Spoofed GPS Signal के कारण मिडिल ईस्ट में भटक रहे भारतीय विमान, क्या है ये और कैसे है खतरनाक

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 24, 2023, 05:02 PM IST

Airplane GPS Navigation System (Representational Photo)

What is Spoofed GPS Signal: पिछले दो-तीन महीनों के दौरान भारतीय कॉमर्शियल फ्लाइट्स के कई बार मिडिल ईस्ट एरिया में खासतौर पर ईरान के करीब रास्ता भटकने के बाद DGCA के भी कान खड़े हुए हैं. इसे लेकर एडवाइजरी जारी की गई है.

डीएनए हिंदी: भारतीय विमान मिडिल ईस्ट यानी खाड़ी एरिया में जाकर रास्ता भटक रहे हैं. खासतौर पर ईरान के करीब से गुजर रहे विमान GPS सिग्नल गायब होने के कारण काफी देर तक Blind Flying कर रहे हैं, जिससे उनके क्रैश होने या दूसरे विमान से टकराने का खतरा पैदा हो गया है. इसे Spoofed GPS Signal का मामला माना जा रहा है यानी कोई जानबूझकर विमानों के नेविगेशन सिस्टम को जाम कर रहा है. इस तरह की कई घटनाएं सामने आने के बाद नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के कान खड़े हो गए हैं. DGCA ने सभी भारतीय एयरलाइंस को इसे लेकर एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें इस खतरे के बारे में बताने के साथ ही इससे निपटने का तरीका भी समझाया गाय है. 

क्या कहा है DGCA ने अपनी एडवाइजरी में

DGCA ने एडवाइजरी में कहा है कि एविएशन इंडस्ट्री GNSS (Global Navigation Satellite System) को जाम करने या चकमा देने के नई तरह के खतरे की जद में आ गई है. रिपोर्ट में इस बात का संज्ञान लिया गया है कि हालिया दिनों में मिडिल ईस्ट के ऊपर से उड़ान भरते समय GNSS में अवरोध आने की घटनाएं बढ़ी हैं. इसके चलते नेविगेशन सिस्टम को जाम करने से निपटने वाले सुरक्षा मानकों के विकास की जरूरत महसूस हो रही है. DGCA ने सभी एयरलाइंस को खतरे की निगरानी और विश्लेषण करने वाला नेटवर्क तैयार करने के लिए कहा है. 

क्यों उठ रही है ये चिंता

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर के आखिर में ईरान के करीब कई कॉमर्शियल फ्लाइट्स के अपने नेविगेशन सिस्टम के ब्लाइंड मोड में जाने के कारण राह भटककर दूसरी तरफ चले जाने की घटनाएं हुई थीं. एक एयरक्राफ्ट इस कारण बिना परमिशन के तकरीबन ईरानी एयरस्पेस में उड़ान भरने लगा था, जिससे उसे मिसाइल से निशाना बनाए जाने का खतरा पैदा हो गया था. प्रोफेशनल पायलटों, फ्लाइट डिस्पेचर्स, शेड्यूलर्स और कंट्रोलर्स के समूह OpSGroup ने इस स्थिति को बेहद खतरनाक बताया है. इन सभी का आकलन है कि कुछ खास जगह पर विमान के नेविगेशन सिस्टम को Spoofed GPS Signal के जरिये भ्रमित किया जा रहा है.

क्या होते हैं Spoofed GPS Signal और कैसे करता है ये काम

विमान उड़ान भरते समय GPS सिग्नल के जरिये अपना रास्ता तय करता है. इस दौरान उसके नेटवर्क में Spoofed GPS Signal यानी नकली जीपीएस सिग्नल भेजकर व्यवधान पैदा कर दिया जाता है. इससे विमान का नेविगेशन सिस्टम भ्रमित हो जाता है और यह सोचने लगता है कि वे अपने तय रूट से कई मील अलग उड़ान भर रहे हैं. यह सिग्नल कई बार इतने मजबूत होते हैं कि ये एयरक्राफ्ट सिस्टम की आंतरिक सुरक्षा में सेंध लगा देते हैं और विमान अपने रास्ते से भटक जाता है. इसका असर एक मिनट से भी कम समय में दिखने लगता है. विमान का inertial reference system (IRS) अनियंत्रित हो जाता है और कई केस में विमान नेविगेशन की क्षमता पूरी तरह खो देता है.

क्यों है ये बहुत बड़ा खतरा?

विमान के नेविगेशन सिस्टम को Spoof करने की कई घटनाएं उत्तरी इराक और अजरबैजान में इरबिल के करीब हुई हैं, जो बेहद व्यस्त एयर ट्रैफिक रूट है. सितंबर से अब तक 12 अलग-अलग घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं, जिनमें सबसे ताजा घटना तुर्की की राजधानी अंकारा के करीब 20 नवंबर को रिकॉर्ड की गई है. बेहद व्यस्त रूट होने के कारण विमान के थोड़ी देर के लिए भी Blind Flying करने पर उसके किसी दूसरे विमान से टकराने की संभावना बड़े पैमाने पर बढ़ रही है.

कौन कर रहा है ये काम?

अभी तक इस मामले में कोई भी दोषी नहीं पहचाना गया है. माना जा रहा है कि इसका कारण इस एरिया में लगातार बढ़ रही रीजनल टेंशन के चलते सभी देशों द्वारा मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम्स तैनात करना हो सकता है. इन सिस्टम्स के कारण इस एरिया में सिग्नल जैमिंग और स्पूफिंग वाले उपकरणों का यूज बढ़ गया है.

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