RSS Meeting in Kerala: केरल पर हिंदुत्व विरोधी ठप्पा, फिर भी वहां वार्षिक बैठक क्यों कर रहा RSS, जानें सियासी पहलू

कुलदीप पंवार | Updated:Aug 31, 2024, 10:37 AM IST

RSS Meeting में मंच पर बैठे सरसंघचालक Mohan Bhagwat. (फोटो- ANI)

RSS Meeting in Kerala: भाजपा और उसका थिंक टैंक कहलाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में आपसी तनाव की चर्चाओं के बीच यह बैठक आयोजित हो रही है, जिसमें भाजपा अध्यक्ष JP Nadda और संगठन महासचिव BL Santosh भी पहुंच रहे हैं.

RSS Meeting in Kerala: भाजपा का थिंक टैंक कहलाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की वार्षिक समन्वय बैठक आज (शनिवार 31 अगस्त) से शुरू हो गई है. RSS के सभी सहयोगी संगठनों के बीच समन्वय बनाने के लिए आयोजित की गई यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब संघ और BJP के बीच खींचतान की कयासबाजी लगाई जा रही है. लोकसभा चुनाव के बाद मोदी 3.0 के गठन से अब तक संघ कई मौकों पर भाजपा नेतृत्व की खिंचाई करता दिखाई दिया है. ऐसे में इस सम्मेलन के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष की मौजूदगी में सरसंघचालक (संघ प्रमुख) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) क्या बोलेंगे, इस पर सभी की निगाह रहेगी. इस बैठक की सबसे खास बात इसका आयोजन स्थल है, जिसे लेकर हर कोई आश्चर्य जता रहा है और इसके सियासी मायने निकालने की कोशिश की जा रही है. दरअसल यह बैठक केरल के पलक्कड़ में आयोजित की जा रही है, जिसे वामपंथी दलों के वर्चस्व के कारण हिंदुत्व विरोधी धारा वाला राज्य माना जाता है. भाजपा लगातार वहां अपनी सियासी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें उसे धीरे-धीरे सफलता भी मिल रही है. ऐसे में वहां संघ की राष्ट्रीय बैठक के आयोजन को आम जनता के बीच नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

पहले जान लीजिए बैठक के बारे में

पलक्कड़ जिले में आयोजित हो रही वार्षिक समन्वय बैठक में संघ से जुड़े सभी संगठन भाग ले रहे हैं. संघ प्रचार प्रमुख सुनील आंबेडकर के मुताबिक, 2 सितंबर तक चलने वाली बैठक में 32 सहयोगी संगठनों के 320 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. इनमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन सचिव बीएल संतोष भी शामिल होंगे. बैठक में सरसंघचालक के अलावा सभी सह सरकार्यवाह भी मौजूद रहेंगे. बैठक का आयोजन इसलिए भी खास है कि इसमें संघ के गठन के 100 साल पूरे होने को लेकर चर्चा होगी. बैठक में सितंबर 2025 से सितंबर 2026 तक आयोजित होने वाले शताब्दी वर्ष की तैयारियों और उससे जुड़े कार्यक्रमों पर विचार किया जाएगा.

बैठक में अहम होंगे ये मुद्दे

केरल में आयोजन क्यों खास है?

केरल में भाजपा लगातार अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही है. हिंदुत्व विरोधी विचारधारा वाला राज्य कहलाने वाले केरल में भाजपा खुद को हिंदुओं की आवाज बनाने की जुगत में है. धीरे-धीरे ही सही वहां भाजपा को पैठ बनाने का मौका भी मिला है. हालांकि बड़ी सफलता मिलना बाकी है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा एक सीट जीतने में सफल रही है. साथ ही भाजपा का वोट प्रतिशत भी करीब 3% बढ़ गया है. इसके मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2% घटा है और वामपंथी दलों को मिले वोट प्रतिशत में भी मामूली कमी आई है. ऐसे में इसे भाजपा की बड़ी सफलता माना गया है और राजनीतिक विश्लेषक उसे वहां भविष्य में ज्यादा बड़ी पार्टी के तौर पर देख रहे हैं. ऐसे में केरल में संघ की बैठक के आयोजन से मीडिया में हिंदुत्व से जुड़ी खबरों को मिलने वाली तवज्जो भाजपा को बढ़ावा दे सकती है.

केरल में भाजपा का ग्राफ

दक्षिण भारतीय राज्यों में पैठ बनाने की कवायद का भी हिस्सा

भाजपा लगातार खुद को असली राष्ट्रीय पार्टी साबित करने की कवायद में जुटी है. इसके लिए दक्षिण भारतीय राज्यों में उसकी अहम मौजूदगी जरूरी है, जहां कर्नाटक को छोड़कर बाकी राज्यों में वह अब तक दोयम दर्जे की ही साबित हुई है. हालांकि लगातार कोशिश के चलते उसे तेलंगाना में दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफलता मिली है, जबकि तमिलनाडु में भी उसका वोट प्रतिशत पहले के मुकाबले बढ़ा है. इस बार लोकसभा चुनावों में भाजपा सीटें जीतने में भले ही सफल नहीं हुई, लेकिन वह तमिलनाडु में अपनी उपस्थिति मजबूती से दर्शाने में सफल रही है. यही हाल आंध्र प्रदेश का भी रहा है. ऐसे में संघ की दक्षिण भारतीय राज्य में वार्षिक बैठक से भाजपा को देश के उस हिस्से में सियासी दर्जा बढ़ाने में मदद मिलने की संभावना आंकी जा रही है.

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