डीएनए हिंदी: Maharashtra drama- महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे के बीच अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) को तोड़ने में सही मायने में सफल हो गए हैं या नहीं. इससे पहले ही उनका भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के साथ मिलकर राज्य सरकार में शामिल होना विवादों में फंस गया है. शिंदे गुट के विधायकों ने अजित पवार गुट के मंत्रियों को मिले पोर्टफोलियो पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उधर, शरद पवार और अजित पवार के लिए पार्टी पर पकड़ दिखान के लिहाज से भी बुधवार यानी 5 जुलाई का दिन बेहद खास है. दोनों ही गुटों ने विधायक दल की अलग-अलग बैठक बुलाई है और सभी को पेश होने का व्हिप जारी किया है.
आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं कि इस विवाद में किस-किस मुद्दे पर आज नजर रहेंगी.
1. पोर्टफोलियो विवाद में क्या कदम उठाएगा शिंदे गुट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मंत्रियों ने अजित पवार के साथ आए NCP विधायकों को मंत्रिमंडल में मिले पोर्टफोलियो पर सवाल उठाए हैं. India Today ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि इन मंत्रियों ने खासतौर पर अजित पवार गुट को वित्त मंत्रालय पोर्टफोलियो देने पर ऐतराज जताया है और मुख्यमंत्री शिंदे से इस मांग को खारिज करने के लिए कहा है. सूत्रों का कहना है कि अजित पवार ने अपने विधायकों के लिए वित्त मंत्रालय, योजना, पॉवर, सिंचाई, कोऑपरेशन और मार्केटिंग पोर्टफोलियो शिंदे कैबिनेट में मांगे हैं. उनका कहना है कि NCP के पास उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार के समय भी यही पोर्टफोलियो थे. इसे लेकर शिवसेना (शिंदे) के नेताओं को ऐतराज है. खासतौर पर वित्त मंत्रालय वे अजित पवार गुट को देने के पक्ष में नहीं है. यह मुद्दा 'ट्रिपल इंजन सरकार' पर आगे बढ़ने से पहले ही ब्रेक लगा सकता है.
2. शरद और अजित दिखाएंगे अपनी-अपनी ताकत
शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) ने मुंबई में अपने-अपने गुट की तरफ से पार्टी विधायकों की आज बैठक बुला रखी है. इस बैठक में दोनों ही गुटों ने एनसीपी के सभी विधायकों को पेश होने का व्हिप जारी किया है यानी दोनों ही गुट अपनी बैठक में नहीं आने वाले विधायक को 'बागी' मानेंगे और उस पर कार्रवाई करेंगे. शरद पवार गुट की बैठक दोपहर 1 बजे से दक्षिणी मुंबई में वाईबी चौहान सेंटर में होगी, जबकि अजित गुट की बैठक बांद्रा सबर्बन में सुबह 11 बजे मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट के परिसर में होगी. माना जा रहा है कि 'असली एनसीपी' किसके पास है, इसका फैसला ये बैठकें विधानसभा से बाहर ही कर देंगी. शरद और अजित में से जिसकी बैठक में ज्यादा विधायक मौजूद होंगे, पार्टी पर उसका दावा ज्यादा मजबूत हो जाएगा.
3. अजित पवार कर रहे हैं 53 विधायकों के समर्थन का दावा
अजित पवार ने 2 जुलाई को NCP के बागी विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने की घोषणा की थी. अजित पवार को डिप्टी सीएम पद दिया गया था और उनके साथ आए 8 विधायकों को मंत्री पद मिला था. उस समय अजित पवार ने पार्टी के 53 विधायक अपने साथ होने का दावा किया है, जबकि शरद पवार गुट अजित और उनके साथ गए 8 विधायकों के अलावा शेष सभी विधायकों के अब भी अपने साथ होने का दावा कर रहा है. आज होने वाली बैठक में यह तय हो जाएगा कि अजित पवार के दावे में कितना दम है. यदि अजित अपने साथ बैठक में कम से कम 36 विधायकों को नहीं दिखा पाए तो वे 'दलबदल कानून' के दायरे में आ जाएंगे. दरअसल 288 विधायकों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में अजित पवार को NCP तोड़कर अलग पार्टी बनाने के लिए कम से कम दो तिहाई यानी 36 विधायकों का समर्थन पेश करना होगा.
4. शरद पवार गुट की याचिका पर भी हो सकता है आदेश
शरद पवार गुट ने अजित पवार पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाते हुए दलबदल कानून के तहत उनकी और अन्य 8 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरू की है. शरद पवार गुट ने इसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर (Maharashtra Assembly Speaker Rahul Narwekar) के पास याचिका लगा रखी है. माना जा रहा है कि इस पर भी आज आदेश जारी हो सकता है, जिसमें अजित पवार को अपने पास दो तिहाई यानी 36 विधायकों का समर्थन होने की बात साबित करने के लिए कहा जा सकता है.
5. विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका सबसे अहम
इस पूरे राजनीतिक ड्रामे में अब सबसे ज्यादा अहम भूमिका विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर की हो गई है. यह नार्वेकर का ही फैसला होगा, जो सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के तहत दोनों गुट में समर्थक विधायकों की संख्या तय करेगा और उसके हिसाब से विधानसभा में उनके पार्टी व्हिप का पदनाम तय करेगा. इसके आधार पर ही तय होगा कि विधानसभा में 'रियल एनसीपी' शरद पवार या अजित पवार में से किसके पास है. यदि नार्वेकर अजित गुट को असली एनसीपी मानते हैं तो उन्हें विधानसभा में नेता विपक्ष (Leader of Opposition) का भी नाम दोबारा घोषित करना होगा. नेता विपक्ष का पद अभी एनसीपी के पास है, लेकिन अजित गुट को 'असली पार्टी' मान लेने के बाद शरद पवार गुट के पास इस पद को बनाए रखने लायक पर्याप्त विधायक नहीं रहेंगे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की लॉटरी लग सकती है और उसे नेता विपक्ष का पद मिल सकता है. हालांकि यह तय है कि स्पीकर का फैसला जो भी रहेगा, उसे एनसीपी के दोनों ही गुटों से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना करना होगा.
हालांकि इस मामले में एक 'लूपहोल' यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी तोड़कर नया गुट बनाने वाले विधायकों की योग्यता पर फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है. ऐसे में माना यही जा रहा है कि राहुल नार्वेकर शरद पवार गुट की याचिका पर फैसला ठीक वैसे ही टाले रखेंगे, जिस तरह अब तक उन्होंने शिवसेना में टूट के बाद अलग हुए शिंदे गुट के विधायकों की योग्यता को लेकर करीब एक साल बाद भी कोई फैसला नहीं लिया है. शिंदे गुट के विधायकों की योग्यता को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट ने साल 2022 में चुनौती दी थी, लेकिन अब तक इस पर नार्वेकर ने फैसला नहीं लिया है. इसके लिए वे तर्क देते हैं कि जब योग्यता से जुड़े केस पर फैसला लेने में सुप्रीम कोर्ट एक साल और चुनाव आयोग 6 महीने तक का समय ले लेते हैं तो उन्हें केवल 3 महीने में फैसला करने के लिए कहना, किसी भी तरह से उचित नहीं है.
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