बोरे भरकर नमक खरीद रहे दक्षिण कोरिया में लोग, 27 फीसदी बढ़े दाम, जानिए इस 'शॉपिंग' का जापानी लिंक

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 30, 2023, 11:12 AM IST

Japan ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांंट का रेडियोएक्टिव पानी समुद्र में छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है.

Japan ने अपने फुकुशिमा परमाणु प्लांट का रेडियोएक्टिव वाटर रिलीज करने की घोषणा की है. यह रेडियोएक्टिव पानी समुद्र में छोड़ा जाएगा.

डीएनए हिंदी: South Korea News- दक्षिण कोरिया में जनता बोरे भरकर नमक खरीद रही है और उसे अपने घर में स्टोर कर रही है. इससे कोरिया में नमक की कीमतें 27 फीसदी तक बढ़ गई हैं. नमक की इस पैनिक-बाइंग (Panic-Buying) का कारण है जनता में फैला वो खौफ, जो जापान के एक फैसले ने पैदा कर दिया है. जापान ने अपने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट (Fukushima nuclear plant) का करीब 10 लाख मीट्रिक टन रेडियोएक्टिव वाटर समुद्र में छोड़ने की घोषणा की है. हालांकि जापान ने कहा है कि यह वाटर ट्रीटेड है यानी इसे रेडियोएक्टिव मुक्त कर दिया गया है. इसके बावजूद न्यूक्लियर रिएक्टर का इतना सारा पानी समुद्र में छोड़ने के कारण दक्षिण कोरिया समेत जापान के उन सभी पड़ोसी देशों में खौफ फैल गया है, जो जापान के साथ समुद्र साझा करते हैं.

सुनामी में डैमेज हो गया था फुकुशिमा रिएक्टर

फुकुशिमा न्यूक्लियर रिएक्टर साल 2011 में जापान में आए भूकंप के बाद समुद्र में उठी सुनामी (Tsunami) की लहरों की चपेट में आ गया था. सुनामी ने इस रिएक्टर को भारी नुकसान पहुंचाया था. इसके चलते यह न्यूक्लियर प्लांट बंद करना पड़ा था, लेकिन इसमें अब भी रेडियोएक्टिव पदार्थ मौजूद होने के कारण जापान लगातार रिएक्टर्स को ठंडा रखने की कोशिश कर रहा है. समुद्र में छोड़ा जाने वाला पानी इन रिएक्टर्स को ठंडा रखने में ही यूज किया जा रहा था. 

कोरियाई जनता को सताया नमक की किल्लत का डर

Wion News की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरियाई जनता को डर है कि जापान के समुद्र में रेडियोएक्टिव वाटर रिलीज करने के बाद उसके पानी से नमक बनना बंद हो जाएगा. इससे नमक की किल्लत पैदा हो जाएगी. इसी कारण वहां नमक की जबरदस्त खरीद (Panic-Buying) शुरू हो गई है. दो महीने में ही नमक के दाम 27% तक महंगे हो गए हैं. आगे खराब मौसम और कम उत्पादन के कारण नमक के दामों में और ज्यादा बढ़ोतरी होने के आसार दिख रहे हैं. दक्षिण कोरिया की सरकार नमक की कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. इसके चलते सरकार ने 11 जुलाई तक रोजाना बाजार में करीब 50 मीट्रिक टन सस्ता नमक उतारने का निर्णय लिया है. यह नमक बाजार के दाम से 20% सस्ता होगा. इस 20% सब्सिडी का बोझ कोरियाई सरकार उठाएगी.

जापान में भी चिंता का माहौल

जापानी सरकार की तरफ से लगातार यह आश्वासन दिया जा रहा है कि समुद्र में छोड़ा जा रहा पानी पूरी तरह सुरक्षित है. इसके बावजूद जापान में भी इस पानी के कारण कम चिंताएं नहीं हैं. जापानी मछुआरे और दुकानदार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हाइड्रोजन के खतरनाक आइसोटॉप्स के कारण इस पानी से समुद्र जहरीला हो सकता है, जो समुद्र से निकाले जाने वाले समुद्री नमक, सीफूड, मछली आदि के जरिये आम लोगों तक पहुंच सकता है.

चीन ने दी चेतावनी 'पूरी दुनिया की हेल्थ पर दिखेगा असर'

जापान के रेडियोएक्टिव वाटर छोड़ने का उसके सभी पड़ोसी देश विरोध कर रहे हैं. इनमें दक्षिण कोरिया के साथ ही चीन भी है. चीन के विदेश मंत्रालय ने जापान की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि इस एकतरफा कदम से क्षेत्र में समुद्री जीवन से लेकर पूरी दुनिया के लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर दिखाई देगा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने जापानी अधिकारियों को चुनौती दी है कि यदि फुकुशिमा प्लांट से निकला ट्रीटेड पानी सुरक्षित है तो पहले वे इसे खुद पीकर यह बात साबित करें. दक्षिण कोरिया ने भी इस मुद्दे पर सियोल में मौजूद जापानी राजदूत को तलब किया है. रिपोर्ट हैं कि कोरियाई सरकार ने जापानी राजदूत को चेतावनी दी है कि इस मुद्दे पर वे जापान के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट में कानूनी कार्रवाई करेंगे. ताइवान भी लगातार इस मुद्दे पर चिंता जता रहा है.

क्या सुरक्षित है न्यूक्लियर रिएक्टर से निकला पानी

जापान ने कहा है कि न्यूक्लियर रिएक्टर से निकले हुए पानी का ट्रीटमेंट किया गया है. इससे पानी के अंदर आ गए अधिकतर रेडियोएक्टिव आइसोटॉप्स फिल्टर हो गए हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पानी में अब भी ट्रिटियम की मात्रा मौजूद है, जो हाइड्रोजन का आइसोटॉप्स है. इसे पानी से अलग करना बेहद मुश्किल है. हालांकि एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि इस पानी को रिलीज करने का पर्यावरण पर कोई खास दुष्प्रभाव नहीं होगा. CNBC ने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस के एक्सपर्ट ब्रेंट ह्यूजर के हवाले से कहा है कि ट्रिटियम कम मात्रा में होने पर नुकसानदेह नहीं है. यह बेहद हल्का रहने वाला है, जो चिंता की बात नहीं है. इसका पर्यावरण पर जीरो इफेक्ट होगा. 

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