसके बाद 1971 में यह एवरेज 5.37 कैंडीडेट/सीट की बढ़ोतरी के साथ कुल 2,784 उम्मीदवारों पर पहुंच गया. साल 1977 में आपातकाल के बाद पहली बार चुनाव हुए. इन चुनावों से बहुत सारे लोग दूर रहे, जिसके चलते उम्मीदवार औसत घटकर 4.5 हो गया. इन चुनाव में कुल उम्मीदवारों की संख्या 2,439 रही. साल 1980 से लोगों में चुनाव लड़ने की ललक बढ़ती दिखी. इस साल कैंडीडेट/सीट का एवरेज बढ़कर दोगुना हो गया. 1980 में 8.54 कैंडीडेट/सीट के एवरेज के साथ कुल उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 4,629 हो गई.


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साल 1996 में बने चुनाव लड़ने के रिकॉर्ड आज तक नहीं टूटे

देश में साल 1984-85 में हुए चुनाव में भी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती दिखाई दी. इस चुनाव में 5,492 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया, जिससे कैंडीडेट/सीट बढ़कर 10.13 हो गया. 1989 के आम चुनाव में 6,160 उम्मीदवार उतरे और 11.34 कैंडीडेट/सीट का एवरेज रहा. 1991-92 में 10वीं लोकसभा के लिए 543 सीट पर 15.96 के कैंडीडेट/सीट एवरेज से कुल 8,668 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया. इसके बाद आया साल 1996, जिसमें चुनाव लड़ने के ऐसे रिकॉर्ड बने, जो आज तक नहीं टूटे हैं. साल 1996 में 11वें आम चुनाव के लिए रिकॉर्डतोड़ आवेदन आए. ये इकलौते चुनाव रहे, जब उम्मीदवारों की संख्या 10,000 के पार पहुंची है. 1996 में 13,952 लोगों ने चुनाव लड़ा, जिससे कैंडीडेट/सीट का एवरेज बढ़कर सीधे 25.69 हो गया.

जमानत राशि बढ़ते ही घट गए उम्मीदवार

साल 1998 में चुनाव आयोग ने महज गंभीर उम्मीदवारों को ही चुनावी समर में मौका देने के लिए नियमों में बदलाव किया. इस बदलाव के तहत चुनाव लड़ने के लिए जमा होने वाली जमानत धनराशि 500 रुपयेसे बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई. इसके चलते महज पॉपुलैरिटी के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार लोकतंत्र के महापर्व की होड़ से बाहर हो गए. साल 1998 के लोकसभा चुनावों में कैंडीडेट/सीट का एवरेज पिछले चुनाव के 25.69 के मुकाबले घटकर सीधे 8.75 पर आ गया, जबकि चुनाव लड़ने वालों की संख्या भी 5,000 से नीचे रह गई. इस साल 4,750 लोगों ने ही चुनाव लड़ने में दिलचस्पी दिखाई. इसके बाद 1999 में भी 8.56 कैंडीडेट/सीट के एवरेज से 4,648 कैंडीडेट्स ने ही मुकाबले में हिस्सा लिया.

2004 से फिर बढ़ रही हर साल संख्या

साल 2004 में चुनाव लड़ने वालों की संख्या फिर से बढ़नी शुरू हो गई. इस साल 5,435 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिससे कैंडीडेट/सीट के एवरेज फिर से बढ़कर 10 के पार पहुंच गया. साल 2009 में उम्मीदवारों की संख्या ने 8,000 का आंकड़ा छुआ. इस बार 14.86 कैंडीडेट/सीट के एवरेज के साथ 8,070 उम्मीदवारों ने चुनाव में हिस्सा लिया. साल 2014 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या 8,251 रही थी, जबकि 2019 में यह संख्या मामूली कमी के साथ 8,039 रही.

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