Lok Sabha Elections: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरे देश में एकसाथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का सपना साल 2029 में पूरा हो सकता है. केंद्रीय सूत्रों के मुताबिक, मई-जून 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही 'एक देश एक चुनाव (One Nation One Election)' प्लान लागू किया जा सकता है. इसके लिए तेजी से तैयारी चल रही है और लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में जीत मिलते ही भाजपा इसके लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है. PTI की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्रीय विधि आयोग (Law Commission of India) की तरफ से सरकार को सौंपा जाएगा, जिसमें संविधान में केंद्र और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए नया अध्याय या खंड जोड़ने की सिफारिश की जाएगी. इस प्रस्ताव में केंद्र-राज्यों के साथ ही स्थानीय निकायों यानी नगर निगम, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी इनके साथ ही कराने की सिफारिश भी शामिल होगी.
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अगले पांच साल में की जाएगी ये कवायद
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि जस्टिस (रिटायर्ड) ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग की सिफारिशों में अगले 5 साल का भी जिक्र होगा. इन 5 साल के दौरान देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल एकसमान करने के लिए तीन चरण में कदम उठाने की सिफारिश की जाएगी. इनमें संविधान में उन प्रावधानों को खत्म करने की भी सिफारिश शामिल है, जो विधानसभाओं के कार्यकाल से संबंधित हैं. इससे विधानसभाओं के कार्यकाल को सीमित किया जाएगा और उनके चुनाव 2029 में 19वीं लोकसभा के चुनाव के साथ ही संपन्न कराने का रास्ता साफ हो जाएगा.
एक चुनाव-एक मतदाता सूची भी होगी लागू
सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार की योजना एक चुनाव के साथ-साथ एक ही मतदाता सूची लागू करने की भी है. अभी लोकसभा, विधानसभा और पंचायतों व नगर पालिकाओं के लिए अलग-अलग मतदाता सूची बनाई जाती है, जिसमें बेहद विसंगति होती हैं. सूत्रों के मुताबिक, इसी कारण संविधान में एक नया अध्याय जोड़ने की तैयारी है, जिसमें 'एक साथ चुनाव', 'एक साथ चुनावों की स्थिरता' और लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, पंचायतों और नगरपालिकाओं के लिए 'समान मतदाता सूची' जैसे मुद्दे शामिल रहेंगे. यह कवायद त्रिस्तरीय चुनाव एक ही बार में एकसाथ कराने के लिए की जा रही है.
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ऐसे होंगे विधानसभाओं के कार्यकाल से जुड़े तीन चरण
अगले पांच साल में तीन चरणों में विधानसभाओं का कार्यकाल आगे-पीछे कर एकसाथ किया जाएगा. पहले चरण में जिन विधानसभाओं का कार्यकाल 3 से 6 महीने तक घटाना है, उनके लिए होगा. इस दौरान यदि किसी राज्य में अविश्वास मत से सरकार गिरती है या त्रिशंकु विधानसभा होती है तो दोबारा चुनाव के बजाय आयोग विभिन्न दलों की मिली-जुली 'एकता सरकार' के गठन की सिफारिश करेगा. ऐसी सरकार नहीं बनने पर आयोग की सिफारिश है कि बाकी बचे कार्यकाल के लिए ही नए चुनाव कराए जाएं.
2018 में ड्राफ्ट रिपोर्ट दे चुका है आयोग
विधि आयोग एक देश-एक चुनाव से जुड़ी एक ड्राफ्ट रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. इसके बाद ही यह विचार तेजी से सामने आया था कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराए जाएं. पिछले साल सितंबर में मोदी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हाईलेवल कमेटी बनाई थी. यह कमेटी वे सिफारिशें देंगी, जिनसे संविधान और मौजूदा कानूनी ढांचे में एकसाथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.
देश में कब-कब हुए हैं एकसाथ चुनाव
- 1950 में संविधान लागू हुआ था और 1951 में देश में पहली बार चुनाव हुए थे.
- 1951 के चुनाव में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ ही हुए थे.
- 1952, 1957, 1962 और 1967 में भी केंद्र और राज्यों की सरकारें एक साथ चुनी गई थीं.
- 1967 के बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ नहीं हो पाए हैं.
- 1983 में चुनाव आयोग ने इन चुनावों को एकसाथ कराने का सुझाव अपनी सालाना रिपोर्ट में दिया था.
- 1999 में केंद्रीय विधि आयोग की रिपोर्ट में भी एकसाथ चुनाव का जिक्र किया गया था.
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