वैक्सीन पासपोर्ट कैसे बना डिजिटल पास, क्यों दुनियाभर में हो रहा इसका विरोध?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 06, 2021, 05:35 PM IST

Vaccine Passport: दुनियाभर में वैक्सीन पासपोर्ट पर नई बहस छिड़ गई है. कई देशों के नागरिक इस वैश्विक पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी के बाद से दुनियाभर में बड़े बदलाव हुए हैं. ऐसी घटनाएं वैश्विक स्तर पर हुई और जिन्होंने दुनियाभर में कार्यव्यवहार को बदल दिया. कोरोना पासपोर्ट (Corona Passport) उन घटनाओं में से एक है. एविएशन और ट्रैवेल इंडस्ट्री (Aviation and Travel Industry) पर भी कोरोना महामारी का बेहद बुरा प्रभाव पड़ा. अब ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 2023 तक फिर से विमानन क्षेत्र और यात्रा उद्योग को कोरोना वायरस महामारी से पूर्व के स्तर पर लौटाया जा सकता है. महामारी के 2 साल बीतने के बाद भी केवल कुछ ही देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने देश के द्वार पर्यटन उद्योग के लिए खोला है. 

महामारी के अस्तित्व में आने के बाद से ही दुनिया के ज्यादातर देशों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को पूरी तरह से रद्द कर दिया था. इसके पीछे मकसद यही था कि कोरोना महामारी को व्यापक तौर पर बढ़ने से रोका जा सके. अब दुनियाभर में पर्यटन उद्योग बेहतर शुरुआत की तलाश में है. 

दुनिया को पर्यटन उद्योग में एक बार फिर आशा की किरण दिख रही है. कई देश, स्वतंत्र एजेंसियां और एयरलाइंस लोगों की यात्रा को बेहतर बनाने के लिए लगातार कोशिशों में जुटे हैं. इन्हीं कोशिशों के बीच 'वैक्सीन पासपोर्ट' या 'Covid-19 पासपोर्ट' का कॉन्सेप्ट तेजी से उभर रहा है. ग्लोबल लेवल पर यात्रियों के मन में इसे लेकर तरह-तरह की आशंकाएं हैं. इसे कुछ जगह 'ट्रैवल पास' भी कहा जा रहा है.

क्या है वैक्सीन पासपोर्ट?

वैक्सीन पासपोर्ट एक तरह का ट्रैवल पास है जिसमें एक यात्री के स्वास्थ्य संबंधी विवरण दिए गए होते हैं, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के दौरान असुविधा का सामना न करना पड़े. हर देश में वैक्सीन पासपोर्ट जारी करने की अलग-अलग प्रक्रिया है. वैक्सीन पासपोर्ट में इस बात का विवरण होता है कि यह व्यक्ति कोरोना संक्रमण के खिलाफ पूरी तरह से वैक्सीनेटेड है. इसे कोविड मेडिकल रिपोर्ट भी माना जा सकता है. यह पासपोर्ट इस बात का प्रमाण होता है कि दूसरे देश की यात्रा पर जा रहे अमुक व्यक्ति कोरोना का वैक्सीन ले चुका है. यात्री के कोविड रिपोर्ट की मौजूदा स्थिति क्या है? इसे डिजिटल फुटप्रिंट भी कहा जा रहा है. यह मेजबान देश के पास अपने नागरिक की सही जानकारी देने का एक वैध तरीका भी है.
 
कई देशों का मानना है कि वैक्सीन पासपोर्ट के जरिए अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में तेजी आएगी. वहीं कुछ ऐसे भी देश हैं जिनका मानना है कि ट्रैवल पास नागरिकों की आजादी का हक छीनता है. हालांकि एक ऐप के जरिए आपके हेल्थ संबंधित विववरणों को मैनेज करने का यह एक अच्छा माध्यम हो सकता है.

क्यों पड़ रही है वैक्सीन पासपोर्ट की जरूरत?

वैक्सीन पासपोर्ट की नींव कब पड़ी, इसका भी किस्सा दिलचस्प है. जब दुनिया येलो फीवर से जूझ रही थी तब पहली बार वैक्सीन पासपोर्ट का टर्म सामने आया था. उन दिनों एक वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया था जिसका नाम 'येलो कार्ड' रखा गया था. 

'येलो कार्ड' आज से 88 साल पहले जारी किया जाता था. यह भी एक तरह का वैक्सीन पासपोर्ट था जिसे अनिवार्य कर दिया गया था. द हेग इंटरनेशनल सैनिटरी कन्वेंशन फॉर एरियल नेविगेशन 1933  में इसे स्थापित किया गया था जिसे बाद में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी एडॉप्ट कर लिया था. 

अब बदलते वक्त के साथ मॉर्डन ट्रैवेल पास, डिजिटल फॉर्म में सामने आ रहा है. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने COVID-19 पासपोर्ट को लागू करने की पहली सामूहिक अपील की थी. यूएनडब्ल्यूटीओ के महासचिव ज़ुराब पोलोलिकाश्विली ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा को सुरक्षित रूप से फिर से शुरू करने के लिए वैक्सीन पासपोर्ट को वैश्विक रूप से अपनाने का आह्वान किया था.  
किन देशों ने मांगा है वैक्सीन पासपोर्ट?

कई देशों की वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर स्पष्ट राय है कि यह जरूरी होना चाहिए. कई देशों ने इसे पहले ही लागू कर दिया है. चीन एशिया-पेसिफिक देशों में पहला देश था जिसने अपने सभी नागरिकों को कोविड-19 सर्टिफिकेट दिया था जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए सहमति मिल सके. 

आइसलैंड

यह पहला नॉर्डिक राज्य था जिसने कोविड-19 सर्टिफिकेट 2020 में जारी किया था. जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग गई हैं, उन्हें इस देश ने एक डिजिटल सर्टिफिकेट दिया है. 

इजरायल

इजरायल के स्वास्थ्य विभाग ने एक ग्रीन पासपोर्ट जारी किया है, जिसके तहत् जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुकी है, वे यात्रा कर सकते हैं और सामूहिक आयोजनों में हिस्सा ले सकते  हैं. यह पासपोर्ट डिजिटल और फिजिकल दोनों माध्यमों में उपलब्ध है.

अमीरात

अमीरात ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा कमीशंड इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन (IATA) के साथ भागीदारी की है जिसके जरिए टेंपर प्रूफ वै्सीन पासपोर्ट जारी किया है. इसे IATA ट्रैवल पास का नाम दिया गया है.

कॉमन पास

कॉमन पास 'The Commons Project' की ओर से लॉन्च किया जा रहा है. इसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और अन्य प्राइवेट पार्टनर्स के साझे प्रयास के तौर देखा जा रहा है. कॉमन पास पर दुनियाभर के करीब 2000 एरपोर्ट्स ने एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल के प्रावधानों के तहत हस्ताक्षर किया है. 

क्या हैं चुनौतियां?

कोरोना वैक्सीन पासपोर्ट पर दुनिया के सारे देश एकमत नहीं हैं. कई देशों ने वैक्सीन पासपोर्ट का विरोध जताया है. कुछ देश जहां इसे लागू करना भी चाह रहे हैं वहां स्थानीय स्तर पर जनता विरोध में उतर आई है. वहीं WTTC (World Travel & Tourism Council) की मांग है कि वैक्सीन पासपोर्ट को अनिवार्य किया जाए. कुछ लोगों का कहना है कि यह विभाजनकारी है. WTTC का कहना है कि यात्रियों की यात्रा से पहले कोविड टेस्टिंग बेहतर विकल्प है. वहीं इटली और कनाडा जैसे देशों में वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर विरोध प्रदर्शन दर्ज किए गए थे.  

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