Mission 2024: मोदी या विपक्ष, 5 पॉइंट्स में जानें अविश्वास प्रस्ताव से किसे मिलेगा लोकसभा चुनाव में फायदा?

कुलदीप पंवार | Updated:Aug 11, 2023, 07:32 AM IST

PM Modi Speech in Parliament

PM Modi No Confidence Motion Speech: पीएम मोदी ने 133 मिनट के रिकॉर्ड तोड़ भाषण में जिस तरह कांग्रेस को  नॉर्थ ईस्ट से पंजाब तक का इतिहास याद दिलाया, INDIA गठबंधन के नाम का पोस्टमार्टम किया और अपनी उपलब्धियां गिनाईं, उससे अविश्वास प्रस्ताव NDA के लिए ही फायदेमंद दिख रहा है.

डीएनए हिंदी: Lok Sabha Elections 2024- पिछले कई दिन से देश के राजनीतिक माहौल में केवल एक ही चर्चा चल रही थी. ये चर्चा अविश्वास प्रस्ताव की थी, जिस पर लोकसभा के नंबर गेम के हिसाब से विपक्ष की हार पहले से तय थी. इसके बावजूद विपक्ष बार-बार यह बता रहा था कि वह क्यों अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. दरअसल विपक्ष की मंशा अविश्वास प्रस्ताव के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद के मंच पर पूरे देश के सामने घेरने की थी. इसके लिए हथियार बनाया गया था मणिपुर हिंसा को. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव ध्वनि मत से ही खारिज हो गया. उस पर वोटिंग की भी नौबत नहीं आई. इसके बावजूद सवाल उठ रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी ने 133 मिनट के रिकॉर्ड तोड़ जवाब में जो कुछ कहा, उसके बाद मानसून सत्र में विपक्षी गठबंधन की तरफ से की गई इस कवायद का चुनावी लाभ किसे मिलने जा रहा है?

आइए 5 पॉइंट्स में पीएम मोदी के भाषण को परखकर देखते हैं कि किसे इसका चुनाव लाभ मिल सकता है.

1. मोदी ने संसद में सबसे लंबे भाषण में किया विपक्ष का पूरा 'चुनावी पोस्टमार्टम'

पीएम मोदी ने 2 घंट 13 मिनट तक संसद में भाषण दिया. यह संसद में सबसे लंबे भाषण का नया रिकॉर्ड है. इससे पहले 1965 में तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने 2 घंटा 12 मिनट का भाषण दिया था. अपने इस ऐतिहासिक भाषण में पीएम मोदी ने विपक्षी दलों का पूरा 'चुनावी पोस्टमार्टम' कर दिया. उन्होंने 50 बार कांग्रेस का नाम लिया, 9 बार INDIA गठबंधन की बात की और 18 बार मणिपुर की चर्चा की. इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों के कारनामे संसद के मंच से पूरे देश को याद दिलाए तो अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिना दीं. इस तरह 133 मिनट तक बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने एक तरीके से मिशन 2024 का चुनावी एजेंडा संसद के मंच से ही सेट कर दिया. 

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2. कांग्रेस कैसे देगी नॉर्थ-ईस्ट को लेकर लगे आरोपों का जवाब

कांग्रेस को मणिपुर हिंसा को रोकने में मोदी सरकार की विफलता अपने लिए चुनावी संजीवनी जैसी लग रही थी, लेकिन पीएम मोदी के भाषण के बाद अब इस पर सवाल उठ रहे हैं. मोदी ने पहले कांग्रेस के नाम, झंडे और चुनाव चिह्न के इतिहास का जिक्र कर उसे केवल 'छीनने' वाली पार्टी साबित कर दिया. इसके बाद मणिपुर में उग्रवाद का दौर याद दिलाते हुए तीन सवाल पूछकर कांग्रेस की बोलती बंद कर दी है. पीएम मोदी ने पूछा, मणिपुर में राष्ट्रगान गाने पर लगी रोक के दौर में राज्य में सरकार किसकी थी? मिजोरम में 5 मार्च, 1966 को भारतीय वायुसेना को अपने ही देशवासियों पर बम गिराने के लिए मजबूर करने वाली पीएम इंदिरा गांधी किसकी थीं? फिर उन्होंने 1962 में चीन युद्ध के समय तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का वो प्रसारण याद दिलाया, जिसमें सरकार से मदद की आस देख रहे असम के लोगों को चीनी सेना के सामने नेहरू ने भाग्य के भरोसे जीने के लिए छोड़ दिया था. साथ ही राममनोहर लोहिया के उस आरोप का भी जिक्र किया, जिसमें कांग्रेस द्वारा जानबूझकर नॉर्थ-ईस्ट का विकास नहीं कराने की बात कही गई थी. इन सवालों का जवाब देना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा. 

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3. विपक्षी गठबंधन INDIA के नाम का ऑपरेशन कर साधा निशाना

पीएम मोदी लगातार विपक्ष के एकजुट हुए दलों पर निशाना साधते रहे हैं. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी जब पूरा देश उन्हें सुन रहा था, तो उन्होंने इस मौके का भरपूर उपयोग विपक्षी गठबंधन के महज सत्ता के लिए एक हुए दलों का समूह साबित करने की कोशिश की. उन्होंने विपक्ष के पास मोदी के सामने कोई चेहरा नहीं होने की कमजोर नब्ज दबाई. उन्होंने कहा, इंडिया गठबंधन ऐसी बारात है, जिसमें हर कोई दूल्हा बनना चाहता है. पीएम मोदी ने विपक्ष के गठबंधन के I.N.D.I.A. नाम का भी ऑपरेशन किया और कहा कि यहां भी आपको NDA ही याद रहा, जिसमें एक I आगे और एक I पीछे लगाकर आपने नाम तय कर लिया. नए गठबंधन को खटारा गाड़ी को इलेक्ट्रिक व्हीकल बताने की कोशिश, खंडहर पर नया प्लास्टर लगाने का जश्न जैसे विशेषणों से पीएम मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर जहां निशाना साधा, वहीं नया गठबंधन बनने का मजमा खत्म होने से पहले ही क्रेडिट लेने की होड़ में सिर फुटव्वल की बात कहकर विपक्ष के बीच की दरार भी जनता के सामने रख दी. इससे पीएम मोदी ने लोकसभा के मंच से ही वोटर्स तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि भाजपा के सामने खड़ा होने वाला विपक्ष केवल दिखावे के लिए ही एकजुट है और यह कभी भी बिखर सकता है. 

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4. कांग्रेस बना रही राहुल को नेता, मोदी ने उन्हें फेल प्रोजेक्ट बता दिया

कांग्रेस नए गठबंधन में किसी तरह राहुल गांधी को ही विपक्ष का नेता साबित करने की कोशिश में जुटी हुई है, लेकिन पीएम मोदी ने कांग्रेस के युवराज पर अपने हमले से इस कोशिश की हवा निकाल दी है. उन्होंने सीधेतौर पर राहुल का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने जब यह कहा कि लोकसभा में कल मोहब्बत की दुकान खोलने वाले के दिमाग का हाल सबको पता है तो पूरी दुनिया उनका इशारा समझ गई. इस कमेंट के जरिये पीएम मोदी ने राहुल को कमजोर बुद्धि साबित करने की कोशिश की. साथ ही उन्होंने कांग्रेस के राहुल को ही बार-बार आगे बढ़ाने पर भी 'फेल प्रोजेक्ट का लगातार लॉन्च करने की कोशिश' का तंज कसकर विपक्षी दलों को भी इशारा कर दिया. 

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5. अपनी उपलब्धियां गिनाईं और आने वाले भविष्य की तस्वीर दिखाई

पीएम मोदी को ये बात मालूम थी कि संसद में उनके भाषण पर पूरे देश की निगाह है. इस कारण उन्होंने इस भाषण का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए भी भरपूर तरीके से किया. उन्होंने जहां एकतरफ जनता को अपनी सरकार की पिछले चार साल की उपलब्धियां एक-एक करके याद दिलाईं, वहीं बैंकों के NPA, अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों आदि के जरिये विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा. साथ ही आने वाले भविष्य की सुखद तस्वीर भी यह कहते हुए पेश की कि अपने तीसरे टर्म में वे देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनाएंगे. इससे भी उन्होंने 2024 के लिए जनता के सामने अपनी सरकार का चुनावी एजेंडा पेश कर दिया है.

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