ठीक ठाक इंतजार के बाद सब्र का फल मीठा हुआ. Amazon Prime की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज पंचायत 3 (Panchayat 3 ) रिलीज हो गई. पिछले दो सीजंस देखकर ये बात तो पहले ही क्लियर हो गई थी कि, जब पंचायत 3 दर्शकों के सामने आएगी, उन्हें एंटरटेनमेंट के अलावा इमोशंस का फुल ऑन डोज मिलेगा. दर्शकों की ये मांग जायज इसलिए भी थी क्योंकि पिछले सीजन में चाहे वो प्रधान जी और बनराकस के बीच का 'पॉलिटिकल झगड़ा' हो. या फिर विनोद की मासूमियत और सचिव जी का बात बेबात पर जज्बाती हो जाना. पब्लिक ने इस बात के कयास लगा लिए थे कि पंचायत 3 धमाल और मस्ती का पर्याय बनेगी. अब जबकि पंचायत 3 रिलीज हो गई और प्रह्लाद चा और विनोद हमारे सामने हैं, जनता के बेचैन दिल को करार आ गया है.
यूं तो पंचायत 3 का वेट हर वो आदमी कर रहा था जिसने अपने जीवन में गांव देखे, गांव की चुनौतियां देखी और साथ ही जो प्रधानी के चुनावों की चकल्लस से वाकिफ है. बावजूद इसके एक वर्ग वो भी था जिसे सिर्फ एक्टिंग से मतलब है. वो वर्ग जो ये मानता है कि सीरीज का मतलब One Go है. ऐसे लोग जब एक बार सीरीज देखना शुरू करते हैं तो फिर उसके हर एक पक्ष को देखते हैं. ऐसे लोगों के लिए सीरीज का मतलब विनोद और प्रह्लाद चा ही थे.
कुल मिलाकर Panchayat Season थ्री में देखने के लिए कई चीजें हैं. लेकिन इस सीजन को देखे जाने की जो बड़ी वजह हमें नजर आती है, वो प्रह्लाद चा बने फैसल मलिक और विनोद के रोल में अशोक पाठक ही हैं. जी हां सही सुना आपने. एक ऐसे वक़्त में जब कंटेंट और एक्टिंग से लेकर अश्लीलता तक तमाम विषयों पर हिंदी सिनेमा सवालों के घेरे में हो. अशोक और फैसल अपने बलबूते बॉलीवुड की इज्जत बचाने में कामयाब हुए हैं.
चाहे वो पूर्व में रिलीज हुई पंचायत 2 हो या फिर वर्तमान में आई पंचायत 3 अपनी एक्टिंग से इन दोनों ही अभिनेताओं ने बहुत कुछ नया स्थापित किया है.
एक्टर्स ने ये साबित कर दिया कि हाथ में स्क्रिप्ट थाम कर एक्टिंग तो कोई भी कर सकता है. लेकिन असली हीरो वही है, जिसकी भीगी पलकें दर्शकों की आंख नम कर दे. या फिर जिसकी कॉमिक टाइमिंग दर्शकों के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान ला दे.
अशोक और फैसल द्वारा की गयी एक्टिंग के बाद कहा जा सकता है कि पूरी पंचायत एक तरफ है और इन दो एक्टर्स का काम दूसरी तरफ. जिस तरह का फैन बेस अशोक और फैसल ने अपने काम से तैयार किया. वो ये बताने के लिए काफी है कि, दर्शकों के लिए आज भी एक्टर का मतलब अच्छी एक्टिंग और अपना कैरेक्टर निभाने की टाइमिंग है.'
चाहे वो अशोक हों या फिर फैसल दोनों में ही कुछ तूफानी नहीं है. जब हम इन दोनों को ध्यान से देखते हैं तो मिलता है कि ये लोग औसत लुक वाले हैं और सिक्स पैक, टोंड बॉडी और गुड लुक्स जैसी चीजों से दूर हैं.
इनके कोई ऐसे भी वीडियो नहीं हैं जिनमें ये जिम में पसीना बहा रहे हैं. हां लेकिन जब हम इनके काम को देखते और उसका अवलोकन करते हैं तो इनका काम चीख चीख कर इनमे लेवल को जाहिर कर देता है.
ऊपर लिखी बातों को समझने के लिए हम पंचायत 2 का रुख करेंगे और इसे फैसल के परिदृश्य से समझेंगे. पंचायत 2 के शुरूआती एपिसोड्स में प्रह्लाद चा बने फैसल को एक हंसते मुस्कुराते इंसान के रूप में दिखाया गया है. जो प्रधान जी के साथ हंसी ठिठोली करता है. मौके बेमौके सचिव जी से मौज लेता है.
फिर जब कहानी आगे बढ़ती है और उसे ये खबर मिलती है कि उसका एकलौता जवान बेटा शहीद हो गया तो जैसा ट्रांसफॉर्मेशन फैसल अपने किरदार का करते हैं वो बेमिसाल है. लास्ट के कुछ एपिसोड्स में एक्सप्रेशन से लेकर डायलॉग डिलीवरी तक जो कुछ भी फैसल ने किया कह सकते हैं कि बॉलीवुड को पंचायत के जरिये एक कोहिनूर मिला है.
इसी तरह जब हम विनोद का किरदार निभाने वाले अशोक पाठक को देखते हैं, तो जिस तरह का रोल उनका था उन्होंने हमें एहसास दिलाया कि भारत के लगभग हर एक गांव में एक ऐसा विनोद है. जो भले ही दीन हीन स्थिति में हो. लेकिन क्योंकि वो एक 'वोट' है इसलिए प्रधान और उसके मातहतों से लेकर प्रधानी का चुनाव लड़ने वाले किसी दूसरे नेता तक सबके लिए वो बहुत जरूरी है.
सीजन 2 से लेकर सीजन 3 तक विनोद बने अशोक पाठक के हिस्से में जो जो सीन आए उन्होंने अपना बेस्ट दिया और साबित किया कि असली टैलेंट लुक्स, सिक्स पैक एब्स और टोंड शरीर का मोहताज नहीं है.
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पंचायत 3 में भी इन दोनों ही एक्टर्स ने कमाल किया है. हमारा दावा है कि इस बार इनकी वजह से आप पूरी सीरीज One Go में न केवल खत्म करेंगे बल्कि एक विचार जरूर आपके दिमाग में आएगा कि यदि ये दोनों लोग पंचायत मेकर्स की पसंद न होते या फिर यदि उन्हें नहीं लिया जाता तो इस सीरीज और पंचायत का क्या होता.