Ukraine Crisis: अगर रूस यूक्रेन पर हमला करे तो भारत को क्या होगा नुकसान?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Feb 16, 2022, 05:03 PM IST

Russia-Ukraine crisis

अमेरिका और नाटो के सदस्य देश चाहते हैं रूस, यूक्रेन सीमा पर तैनात अपने 1,25,000 से ज्यादा सैनिकों की तैनाती हटाए. रूस ऐसा करता नजर नहीं आ रहा है.

डीएनए हिंदी: रूस (Russia) कभी भी यूक्रेन (Ukraine) पर हमला कर सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की को यही डर सता रहा है. दुनिया के तमाम देश आशंकित हैं कि युद्ध होकर रहेगा. कुछ देश रूस के साथ खड़े हैं तो कुछ देश चाहते हैं यूक्रेन को सैन्य मदद मिले. अगर यूक्रेन और रूस में युद्ध ठनता है तो स्थितियां भयावह होंगी. विश्व युद्ध जैसे हालात भी बन सकते हैं. भारत चाहता है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव कम हो. 

भारत कभी नहीं चाहता है कि दोनों देश युद्ध करें. भारत भी अब आशंकित है कि कहीं रूस यूक्रेन पर हमला न बोल दे जिसकी वजह से वहां रह रहे भारतीय भी प्रभावित हों. यही वजह है कि भारत ने एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों से कहा है कि वे देश वापस लौटें. अगर यूक्रेन में रहना बहुत जरूरी न हो तो भारतीय नागरिक यूक्रेन छोड़ दें. भारत यह भी चाहता है कि युद्ध की शुरुआत से पहले ही यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्र वापस लौट आएं. अगर रूस, यूक्रेन पर हमला करे तो भारत को क्या नुकसान होगा, आइए समझते हैं.

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भारत की तटस्थता पहुंचा सकती है नुकसान!

रूस यूक्रेन में दखल देता है तो भारत को कूटनीतिक और आर्थिक तौर पर भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. अमेरिका, यूरोप के बड़े देश और नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) के सदस्य देश रूस के खिलाफ हैं. अगर यूक्रेन में रूस दाखिल होता है तो भारत का तटस्थ रहना उसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. भारत के संबंध जितने प्रगाढ़ अमेरिका से हैं, उतने ही प्रगाढ़ रूस से हैं. यूरोपीय देश भी भारत के अहम भागीदारों में गिने जाते हैं. भारत अपने पंचशील सिद्धांतों को मानता है. दो संप्रभु देशों के बीच आपसी विवाद में भारत दखल नहीं देता है. अगर भारत रूस के साथ जाता है तो अमेरिका नाराज होगा, अमेरिका के साथ जाता है तो रूस. रूस आज भी भारत का सबसे बड़ा डिफेंस पार्टनर है. ऐसे में रूस को भारत कभी नाराज नहीं करेगा. भारत की यह कोशिश जरूर होगी कि विश्व युद्ध की आशंकाओं को टाला जाए.

S-400 की खरीदारी पर भी पड़ेगा असर

रूस-भारत डिफेंस पार्टनरशिप मिशन के तहत भारत रूस से एस-400 (S-400) एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीद रहा है. भारत को उम्मीद है कि अमेरिका, भारत के खिलाफ मिसाइल  डील को लेकर प्रतिबंध नहीं लगाएगा. जब साल 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे तो रूस पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था. रूस को कड़ी सजा देने के लिए 2017 में अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरिज़ थ्रू सैंक्शन ऐक्ट पास किया था. अमेरिका का यह एक्ट उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है जो रूस से सैन्य उपकरण खरीदते हैं. भारत एस-400 को हर हाल में खरीदेगा. ऐसे में यूक्रेन संकट की वजह से अमेरिका भारत पर कड़े प्रतिबंध लगा सकता है. भारत और रूस के बीच एस-400 डील साल 2018 में हुई थी.

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...कहीं चीन के करीब न आ जाए रूस

रूस-यूक्रेन विवाद में शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच घनिष्ठता बढ़ सकती है. बीजिंग में विंटर ओलंपिक्स होने वाले हैं. चीन ने गलवान के कायर कमांडर क्यू फबाओ को हीरो बनाया है. भारत कूटनीतिक स्तर पर इसका बहिष्कार कर रहा है. वहीं पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शी जिनपिंग के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. रूस भारत की जगह चीन के साथ खड़ा नजर आ सकता है.

चीन से हटेगा दुनिया का ध्यान!

अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों का ध्यान इंडो पेसिफिक रणनीति की ओर बढ़ा था. भारत इन देशों के बीच में चर्चा का केंद्र बना हुआ था. जब चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर 1,00,000 लाख सैनिकों की कथित तैनाती की थी तब भी दुनियाभर के देशों का ध्यान गया था. अभी हर देश का ध्यान यूक्रेन और रूस संकट की ओर चला गया है. एक बार फिर चीन सीमाओं पर मनमानी की कोशिश कर सकता है. हालांकि भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है. 

बढ़ेंगी तेल की कीमतें!

अगर रूस यूक्रेन पर हमला कर देता है तो यूरोप पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा. तमाम यूरोपीय देश चिंतित हैं कि रूस गैस और तेल की आपूर्ति को बंद कर सकता है. रूस ऊर्जा की कीमतों को भी बढ़ा सकता है. हालिया तनाव की वजह से बीते एक महीने में तेल की कीमतों में 14 फीसदी इजाफा हुआ है. जानकारों का कहना है कि अगर स्थितियां नियंत्रण में नहीं आईं तो तेल की कीमतें 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. भारत पर भी इसका असर पड़ सकता है.

हिंदुस्तानियों की यूक्रेन में मौजूदगी सबसे बड़ी चिंता!

यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय नागरिक हैं, जिनमें ज्यादातर मेडिकल छात्र हैं. फार्मा, आईटी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग वहां काम कर रहे हैं. भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के बारे में चिंतित है. अगर रूस यूक्रेन में दाखिल होता है तो जाहिर सी बात है कि युद्धजन्य परिस्थियों में भारतीय भी फसेंगे. देश ने इसी वजह से एडवाइजरी जारी की है कि भारतीय यूक्रेन से देश वापस लौटें. 


क्या चाहता है रूस?

रूस चाहता है कि यूक्रेन में नाटो का विस्तार खत्म हो. यूक्रेन किसी भी कीमत पर नाटो ग्रुप में शामिल न हो. नाटो की सेनाएं वापस अपने-अपने देशों की ओर लौटें. पश्चिमी देश वादा करें कि यूक्रेन कभी भी नाटो का सदस्य नहीं होगा. रूस के सुरक्षा की गारंटी भी ली जाए. पश्चिमी देश यूक्रेन को अपना सैन्य अड्डा न बनाएं न ही रूस पर किसी भी तरह का सैन्य दबाव बनाने की कोशिश करें.

रूस से क्या चाहते हैं यूरोपिय देश और अमेरिका?

यूरोपीय देशों और अमेरिका की मांग है कि रूस अपने 1,25,000 से ज्यादा सैनिकों को यूक्रेन बॉर्डर से वापस बुलाए. बेलारूस और यूक्रेन जैसे देशों को सैन्य धमकियां रूस न दे. पश्चिमी देश चाहते हैं यूक्रेन नाटो का हिस्सा बने. रूस की सुरक्षा पर द्विपक्षीय बात हो. किसी भी कीमत पर पश्चिमी देश चाहते हैं कि यूक्रेन भी नाटो के सदस्य देशों में शुमार हों. रूस को यही खटक रहा है. पश्चिमी देश इस बात की भी गारंटी चाहते हैं कि रूस किसी भी कीमत पर यूक्रेन पर हमला न करे. रूस बार-बार दोहरा रहा है कि वह यूक्रेन पर हमला नहीं, अपनी सुरक्षा कर रहा है. 

भारत को क्या करना चाहिए?

भारत खुद चौतरफा संकटों से घिरा है. पाकिस्तान, नेपाल और चीन के साथ अलग-अलग सीमा विवाद चल रहा है. लद्दाख और कश्मीर भारत के सबसे संवेदनशील हिस्सों में शुमार हैं. गलवान के जख्म अभी तक नहीं भरे हैं. अगर भारत किसी भी एक पक्ष को नाराज करता है तो कूटनीतिक स्तर पर इसका फायदा चीन को मिलना तय है. भारत अगर अपने पंचशील सिद्धांतो पर टिका रहे तो देश की तटस्थता उसे इस विवाद से बचा सकती है. हालांकि भारत की सबसे बड़ी चिंता है कि यूक्रेन में रह रहे भारतीय जल्दी से जल्दी से देश लौटें. अगर युद्ध हुआ तो रेस्क्यू कर पाना बहुत मुश्किल होगा. 

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