डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. यूक्रेन की सीमाओं पर 1,25,000 रूसी सेना के जवान खड़े हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि नाटो देशों और रूसी सेना के बीच कभी भी युद्ध शुरू हो सकता है. इस बीच युद्ध को रोकने की कोशिशें भी जारी हैं, मगर अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया. आखिर विवाद है क्या? किस बात का झगड़ा है रूस और यूक्रेन के बीच जिससे युद्ध जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं.
1. यूक्रेन का इतिहास और भूगोल क्या है?
यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है.1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन आजाद हुआ था.उस दौरान करीब 3 करोड़ रूसी लोग अपने मूल देश से बाहर हो गए थे. इनमें ज्यादातर यूक्रेन में थे.यूक्रेन की सामाएं उत्तर-पूर्व और पूर्व में रूस, उत्तर-पश्चिम में बेलारूस, पश्चिम में पोलैंड और स्लोवाकिया और दक्षिण-पश्चिम में हंगरी और रोमानिया से लगती हैं.
2.यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई की जड़ क्या है?
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से के लोगों का देश के प्रति गहरा असंतोष है.इसका फायदा रूस भी उठा रहा है. उसने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है. अगर इन दोनों देशों की बीच लड़ाई की जड़ की बात करें तो सीधे शब्दों में रूस नहीं चाहता कि यूक्रेन की ताकत बढ़े या वह पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध बना पाए. इसे लेकर यूक्रेन की जनता भी दो भागों में बंटी है. यूक्रेन के राष्ट्रवादी लोग रूस की छाया से बाहर आने और पश्चिमी देशों का हिस्सा बनने की पैरवी करते हैं. वहीं यूक्रेन के भीतर रूस से खुद को जोड़कर देखने वाले लोग इसके पक्ष में नजर नहीं आते हैं. ऐसे में स्थिति और भी जटिल हो गई है.
3.कब शुरू हुआ था यह तनाव औऱ विवाद?
2014 में रूस ने यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर नियंत्रण कर लिया था. क्रीमिया वह प्रायद्वीप है जिसे सन् 1954 में सोवियत संघ ने यूक्रेन को तोहफे में दिया था. जब यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ तो कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव भी पैदा हुआ. इसी के बाद 2015 में फ्रांस और जर्मनी ने बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता भी कराया था. इसके बाद स्थिति शांतिपूर्ण हो गई थी.
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4. क्या चाहता है रूस?
इसके बाद से ही यूक्रेन पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशों में जुटा है.रूस को यह बात पसंद नहीं है. वह नहीं चाहता कि यूक्रेन पश्चिमी देशों से अच्छे संबंध रखे या NATO (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) का सदस्य बने.अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश इस संगठन के सदस्य हैं. नाटो का सदस्य होने का मतलब है कि अगर सगंठन के किसी भी देश पर कोई तीसरा देश हमला करता है तो सभी सदस्य एकजुट होकर उसका मुकाबला करेंगे. रूस का कहना है कि अगर नाटो की तरफ से यूक्रेन को मदद मिली तो उसका अंजाम सबको भुगतना होगा.
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5. मौजूदा स्थिति क्या है?
इस बीच अमेरिका ने लगातार यूक्रेन में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है. 2021 में अमेरिका ने यूक्रेन को 65 करोड़ डॉलर के सैन्य उपकरण औऱ सहयोग दिया है.वहीं व्लादिमीर पुतिन ने रूस और बेलारूस में यूक्रेन से लगती सीमा पर अपने लाखों सैनिक तैनात कर ताकत का प्रदर्शन किया है.अब अमेरिका और रूस के अधिकारियों के बीच भी बातें चल रही हैं. फिलहाल तक कोई समाधान सामने नहीं आया है.
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