Indian Spices Row: भारतीय मसालों पर रार, FSSAI ने शुरू की जांच, जानिए क्या है पूरा विवाद और कितना बड़ा है इसका मार्केट

Written By कुलदीप पंवार | Updated: May 02, 2024, 10:31 PM IST

Indian Spices: Row: हांगकॉन्ग-सिंगापुर के बाद भारतीय मसालों पर कुछ दूसरे देशों ने भी उंगलियां उठा दी हैं. इससे जहां मसाला कंपनियों का बिजनेस प्रभावित हुआ है, वहीं देश की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठे हैं.

Indian Spices Row: भारतीय मसालों का विदेशों में कारोबार पुरातन काल से हो रहा है. सैकड़ों साल पहले भी विदेशी व्यापारी भारत में मसालों की खरीद करने के लिए ही आते थे. यहां तक कि भारत को गुलाम बना लेने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी और उसी दौर में देश के कुछ हिस्से कब्जाने वाले पुर्तगाली व डच व्यापारी भी यहां शुरुआत में मसालों का व्यापार करने के लिए ही आए थे. इस लिहाज से कहा जा सकता है कि भारतीय मसालों की चर्चा विदेशों में हमेशा ही रही है. अब एक बार फिर भारतीय मसाले विदेशों में चर्चा का सबब बन रहे हैं. हालांकि फिलहाल विदेशों में भारतीय मसालों की निगेटिव चर्चा हो रही है. दरअसल देश के दो टॉप ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों को हांगकॉन्ग और सिंगापुर में बैन कर दिया गया है. इसके बाद यूरोप के भी कुछ देशों में इन्हें बैन किया गया है, जबकि कई ने अलर्ट जारी किया है. इससे भारतीय मसालों का एक्सपोर्ट बुरी तरह प्रभावित हुआ है और साथ ही देश की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठा है. इसके बाद अब भारतीय फूड सेफ्टी रेगुलेटर FSSAI ने MDH और Everest समेत तमाम मसाला कंपनियों के प्रॉडक्ट्स की जांच की घोषणा कर दी है. 

पहले जान लीजिए क्या है पूरा विवाद

सिंगापुर और हांगकॉन्ग ने सबसे पहले एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की बिक्री पर अपने यहां रोक लगाई. इन दोनों देशों ने भारतीय मसालों में हानिकारक केमिकल होने का दावा किया. हांगकॉन्ग के फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ने एमडीएच के मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में जरूरत से ज्यादा एथिलीन ऑक्साइड होने की बाद कही, जबकि एवरेस्ट के फिश करी मसाला में कार्सिनोजेनिक पेस्टीसाइड होने का दावा किया गया है. इन पेस्टीसाइड से कैंसर होने का खतरा होने की बात कही गई. सिंगापुर और हांगकॉन्ग के बाद मालदीव ने भी भारतीय मसालों पर बैन लगा दिया. इन तीन देशों के बाद यूरोप के कई देशों और अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया में भी भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के प्रवक्ता ने रॉयटर्स के साथ बातचीत में माना है कि वे लोग स्थिति के बारे में ज्यादा जानकारी जुटा रहे हैं और इसके बाद ही कोई कदम उठाएंगे.

FSSAI ने दिया है क्या आदेश

भारतीय फूड सेफ्टी रेगुलेटर FSSAI ने सभी मसाला कंपनियों के प्रॉडक्ट्स की टेस्टिंग, सैंपलिंग और उनकी गहन जांच के आदेश दिए हैं. गुरुवार को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान इन प्रॉडक्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा जांची जाएगी. बता दें कि भारत में एथिलीन ऑक्साइड का खाद्य पदार्थों में उपयोग प्रतिबंधित है. स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया भी अपनी तरफ से जांच के लिए एक्टिव हो गया है.

केंद्र सरकार ने भी उठाए हैं कदम

केंद्र सरकार ने भी भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद कई कदम उठाए हैं. सिंगापुर और हांगकॉन्ग में मौजूद भारतीय दूतावासों को वहां के फूड रेगुलेटर्स से जानकारी लेकर डिटेल्ड रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है. साथ ही एमडीएच और एवरेस्ट को भी इस बारे में जवाब दाखिल करने को कहा गया है. 

दुनिया को 12 फीसदी मसाले देता है भारत

भारतीय मसालों पर बैन लगने का बहुत बड़ा असर होने जा रहा है. इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि दुनिया भर की मसालों की जरूरत का 12 फीसदी हिस्सा भारत से एक्सपोर्ट होता है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने 4.25 अरब डॉलर के मसाले निर्यात किए थे. इनमें से 69.25 करोड़ डॉलर के मसाले सिर्फ हांगकॉन्ग, मालदीव, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को ही किए गए थे. भारत से एक्सपोर्ट होने वाले मसालों में मिर्च, जीरा, हल्दी, करी पाउडर और इलायची प्रमुख हैं. साथ ही मिक्स मसालों का भी बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट होता है.

मसाला बाजार नहीं पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर खतरा

दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) का आकलन है कि यदि भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठने से उनका एक्सपोर्ट बैन हुआ तो इसका असर पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था पर होगा. दरअसल इससे भारत के अन्य उत्पादों की मांग पर भी होगा. उन उत्पादों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए जाएंगे. इससे भारतीय उत्पादों की विश्वसनीयता को खतरा पैदा हो सकता है. 

क्या है एथिलीन ऑक्साइड, क्यों मचा है इसे लेकर हल्ला

  • एथिलीन ऑक्साइड एक कीटनाशक यानी पेस्टीसाइड है, जिसका इस्तेमाल कई बार मसालों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए होता है.
  • स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया के मुताबिक, एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल कुछ लोग मसालों में माइक्रोबियल कंटेमिनेशन घटाने को करते हैं.
  • एथिलीन ऑक्साइड 10.7 डिग्री सेल्सियस से ऊंचे तापमान में रंगहीन गैस होती है, जो कीटनाशक के अलावा कीटाणुनाशक भी होती है.
  • एथिलीन ऑक्साइड की कीटाणुनाशक क्षमता के चलते ही इसका इस्तेमाल चिकित्सीय उपकरणों को स्टरलाइज करने में होता है.
  • WHO की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने एथिलीन ऑक्साइड को इंसानों में कैंसर का प्रमुक कारण माना है.
  • एथिलीन ऑक्साइड के लगातार इस्तेमाल से इंसानों में लिम्फोमा, ल्यूकेमिया के अलावा पेट व स्तन कैंसर भी हो सकता है. 

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