डीएनए हिंदी: Parliament Monsoon Session Latest News- संसद के मानसून सत्र में मणिपुर हिंसा को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच हंगामा चल रहा है. कांग्रेस नेतृत्व वाले 26 दलों के विपक्षी गुट INDIA ने बुधवार को लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने पेश किया है, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने स्वीकार कर लिया है. स्पीकर ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए वे सभी दलों के साथ बात करने के बाद समय तय करेंगे. हालांकि यह अविश्वास प्रस्ताव महज एक औपचारिकता माना जा रहा है, क्योंकि लोकसभा में संख्याबल के लिहाज से मोदी सरकार के पास बहुमत से कहीं ज्यादा बड़ा आंकड़ा मौजूद है. खुद कांग्रेस ने भी माना है कि उसने यह अविश्वास प्रस्ताव महज मणिपुर मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी पर सदन में आकर बयान देने का दबाव बनाने के लिए पेश किया है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है और इसमें नंबर गेम की अहमियत किस तरह होती है, जिससे सरकार तक गिर जाती है. संविधान के किस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश होता है और इसके तहत वोटिंग की क्या प्रक्रिया है? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको देंगे.
पहले जान लेते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है?
अविश्वास प्रस्ताव वह प्रक्रिया है, जिसके तहत विपक्षी दल सरकार के पास पर्याप्त संख्या में बहुमत नहीं होने की चुनौती दे सकते हैं. इसके लिए एक पूरी प्रक्रिया है, जिसमें अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस लोकसभा स्पीकर को देने के बाद उसे मंजूरी मिलने समेत कई चरण हैं. सबसे आखिर में इस प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जाती है, जिसमें यदि सत्ता पक्ष के समर्थन में बहुमत के बराबर वोट नहीं पड़ते हैं तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है. खास बात यह है कि अविश्वास प्रस्ताव केवल संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में ही पेश हो सकता है. राज्यसभा के सदस्यों को सरकार के अल्पमत में होने पर भी यह प्रस्ताव पेश करने का अधिकार नहीं है.
किस नियम के तहत लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव, क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई जिक्र नहीं है. यह व्यवस्था संसदीय कार्य प्रणाली के नियमों के तहत ली गई है, जो ब्रिटिश वेस्टमिंस्टर संसदीय लोकतंत्र मॉडल पर आधारित है. संविधान में जिक्र नहीं होने के बावजूद लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन प्रणाली के नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लाने की इजाजत लोकसभा के सांसदों को दी गई है. कोई भी सांसद इस नियम का उपयोग उस स्थिति में कर सकता है, जब उसे सरकार के अल्पमत में होने का शक हो. हालांकि इसके लिए प्रस्ताव पेश करने पर सांसद को साथ में कम से कम 50 सांसदों का समर्थन भी पेश करना पड़ता है.
नियम 198 के तहत कैसे है अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
अविश्वास प्रस्ताव की पूरी प्रक्रिया लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन प्रणाली के नियम 198 (1) से नियम 198 (5) तक के तहत पूरी की जाती है. यह प्रक्रिया निम्न तरीके से पूरी होती है-
अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग से जुड़ी है ये खास बात
वोटिंग के दौरान लोकसभा के सभी सदस्य अपना वोट प्रस्ताव के पक्ष में या विपक्ष में डाल सकते हैं. यदि वोटिंग के दौरान आधे से ज्यादा सदस्यों का वोट प्रस्ताव के पक्ष में होता है तो सरकार को अल्पमत घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद सरकार को इस्तीफा देना होता है. यदि इसके उल्टा होता है तो अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो जाता है.
मौजूदा लोकसभा में यह है वोट का अंकगणित
संसद में अविश्वास प्रस्ताव का ये है इतिहास
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