डीएनए हिंदी: Imran Khan Latest News- पाकिस्तान की राजनीति में शनिवार (5 अगस्त) को भूचाल आ गया है. पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Former Pakistan Pm Imran Khan) को तोशाखान मामले में 3 साल की सजा सुनाई गई है, जिसके बाद उनका जेल जाना तय हो गया है. साथ ही वे चुनाव लड़ने से भी 5 साल के लिए अयोग्य होने जा रहे हैं. पाकिस्तान को क्रिकेट में वर्ल्ड कप जिताने वाले पूर्व कप्तान इमरान खान का राजनीतिक करियर संकट में माना जा रहा है. ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि आखिर तोशाखान केस क्या है (What is Toshakhana Case), जिसने इमरान को अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया है.
चलिए हम आपको इस बारे में 8 पॉइंट्स में बताते हैं.
1. पहले जान लीजिए तोशाखाना किसे कहते हैं
तोशाखाना फारसी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब खजाने वाला कमरा होता है. यह शब्द भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल बादशाहों के दौर में सरकारी कामकाज का हिस्सा बना था. तब इसे मुगल बादशाहों को मिलने वाले तोहफे रखने वाले कमरे के लिए इस्तेमाल करते थे. अब मौजूदा लोकतांत्रिक शासन के दौर में भी भारत और पाकिस्तान में स्टेट डिपॉजिटरी यानी सरकारी ट्रेजरी को तोशाखाना कहते हैं.
2. क्या हैं तोशाखाना से जुड़े नियम
भारत में तोशाखाना विदेश मंत्रालय के नियंत्रण में होता है, जिसमें सभी सरकारी अधिकारियों को विदेशी दौरे के समय मिले तोहफे जमा कराने होते हैं. इसके लिए भारत सरकार ने 1978 में एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें तोशाखाना में तोहफे जमा कराने की समयसीमा 30 दिन रखी गई है यानी गिफ्ट मिलने के 30 दिन के अंदर उसे तोशाखाना में जमा कराना पड़ता है. पाकिस्तान में तोशाखाना कैबिनेट डिविजन के कंट्रोल में है. वहां इसकी स्थापना साल 1974 में की गई थी.
3. पाकिस्तान में ये लोग आते हैं तोशाखाना कानून के दायरे में
पाकिस्तान में तोशाखाना कानून के दायरे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सीनेट चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन, नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और सभी सांसद आते हैं. इनके अलावा सरकारी अफसर व स्वायत्त और अर्द्ध-स्वायत्त सरकारी संस्थाओं के कर्मचारियों पर भी यह कानून लागू है. इन लोगों को हर तरह का विदेशी दौरे पर मिला तोहफा तोशाखाना में जमा कराना पड़ता है.
4. तोशाखाना का तोहफा क्या अपने पास रख सकते हैं?
पाकिस्तान में तोशाखाना कानून के दायरे में आने वालों के लिए राहत का एक प्रावधान भी है. इस प्रावधान के मुताबिक, यदि कोई विदेशी दौरे पर मिला गिफ्ट अपने पास रखना चाहता है तो उसकी कीमत चुकाकर रख सकता है. उसे अपने तोहफे की अनुमानित कीमत तोशाखाना को बतानी पड़ती है. इसके बाद उसे किस कीमत में तोहफा मिलेगा, इसका फैसला एक कमेटी बाजार भाव के हिसाब से करती है. हालांकि यदि वह तोहफा ऐतिहासिक महत्व का है तो उसे किसी भी कीमत पर अपने पास नहीं रखा जा सकता यानी उसे तोशाखाना में जमा कराना अनिवार्य है. साथ ही यह भी आरोप हैं कि जानबूझकर कम कीमत बताई जाती है और सस्ते दामों पर तोहफे रख लिए जाते हैं.
5. इमरान पर क्या आरोप लगे थे?
इमरान खान पर आरोप लगे थे कि साल 2018-22 के दौरान प्रधानमंत्री रहते हुए मिले तोहफों को तोशाखाना में देने में उन्होंने गड़बड़ी की है. उन पर तोशाखाना से इन तोहफों की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार करने का आरोप है. इमरान खान को करीब 14 करोड़ रुपये के 58 तोहफे इन तीन साल के दौरान मिले थे. आरोप है कि इमरान ने इन तोहफों को नियमों में बदलाव कर तोशाखाना से महज 2.15 करोड़ रुपये के सस्ते दाम में खरीद लिया और फिर करीब 5.8 करोड़ रुपये के मुनाफे पर आगे महंगे दामों पर बेच दिया. इनमें सऊदी अरब के प्रिंस से मिली बेहद महंगी घड़ी भी शामिल है.
6. इमरान ने नहीं दी थी सूचना आयोग को जानकारी
इमरान खान के तोशाखाना के तोहफों में हेरफेर का विवाद उनके प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान ही शुरू हुआ था. हालांकि उन्होंने इसे गलत बताते हुए अपनी तरफ से एक ब्योरा जारी किया था. इमरान ने कहा था कि अगस्त 2018 से दिसंबर 2021 के बीच उन्हें मिले 58 विदेशी तोहफों में से महज 14 की कीमत 30 हजार पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा थी. हालांकि इमरान के इस दावे पर विपक्ष के हल्ला मचाने के बाद सूचना आयोग ने सभी तोहफों का ब्योरा जारी करने का आदेश दिया था. सूचना आयोग का यह आदेश विदेश कूटनीति के खिलाफ बताकर इसे मानने से इमरान ने इनकार कर दिया था.
7. चुनाव आयोग के नोटिस पर मानी थी चार तोहफे बेचने की बात
इमरान खान का प्रधानमंत्री पद अप्रैल 2022 में चला गया था. इसके चार महीने बाद पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) ने इमरान को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव को नेशनल असेंबली के स्पीकर ने चुनाव आयोग को भेज दिया था, जिसके आधार पर आयोग ने इमरान की पार्टी PTI को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस के जवाब में इमरान ने चार तोहफे एक घड़ी, कलम, कफ़लिंक और तीन रोलेक्स की घड़ियां बेचने की बात मान ली थी. इमरान पर आरोप लगा था कि ये बेहद महंगे तोहफे उन्होंने तोशाखाना से महज 2 करोड़ रुपये में लिए और उन्हें 6 करोड़ रुपये में बेच दिया.
8. अब सजा मिलने के बाद इमरान का क्या होगा?
इमरान खान सत्र अदालत के फैसले को हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को बंद करने की उनकी याचिका पहले ही ठुकरा चुका है. उनकी संसदीय सीट तत्काल प्रभाव से खाली हो जाएगी. साथ ही फिलहाल 3 साल की सजा घोषित होने के कारण वे 5 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाएंगे. यदि ऊपरी अदालत से उन्हें सजा पर स्टे मिल जाता है तो वे चुनावी होड़ में बने रहेंगे.
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