कौन हैं Mukesh Ahlawat, जो बने हैं Atishi कैबिनेट का नया दलित चेहरा, क्या ये Arvind Kejriwal का चुनावी दांव है?

कुलदीप पंवार | Updated:Sep 21, 2024, 07:16 PM IST

Who is Mukesh Ahlawat: दिल्ली में आतिशी ने राज्य की सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की है. उनके साथ 5 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिनमें 4 पुराने चेहरे हैं और मुकेश अहलावत के तौर पर इकलौता नया चेहरा आम आदमी पार्टी की कैबिनेट में शामिल हुआ है. 

Who is Mukesh Ahlawat: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद अचानक इस्तीफा देने के बाद आतिशी (Atishi) नई मुख्यमंत्री बन गई हैं. आतिशी ने शनिवार शाम को दिल्ली की आज तक की सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली है. आतिशी के नेतृत्व वाले आम आदमी पार्टी (Aa, Aadmi Party) के नए मंत्रिमंडल ने भी शपथ ग्रहण कर ली है. आतिशी के साथ पांच मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है. इनमें से गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज, इमरान हुसैन और कैलाश गहवलोत तो केजरीवाल सरकार के ही पुराने चेहरे हैं, जबकि एक नए चेहरे ने मंत्री पद की शपथ ली है. यह नया चेहरा है AAP विधायक मुकेश कुमार अहलावत, जिनके कैबिनेट में आने पर हर कोई उनके बारे में जानने की कोशिश कर रहा है. 

दलित वोटबैंक रहा है आप के लिए अहम

दिल्ली में फरवरी, 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं. साल 2013 से 2020 तक हुए चुनावों में आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में दलित वोटर अहम वोटबैंक साबित हुए हैं. दिल्ली में करीब 20 फीसदी दलित मतदाता हैं, जिनके लिए 70 में से 12 सीट दलितों के लिए आरक्षित हैं. आप ने 2013 में 8 सीट पर और इसके बाद 2015 और 2020 में सभी 12 आरक्षित सीट पर जीत हासिल की थी. हालांकि आप की इस जीत में राजकुमार आनंद और राजेंद्र पाल गौतम का बड़ा योगदान माना गया था, लेकिन आप अगले साल 2025 में भी सभी सीटें जीतकर इस बात को गलत साबित कर देना चाहती हैं. मुकेश अहलावत को मंत्रिमंडल में जगह देना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. Arvind Kejriwal ने मुकेश अहलावत को नई कैबिनेट के पहले पांच मंत्रियों में जगह देकर दलित वोटर्स को अपनी पार्टी उनके साथ होने का संदेश दिया है.

सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं मुकेश

मुकेश अहलावत साल 2020 में दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा विधानसभा सीट पर आप उम्मीदवार के तौर पर जीतकर विधायक बने थे. वे पार्टी के चुनिंदा दलित चेहरों में गिने जाते हैं. पहली बार विधायक बने मुकेश को मंत्री बनाकर आप ने उस नुकसान की भरपाई करने की कोशिश की है, जो दलित नेता राजकुमार आनंद और राजेंद्र पाल गौतम के पार्टी छोड़ने से हुई है. राजकुमार आनंद ने पहले बसपा और फिर भाजपा जॉइन कर ली है, जबकि राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. 

बसपा नेता रह चुके हैं मुकेश

आप में शामिल होने से पहले मुकेश कुमार की पहचान बसपा नेता के तौर पर थी. बसपा के टिकट पर मुकेश 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में उतरे थे, लेकिन दोनों बार हार मिली थी. इसके बाद साल 2017 में वे आप का हिस्सा बन गए थे. आप ने उन्हें सीडी कांड में फंसे दलित नेता संदीप कुमार की जगह 2020 में सुल्तानपुर माजरा से उतारा था. मुकेश ने 48,042 वोट से जीत हासिल कर यह सीट आप के खाते में बरकरार रखी थी.

राजस्थान में पार्टी संगठन मजबूत करने की मिली हुई है जिम्मेदारी

मुकेश अहलावत को आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के करीबियों में गिना जाता है. वे जिला विकास समिति के अध्यक्ष हैं. उन्हें राजस्थान में आम आदमी पार्टी के संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी मिली हुई है. इसके लिए उन्हें राजस्थान में आप का सह-प्रभारी बना रखा है. इन जिम्मेदारियों में मुकेश के काम को देखकर ही उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है, जबकि इस होड़ में दलित चेहरे के तौर पर रवि और कुलदीप कुमार का भी नाम चल रहा था.

समाज कल्याण विभाग मिलने की है संभावना

आप सरकार में दलित मंत्री को अब तक समाज कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिलती रही है. पहले संदीप कुमार को यह मंत्रालय मिला हुआ था और फिर राजकुमार आनंद इस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इस कारण माना जा रहा है कि आतिशी की सरकार में मुकेश को भी इसी मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलेगी.

रियल एस्टेट कारोबारी हैं मुकेश

मुकेश अहलावत पेशे से रियल एस्टेट कारोबारी हैं. मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले मुकेश ने पीतमपुरा से पढ़ाई की है. उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में साल 2020 में अपने पास 60 लाख रुपये की चल संपत्ति और 5.6 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति घोषित की थी. 

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