डीएनए हिन्दी : 23 तारीख की सुबह, इससे पहले की सूरज की किरणें ज़मीन को छू पातीं हांगकांग यूनिवर्सिटी (Hongkong University ) में थियानमेन स्क्वायर (Tiananmen square) के प्रतीक चिह्न के तौर पर लगी हुई एक कलाकृति को अपनी जगह से हटा दिया गया.
26 फीट लम्बी इस कलाकृति को 'पिलर ऑफ़ शेम' (Pillar Of Shame) के नाम से जाना जाता था. यह हांगकांग यूनिवर्सिटी परिसर में लगभग पिछले पच्चीस सालों से मौजूद थी. जून 1989 में चीनी सेना के हाथों कुचले गये हज़ारों छात्रों और अन्य नागरिकों के सम्मान में इसे लगाया गया था.
क्या दिखाती थी यह कलाकृति
इस कलाकृति में कई नग्न पीड़ितों के शरीर को अकड़ी हुई हाल में तो कई पीड़ितों को चीखते हुए उकेरा गया था. इसे डेनमार्क के कलाकार जेन्स ग्लाशोट (Jens Galschiot ) के द्वारा बनाया गया था. यह चीनी शासन में टाइनामैन पर हुए अत्याचार के आख़िरी प्रतीकों में से था.
हर साल उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को याद करते हुए स्टूडेंट्स इस प्रतिमा को साफ़ करते, इसके सम्मुख खड़े होते. इसे विरोध की आवाज़ के तौर पर भी देखा जाता था.
इसे तब हटाया गया जब स्टूडेंट्स नहीं थे
इस वक़्त जब सारे विद्यार्थी क्रिसमस की छुट्टियों पर बाहर हैं, पीले और सफ़ेद पर्दों की दीवार खड़ी कर, इसे पहले दो हिस्सों में बांटा गया और फिर कपड़ों में लपेट कर चुपके से हटा लिया गया.
क्या कहता है इस स्कल्पचर का हटना?
इस कलाकृति के हटने को हांगकांग में तेज़ी से हो रहे राजनैतिक बदलाव के तौर पर भी देखा जा रहा है. पिछले बरस से चीन ने यहाँ अभिव्यक्ति के अधिकार पर कड़ा पहरा लगाया है. दरअसल उस वक़्त चीन हांगकांग पर एक कठिन सुरक्षा कानून थोपा था और पहले ब्रिटिश कॉलोनी रह चुके इस प्रदेश की स्वतंत्रता को 2047 तक के लिए खारिज़ कर दिया था. हांगकांग में टाइनामेन की बरसी मना पाना इसे बाक़ी चीनी भूभाग से अलग करता था. गौरतलब है कि चीन ने अपने इतिहास और लोगों के दिमाग़ से टाइनामेन से जुड़ी हुई जानकारियों को रफा-दफा करने की बेहिसाब कोशिशें की हैं.
पिछले साल से हांगकांग में भी टाइनामेन स्क्वायर (Tiananmen Square) की याद में होने वाले प्रतिरोधों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है और ऐसा करने वाले एक्टिविस्ट को गिरफ्तार करना शुरु कर दिया है.
और क्या-क्या हटाया चीनी शासन ने ?
हांगकांग में दो अन्य विश्वविद्यालयों से 'गॉडेस ऑफ़ डेमोक्रेसी' (Goddess of Democracy) प्रतिमा को भी हटाया गया. इसे 2010 में विद्यार्थियों ने गणतंत्र के प्रतीक के रूप में स्थापित किया था. इस पूरी प्रक्रिया को यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने कलाकृतियों के प्रति उठाया गया ज़रूरी क़दम क़रार दिया है. उनका कहना यह भी है कि इससे कानून भंग हो रहा था.