Lok Sabha Elections 2024: जेडीयू-रालोद फिर NDA में, इनकी भी हो सकती है 'घर वापसी', BJP क्यों जोड़ रही बिखरा कुनबा

कुलदीप पंवार | Updated:Feb 10, 2024, 08:50 AM IST

BJP Mission Lok Sabha 2024: भाजपा ने इस बार 400 से ज्यादा लोकसभा सीट जीतने का प्लान बनाया है. यह प्लान क्षेत्रीय दलों को साथ जोड़े बिना पूरा नहीं हो सकता. इसके चलते बिछड़े साथी वापस बुलाए जा रहे हैं.

BJP in Lok Sabha Elections 2024: बिहार में करीब 10 दिन पहले नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने जब दोबारा भाजपा नेतृत्व वाले NDA गठबंधन का हाथ थामा था, उसी दिन चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि भगवा दल के कई और बिछड़े साथी फिर से उसके घर लौट सकते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न (Chaudhary Charan Singh Bharat Ratna) दिए जाने की घोषणा के बाद 2009 लोकसभा चुनाव में भाजपा की साथी रही राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी भी NDA में वापसी पर मुहर लगा चुके हैं. इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण सीधे तौर पर बदलने जा रहे हैं. साथ ही यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि अब NDA में 'घर वापसी' की बारी किसकी है? दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस बार भाजपा के लिए 400 से ज्यादा सीट (BJP Mission 400) का टारगेट तय किया है. पीएम मोदी भी जानते हैं कि यह टारगेट क्षेत्रीय दलों को साथ जोड़े बिना पूरा नहीं हो सकता है. ऐसे में उन सभी दलों को खंगाला जा रहा है, जो कभी भगवा दल के साथी थे और अपने-अपने इलाके में भाजपा की सीट बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं. ऐसे में लोकसभा चुनावों के ऐलान से पहले ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का परिवार और ज्यादा बड़ा होने की पूरी उम्मीद की जा रही है.

पीएम मोदी के कार्यकाल में छोड़ा था कई ने साथ

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA ने बहुमत के साथ कांग्रेस नेतृत्व वाले UPA को सत्ता से बाहर फेंका था. उस समय NDA का परिवार बहुत बड़ा था, लेकिन मोदी के पीएम बनने के बाद यह परिवार धीरे-धीरे बिखरता चला गया था. साल 2014 से 2019 के बीच 16 दलों ने NDA का साथ छोड़ा था, जिनमें आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (TDP), तमिलनाडु में MDMK, हरियाणा जनहित कांग्रेस और बिहार में रालोसपा आदि कुछ अहम नाम थे. हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की खिलाफत करते हुए NDA छोड़ने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की जेडीयू ने 2019 लोकसभा चुनाव से पहले दोबारा वापसी कर ली थी, लेकिन बाकी दल बाहर ही रहे थे. लोकसभा 2019 के बाद भी कई दलों ने भाजपा का कुनबा छोड़ा था, जिनमें नीतीश कुमार भी शामिल थे. इनके अलावा उद्धव ठाकरे की शिवसेना और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का साथ छोड़ना भाजपा के लिए बड़ा झटका रहा था.

भाजपा के प्रदर्शन पर क्या इसका असर हुआ था?

NDA गठबंधन में आवाजाही का असर भाजपा पर ज्यादा नहीं दिखाई दिया है. साल 2014 में 29 पार्टियों वाले NDA ने 336 सीट जीती थीं. भाजपा ने 282 सीट जीती थी, जबकि उसके साथी दलों के हिस्से में 54 सीट आई थीं. लोकसभा 2019 में भाजपा की सीटों का आंकड़ा बढ़कर 303 हो गया था, जबकि NDA की कुल सीट 354 पर पहुंच गई थी.

प्रदर्शन बढ़िया रहा, तब भी क्यों जोड़े जा रहे छोटे दल?

भाजपा के नेतृत्व में NDA ने भले ही 2014 के प्रदर्शन को 2019 में और ज्यादा सुधार दिया हो, लेकिन फिर भी लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में भाजपा के नए टारगेट पुराने साथियों के बिना पूरे नहीं हो सकते हैं. दरअसल भाजपा ने मिशन 400 (BJP Mission 400) तय किया है, जिसके लिए उसे साल 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम पर मंथन करना पड़ रहा है.

2019 में भाजपा ने रिकॉर्ड सीट जीतीं, लेकिन उत्तर प्रदेश में उसके गठबंधन की सीट 73 से घटकर 64 रह गईं. यह तब हुआ, जबकि प्रदेश में पार्टी का वोट परसंटेज बढ़ा था. इसी तरह पंजाब में भाजपा को अकाली दल से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने पर भारी नुकसान हुआ है. भाजपा को NDA का आंकड़ा 400 से ज्यादा सीट के पार ले जाना है तो उसके लिए दक्षिण भारत में हर हाल में ज्यादा सीट जीतनी होंगी. साल 2019 में दक्षिण भारत के 5 राज्यों की 132 सीट में भाजपा 29 ही जीत सकी थी. इन 29 में से भी 25 सीट अकेले कर्नाटक में आई थी, जबकि केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई थी. यदि इन राज्यों में भाजपा क्षेत्रीय दलों से गठबंधन नहीं करती है तो उसके लिए अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना नामुमकिन हो जाएगा.

किन साथियों को वापस बुलाने की चल रही कोशिश

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