Bangladesh मांग रहा भारत से Sheikh Hasina को वापस, क्या कहती है दोनों देशों की प्रत्यर्पण संधि?

कुलदीप पंवार | Updated:Sep 11, 2024, 08:08 AM IST

India Bangladesh Extradition Treaty: भारत-बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है. इसी संधि के आधार पर वहां की अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस मांगा है. अंतरिम बांग्लादेश सरकार का दावा है कि इसकी कार्रवाई शुरू हो गई है.

India Bangladesh Extradition Treaty: बांग्लादेश में पिछले महीने छात्र आंदोलन की आड़ में प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्तापलट करने के बाद कट्टरपंथी हावी हो चुके हैं. कट्टरपंथियों ने इसके बाद राजनीतिक बदले का दौर शुरू कर रखा है, जिसमें शेख हसीना का पार्टी अवामी लीग के तमाम कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो चुकी हैं और बहुत सारे नेता जेल में ठूंस दिए गए हैं. 5 अगस्त को तख्तापलट के बाद शेख हसीना को भारत भागने का मौका दिया गया था. तब शेख हसीना और विरोधी नेताओं के बीच एक डील होने की खबरें सामने आई थीं, जिनमें बांग्लादेश नहीं लौटने के बदले शेख हसीना का जान बख्शने का सौदा किया गया था. अब बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार कामकाज कर रही है, जो अलग ही बात कह रही है. अंतरिम सरकार ने कहा है कि शेख हसीना को बांग्लादेश वापस लाया जाएगा. उनके खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमे चलाए जाएंगे. इसके लिए भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि के तहत शेख हसीना को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करने का भी दावा किया गया है. हालांकि भारत सरकार ने इन दावों पर कुछ नहीं कहा है. साथ ही शेख हसीना के भविष्य को लेकर भी भारत सरकार ने चुप्पी साधी हुई है.

क्या कर रही है अंतरिम सरकार

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के फौरन बाद शेख हसीना के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने का दौर शुरू हुआ है. उन्हें कई हत्याओं के मामलों में नामजद किया जा चुका है. इनमें छोटे-छोटे दुकानदारों और यहां तक कि ठेला चलाने वालों की हत्या भी शामिल हैं, जिसके बारे में सुनकर ही स्पष्ट अहसास हो जाएगा कि ये राजनीतिक मुकदमा है. ये मुकदमे बांग्लादेश में 15 जुलाई से 5 अगस्त तक चले हिंसक प्रदर्शनों को आधार बनाकर शेख हसीना पर दर्ज किए जा रहे हैं. अब मोहम्मद यूनुस की सरकार शेख हसीना को भारत से लाकर कथित अपराधों की सजा देने का दावा कर रही है. बांग्लादेश के International Crimes Tribunal ने बयान जारी कर कहा है कि भारत से शेख हसीना को वापस लाने के लिए जरूरी कार्रवाई को शुरू कर दिया गया है.

2013 में हुई थी भारत-बांग्लादेश के बीच की प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जिसका मकसद एक देश में अपराध करने के बाद दूसरे देश में जाकर छिप जाने वाले गैंगस्टरों और माफियाओं पर शिकंजा कसना था. अब इसी प्रत्यर्पण संधि के जरिये यूनुस सरकार ने शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश लाने की तैयारी की है. हालांकि प्रत्यर्पण संधि के प्रावधान इस राह का रोड़ा बन सकते हैं.

क्या कहता है प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल-2

प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल-2 कहता है अगर किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है, जिसकी सजा एक साल से ज्यादा हो सकती है तो उस व्यक्ति का प्रत्यर्पण किया जा सकता है. इसी वजह से बांग्लादेश में शेख हसीना के ऊपर हत्या के इल्जाम लगाए गए हैं, क्योंकि बांग्लादेश के कानून में मर्डर पर सजा-ए-मौत का प्रावधान है. लेकिन इसी संधि में एक पेच है, जिसकी वजह से अगर भारत चाहे तो वो शेख हसीना को वापस भेजने के लिए बाध्य नहीं है. यह पेच संधि के आर्टिकल-6 और 8 के कारण आया है.

क्या कहते हैं प्रत्यर्पण संधि के आर्टिकल-6 और 8

यानी प्रत्यर्पण संधि होने के बाद भी अगर भारत को लगता है कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग राजनीति से प्रेरित है या फिर बांग्लादेश जाने पर शेख हसीना के साथ अन्याय हो सकता है, तो भारत प्रत्यर्पण के लिए बाध्य नहीं है

प्रत्यर्पण नहीं हुआ तो क्या भारत में रहेंगी शेख हसीना?

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अपील पर शेख हसीना का प्रत्यर्पण किया जाएगा या नहीं. ये पूरी तरह भारत के हाथ में है, लेकिन ऐसा नहीं होने पर भी शेख हसीना ज्यादा दिन तक भारत में नहीं रह पाएंगी. दरअसल बांग्लादेश के लिए भारतीय वीजा पॉलिसी में प्रावधान है कि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट वाले व्यक्ति को भारत में वीजा फ्री एंट्री मिलती है और वो व्यक्ति 45 दिन तक भारत में रह सकता है. शेख हसीना 5 अगस्त को भारत आई थीं यानी अब तक उन्हें 36 दिन हो चुके हैं. 45 दिन की तय टाइम लिमिट के लिहाज से अगले 9 दिनों के अंदर ही शेख हसीना को कुछ करना होगा ताकि वो भारत में रह सकें.

क्या भारत दे सकता है शेख हसीना को शरण?

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संधि पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसी वजह से भारत में शरणार्थी और राजनीतिक शरण की तय परिभाषा नहीं है. अगर शेख हसीना भारत में शरण के लिए आवेदन करती हैं तो भारत सरकार उन्हें शरण दे सकती है. लेकिन इससे पड़ोस में मुहम्मद यूनुस की सरकार नाराज हो जाएगी, जो फिलहाल बांग्लादेश में सत्ता पर काबिज है. यह स्थिति भारत के लिए दो कारण से थोड़ी नुकसानदायक साबित हो सकती है. पहला कारण वहां रहने वाले 1.31 करोड़ हिंदू हैं, जिन्हें कट्टरपंथी तत्व नुकसान पहुंचा सकते हैं. दूसरा कारण, बांग्लादेश का झुकाव चीन-पाकिस्तान की तरफ और ज्यादा बढ़ने का डर भी है.

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