डीएनए हिंदी: Riots In India- मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण पिछले डेढ़ महीने से अशांति के हालात बने हुए हैं. इससे इतर भी देश में अलग-अलग हिस्सों में किसी न किसी दिन जातीय या सांप्रदायिक हिंसा की घटना सामने आ जाती है. भले ही विपक्षी दल सत्ताधारी भाजपा नेतृत्व वाली NDA सरकार को समाज में धार्मिक घृणा भड़काने का आरोपी मानते हैं. इसके बावजूद आपको बता दें कि देश में दंगों की संख्या लगातार घटती जा रही है. खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA गठबंधन की सरकार के 9 साल में यह ग्राफ कुछ ज्यादा तेजी से नीचे आया है. कम से कम नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के डाटा तो यही बात कह रहा है. NCRB के हालिया एनालिसिस को सही माना जाए तो देश इस समय पिछले 50 साल के सबसे शांतिपूर्ण दौर से गुजर रहा है.
2021 में ही टूट गया था गिरावट का ऑल टाइम रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council for the Prime Minister of India) की सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि ने एक ट्वीट में NCRB का एनालिसिस शेयर किया है. उन्होंने इसके आधार पर दावा किया है कि साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही दंगों की संख्या घटी है. साल 2021 में ही दंगों की संख्या में इस गिरावट ने अपना ऑल टाइम रिकॉर्ड बना लिया था.
1980-81 के दौर में हुए थे देश में सबसे ज्यादा दंगे
NCRB डाटा एनालिसिस के ग्राफ के लिहाज से देखा जाए तो दंगों की शिकायतें और हिंसा साल 1980-81 में अपनी पीक पर थे. इसके बाद से देश में दंगों का ग्राफ नीचे की तरफ आया है. हालांकि इसमें सबसे तेज गिरावट 1990 के दशक के आखिर में दिखाई दी थी, जब देश में पहली बार भाजपा नेतृत्व में NDA की सरकार प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी थी.
मनमोहन सिंह की सरकार में बढ़े थे दंगे
NCRB डाटा का ग्राफ के हिसाब से पीएम वाजपेयी के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में कांग्रेस नेतृत्व वाली UPA सरकार के गठन के साथ ही दोबारा दंगों की संख्या बढ़ी थी. साल 2005 से 2014 तक दंगों की संख्या में तेजी आई थी, लेकिन इसके बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार गठित होने के बाद दंगों का आंकड़ा फिर से नीचे की तरफ गिरना शुरू हो गया था. प्रोफेसर शमिका रवि ने अपने ट्वीट में लिखा है, भारत में दंगे लगातार गिरावट की तरफ हैं. देश 50 साल में सबसे ज्यादा शांतिपूर्ण है.
शमिका रवि ने 2019 में भी शेयर किया था डाटा
EAC मेंबर शमिका रवि ने साल 2019 में भी दंगों को लेकर NCRB का एनालिसिस शेयर किया था. छोटी सी बात हालांकि केयरफुल डाटा एनालिसिस की जगह नहीं ले सकती है, लेकिन डाटा हमें बताता है कि भारत में दंगों और तनाव की घटनाओं में कमी आ रही है. साल 1998 के बाद से इसमें तेजी से कमी आई है. अधिकतम 110361 दंगे व हिंसक घटनाएं साल 1981 में दर्ज की गई थीं.
मणिपुर से पहले दिल्ली दंगे थे आखिरी बड़ी हिंसा
यदि देश में बड़े पैमाने पर दंगों के कारण होने वाली हिंसा की बात की जाए तो फिलहाल मणिपुर में ही जातीय उपद्रव के हालात हैं. हालांकि वहां जातीय टकराव की आड़ में उग्रवादी दल सक्रिय होकर हिंसक घटनाएं अंजाम दे रहे हैं, इसलिए उसे दंगे नहीं कहा जा सकता. इससे पहले आखिरी बार बड़े पैमाने पर खूनखराबे वाली हिंसा साल 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान हुई थी, जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा फैलाई गई थी. दिल्ली दंगों में 53 लोगों की जान गई थी.
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