आधी आबादी का पूरा कब्जा, Lok Sabha chunav में महिला वोटर्स ताकत बन चुकी हैं

Written By पूजा मेहरोत्रा | Updated: Apr 06, 2024, 11:02 AM IST

Lok Sabha Elections 2024 (File Photo)

महिलाओं की तरफ पॉलिटिकल पार्टियों का बढ़ता आकर्षण बताता है कि आधी आबादी का समय आ गया है. देश की इकोनॉमी में महिलाओं की हिस्सेदारी को हमेशा कमतर आंका गया है. हाउस वाइव्स जिन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता, उनका देश की कुल जीडीपी में योगदान 7.5 फीसदी के बराबर है.

Lok Sabha Elections 2024 के लिए सात चरणों में मतदान होने हैं. पहला मतदान 19 अप्रैल को होगा और जब बात मतदान की हो तो मतदाता ही उसमें अहम हो जाते हैं चाहें वो पुरुष हों या फिर महिला या फिर बात करें युवा और फर्स्ट टाइम वोटर्स की. आजादी के बाद से 2014 तक हुए मतदान एक तरफ हैं और 2019 के बाद से होनेवाले मतदान बिलकुल अलग होने जा रहे हैं.

देश की आधी आबादी की भूमिका 2019 के चुनाव के बाद बदली हुई नजर आ रही है. और अब Lok Sabha Elections 2024 का हो या फिर 2029 का महिला वोटर्स को नजरअंदाज करना पॉलिटिकल पार्टियों को भारी पड़ सकता है. हालांकि, राजनीतिक दल कल्याणकारी योजनाओं, ऑफर्स और रियायतों के साथ महिलाओं के वोट हासिल करने के होड़ में लगे हैं लेकिन महिला सशक्तिकरण अभी भी मायावी और दूर की कौड़ी नजर आती है. 

अगर पिछले एक दशक की बात करें तो  महिला वोटर्स (women voters) की संख्या लगातार बढ़ रही है. यही नहीं देश के 11 राज्यों में महिला वोटरों ने सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं. इसमें पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्र प्रदेश और असम जैसे राज्यों में 80 फीसदी महिला वोटर्स रही हैं. जबकि आठ छोटे राज्यों में जिसमें अंडमान निकोबार, दादरा और नगर हवेली, लक्षद्वीप, मणिपुर, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम और त्रिपुरा की महिलाओं ने जमकर अपने अधिकार का उपयोग किया है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश, बिहार में 60 फीसदी महिला वोटर्स ही अपने वोट का उपयोग कर पाईं हैं. पिछले दिनों चुनाव की तारीख की घोषणा करते हुए चुनाव आयोग ने बताया था कि इस चुनाव में महिला वोटर्स की हिस्सेदारी पिछले दो दशकों में सबसे अधिक 48.6 यानी लगभग 49 फीसदी के करीब होगी. 


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Lok Sabha Elections 2024 में 49 % महिला वोटर

पिछले दिनों SBI की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि 2024 के चुनाव में 11 राज्यों में पुरुष वोटर्स की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक रहेगी. इसमें केरल, गोवा, मिजोरम, मणिपुर, बिहार के नाम सामने आए हैं. केरल में यह आंकड़ा 51 फीसदी है. माना तो ये भी जा रहा है कि वर्ष 2049 तक तो देश के कुल वोटरों में महिलाओं की संख्या 55 फीसदी हो जाएगी और उस दौरान महज 45 फीसदी पुरुष मतदाता होंगे. 

रिपोर्ट ने आंकड़ों के जरिए यह भी बताया है कि पिछले साल हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पूर्व पीएम शिवराज सिंह चौहान ने जब लाड़ली बहना योजना की घोषणा की तो यह आकलन किया गया है कि भाजपा को 30-35 विधान सभा सीटों पर जीत मिलने का बहुत बड़ा कारण महिला वोटर्स ही हैं.

राज्यवार आंकड़ों पर नजर डालें तो आठ छोटे राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों सहित चार बड़े राज्यों में महिला वोटर्स की संख्या 80 फीसदी तक दर्ज की गई है. वहीं उत्तर प्रदेश (59.56%) और बिहार 59.58%) जैसे बड़े राज्यों में यह थोड़ी कम तो है लेकिन यहां भी कुछ जिलों में महिलाओं ने बाजी मारी है. 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने 2019 में एक रिपोर्ट में बताया था कि पश्चिम बंगाल (81.79%), केरल(78.78%), आंध्र प्रदेश (79.56%) और असम (81.32%) जैसे राज्यों में 80 फीसदी महिला वोटर्स रही हैं. जबकि आठ छोटे राज्यों में जिसमें अंडमान निकोबार (80.69%), दादरा और नगर हवेली (80.51%), लक्षद्वीप (88.89%), मणिपुर(84.14%), नागालैंड (82.64%), पुडुचेरी(81.52%), सिक्किम (78.77%) और त्रिपुरा 81.96%) की महिलाओं ने जमकर अपने अधिकार का उपयोग किया है. हालांकि उत्तर प्रदेश, बिहार में 60 फीसदी महिला वोटर्स ही अपने वोट का उपयोग कर पाईं हैं. 


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 बिहार से एमपी तक और केंद्र की योजनाओं में महिलाओं का बोलबाला

महिलाओं की तरफ पॉलिटिकल पार्टियों का बढ़ता आकर्षण यह बताता है कि आने वाला समय आधी आबादी का है. हालांकि देश की इकोनॉमी में महिलाओं की हिस्सेदारी और योगदान को हमेशा कमतर आंका गया है. रिपोर्ट में इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि वो महिलाएं जो हाउस वाइव्स हैं जिन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता, उनका देश के कुल जीडीपी में योगदान 7.5 फीसदी के बराबर है.

बदलते समय में महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर उनकी सुविधाओं तक पर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक का ध्यान गया है और महिला सशक्तिकरण पर भी इनका काफी जोर है. महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाओं से लेकर 18 साल की लड़कियों से लेकर बुजुर्ग महिला पेंशन तक देने में सभी राज्य सरकारों ने खजाना खोल दिया है.

वोटिंग पैर्टन और महिलाएं

राजनीतिक पार्टियों द्वारा महिलाओं को आकर्षित करने में लगी ये होड़ दिखाती है कि वोटिंग पैटर्न किस तरह से बदल रहा है. कल तक हाशिये पर रखी गईं महिलाएं वोट देने में पुरुषों से आगे निकल गई हैं. सदन में 33 फीसदी आरक्षण की बात हो या फिर सरकार की योजनाओं में महिलाओं की बढ़ती संख्या. वर्ष 2014 के चुनाव में कुल वोटरों की संख्या 55 करोड़ थी जिसमें महिला वोटरों 26 करोड़ थी. वर्ष 2019 में कुल वोटर हो गये 62 करोड़ जिसमें महिलाएं थी 30 करोड़ रही थी. 2024 में महिला वोटर्स 49 फीसदी होंगी 2029 में 50 फीसदी और 2047 तक यह आंकड़ा पुरुषों से कहीं आगे निकल जाएगा और यह 55 फीसदी तक हो जाएंगी.

हालांकि इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता की एमपी, ओडिशा, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है और यहां महिला वोटर्स 65 से 74 फीसदी तक आगे आईं हैं. चुनावी विशेषज्ञों का मानना है कि 'महिला वोटर्स के आगे आने का बहुत बड़ा कारण साक्षरता और एक्सपोजर है. बता दें कि पीएम शौचालय योजना, उज्ज्वला गैस योजना, राशन और हर घर नल जैसी योजनाओं ने गांव की महिलाओं को जागरूक किया है और मतदाता सूची का दुरुस्त होना भी इसका बड़ा कारण हैं.' 

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