Ropeway Accident: चार महीने में 3 रोप-वे एक्सीडेंट, जानिए कारण, कहां-कहां है देश में ये सिस्टम और बड़े हादसे

कुलदीप पंवार | Updated:Jul 12, 2022, 06:37 AM IST

केंद्र सरकार रोप-वे को पहाड़ी इलाकों में सामान्य यातायात का विकल्प बनाना चाहती हैं, लेकिन पिछले चार महीनों में 3 हादसों ने इस सिस्टम पर सवाल उठा दिए हैं. इन हादसों का कारण क्या होता है और देश में किन स्थानों पर ये ट्रैफिक सिस्टम आम जीवन का अहम हिस्सा है, इस पर एक रिपोर्ट...

डीएनए हिंदी: झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत पर रोप-वे का केबल टूटने से हुए हादसे में 48 घंटे तक श्रद्धालु हवा में लटके रहे. हिमाचल प्रदेश के सोलन में टिंबर ट्रेल रोप-वे की केबल कार बीच में रुकने से 11 पर्यटक घंटों तक मौत से जूझते रहे. उत्तराखंड के धनौल्टी में 2 महीने पहले लगे रोप-वे में तकनीकी खराबी से विधायक समेत कई लोग घंटों हवा में लटके रहे.

देश में चार महीने के अंदर 3 बड़े रोप-वे हादसे हो चुके हैं, जो यातायात के इस साधन के संचालन व रखरखाव में होने वाली लापरवाही को लेकर आंखें खोलने वाले हैं. इन हादसों में मरने वालों की संख्या भले ही ज्यादा नहीं रही हो, फिर भी हवा में गहरी घाटियों की सुंदरता निहारते हुए जाने के इस एडवेंचर पर सवाल खड़े हो गए हैं.

आइए आपको बताते हैं कि देश में किन-किन मशहूर स्थानों पर इस ट्रैफिक सिस्टम का लाभ लिया जा रहा है. साथ ही इस तरह के हादसों के पीछे क्या कारण जिम्मेदार होते हैं.

पहले जानिए रोप-वे होता क्या है

दरअसल रोप-वे का मतलब महज टूरिस्ट प्लेस पर तारों पर एक जगह से दूसरी जगह तक चलने वाली केबल कार ही नहीं है. रोप-वे यानी रस्सों के सहारे चलने वाले वाहन के रास्ते का उपयोग पहाड़ी इलाकों की दुर्गम जगहों पर एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए टांगी गई छोटी-छोटी ट्रॉलियां भी होती हैं. अमूमन ये ट्रॉलियां ग्रामीण इलाकों में नदियों को पार करने के लिए ऐसी जगह लगाई जाती हैं, जहां पुल बनाना संभव नहीं है. ये ट्रॉलियां मैनुअल तरीके से हाथ से रस्सी खींचकर चलाई जाती हैं.

इसके उलट, टूरिस्ट प्लेस पर चलाई जाने वाली केबल कार ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित सफर वाली होती है, जिसे बिजली के मोटर या डीजल इंजन की मदद से दोनों सिरों पर केबल को खींचकर चलाया जाता है.

देश में कहां-कहां हैं मशहूर रोप-वे

इस साल बजट में लाई गई है खास योजना

इस साल वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहाड़ी इलाकों के लिए खास योजना पेश की है. बजट में वित्त मंत्री ने पहाड़ी इलाकों में सुगम यात्रा के लिए "पर्वतमाला परियोजना-राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम" चालू करने का ऐलान किया था. इसके लिए उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर राज्यों से प्रस्ताव मिल चुके हैं. चालू वित्त वर्ष में ही 60 किलोमीटर की लंबाई वाली 8 रोप-वे परियोजनाओं पर काम शुरू करने की योजना है.

किस कारण होते हैं रोप-वे पर हादसे

पहले भी हुए हैं देश में रोप-वे हादसे

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