What is Cloudburst: देश के दक्षिण से उत्तर तक तीन राज्यों में तीन दिन के अंदर बादल फटने की 6 घटनाएं हुई हैं. केरल के वायनाड से लेकर उत्तराखंड के केदारनाथ और हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, शिमला और मंडी जिलों में इसके चलते तबाही जैसे हालात बने हुए हैं. वायनाड में जहां 167 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं केदारनाथ में सैकड़ों जान जल सैलाब के बीच फंसी हुई हैं. हिमाचल के तीनों जिलों में भारी तबाही के साथ ही 50 से ज्यादा लोग लापता हैं. इन सब घटनाओं के बारे में जानकर आपके मन में भी आ रहा होगा कि आखिर बादल फटना क्या होता है? यह घटना कब और कैसे होती है? बादल फटने का कारण क्या होता है और ये घटनाएं मानसून सीजन में ही क्यों ज्यादा देखने को मिलती हैं? चलिए हम आपको इन सभी बातों का जवाब देते हैं.
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पहले जानिए क्या होता है बादल फटना
बादल फटना उस घटना को कहते हैं, जिसमें किसी एक जगह अचानक बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है. मौसम विज्ञानी इसे 1 घंटे के मानक पर आंकते हैं. यदि 1 घंटे के अंदर कहीं 100 mm या उससे ज्यादा बारिश होती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं. इसे साइंटिफिक लेंग्वेज में 'क्लाउडबर्स्ट' या 'फ्लैश फ्लड' भी कहा जाता है. इसमें ऐसा प्रभाव होता है जैसे, आप बाल्टी भरकर अचानक उसे किसी एक जगह पर उड़ेल दें.
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बादल फटने की घटना क्यों और कब होती है?
किसी एक जगह बहुत सारे नमी वाले बादल (आम बोलचाल में बारिश वाले बादल) जमा होने पर पानी की बूंदों के आपस में मिलने से यह घटना होती है. पानी की बूंदों के मिलने से उनके वजन के कारण बादल की डेंसिटी बढ़ जाती है, जिससे वह अचानक बहुत ज्यादा पानी बरसा देता है.
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पहाड़ों पर ही क्यों होती हैं बादल फटने की ज्यादा घटनाएं?
बादल फटने की घटना कहीं पर भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह पहाड़ी इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है. दरअसल बादल फटने की घटना अमूमन धरती की सतह से 12-15 किलोमीटर पर होती है. पहाड़ी इलाकों में पानी से भर बादल दो पहाड़ों के बीच फंसने के चलते अचानक पानी में बदल जाते हैं. इससे एक ही जगह पर बहुत ज्यादा तेज बारिश होने लगती है, जिसे बादल फटना कहा जाता है.
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बादल फटने से क्यों मचती है तबाही?
बादल फटने के कारण तबाही का असली कारण तेजी से आए जल सैलाब से बाढ़ जैसे हालात पैदा होना होता है. नदी-नालों में पानी भयावह गति से दौड़ता है, जो किनारे तोड़कर आसपास के इलाकों तक में बाढ़ ले आता है. पानी की बहुत ज्यादा गति होने के कारण मिट्टी कट जाती है. यदि पहाड़ी इलाका होता है तो ढलान पर यह गति और ज्यादा हो जाती है, जो बड़े-बड़े बोल्डरों को भी अपने साथ लुढ़काकर लाती है, जिनकी चपेट में आकर बड़े-बड़े भवन, पुल आदि भी ध्वस्त हो जाते हैं. इसके चलते वहां जान-माल की हानि ज्यादा होती है. केरल के वायनाड में ऐसे ही हालात बने हैं, जिसके चलते 167 लोगों की मौत हुई है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
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