डीएनए हिंदी: Nari Shakti Vandan Bill 2023 Updates- केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में लोकसभा के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश किया है. 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के नाम से पेश हुए इस बिल में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में 33% सीट महिलाओं के लिए रिजर्व करने का प्रस्ताव रखा गया है. मोदी सरकार के पास लोकसभा में बहुमत मौजूद है यानी यहां इस बिल के पारित होने में कोई रोड़ा नहीं है. साथ ही राज्य सभा में भी मोदी सरकार को अन्य दलों का पर्याप्त समर्थन हासिल है. ऐसे में पहले भी कई बार लोकसभा और राज्यसभा की दहलीज देखकर अटक गए महिला आरक्षण बिल का इस बार कानून में तब्दील होना तय माना जा रहा है. ऐसा हुआ तो लोकसभा और विधानसभाओं की शक्ल ही बदल जाएगी, जिनमें हर तीसरी सदस्य महिला ही दिखाई देगी. हालांकि कानून बनने के बाद भी इस बिल को लंबा रास्ता तय करना होगा. ऐसे में यह बिल कब से लागू होगा? कैसे महिलाओं को कोटा मिलेगा? महिला कोटा के अंदर जातिगत आरक्षण का क्या प्रावधान होगा?
ऐसे ही बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब हम 5 पॉइंट्स में आपको दे रहे हैं.
1. पहले जान लीजिए कब से हो पाएगा लागू
महिलाओं को आरक्षण देने के लिए बिल भले ही लोकसभा में अभी पेश किया गया है, लेकिन अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) से इसका लागू होना मुश्किल है. दरअसल यह कानून माना जा रहा है कि नए सिरे से लोकसभा सीटों के परिसीमन के बाद ही लागू होगा. परिसीमन होने में लंबा समय लगेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि यह कानून लोकसभा चुनाव 2029 से ही लागू हो पाएगा. हालांकि राज्य विधानसभाओं में यह इससे पहले ही लागू हो जाएगा.
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2. कितनी सीटों पर मिलेगा आरक्षण, जातिगत कोटे का क्या होगा
मौजूदा लोकसभा में 543 सीट हैं, जिनमें 78 महिला सांसद हैं. यदि मौजूदा सीट आवंटन के 33% हिस्से के हिसाब से देखा जाए तो महिलाओं के लिए 181 सीट आरक्षित होंगी. इन्हीं 181 सीट में से जातिगत आरक्षण के कोटे के तहत भी महिलाओं की हिस्सेदारी तय होगी. अभी संसद में पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण नहीं मिलता है. केवल अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) के लिए कोटा की व्यवस्था लागू है. फिलहाल 543 सीट पर 131 सांसद SC/ST कैटेगेरी के चुने जाते हैं. महिलाओं को इस कोटे का 33% हिस्सा मिलेगा यानी SC की 28 सीट और ST की 16 सीट महिलाओं को मिलेंगी. ओबीसी और सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए 412 सीटों का 33% यानी 137 सीट आरक्षित रहेंगी. यदि परिसीमन के बाद लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ती है तो महिला आरक्षण कोटे की सीट भी उसी अनुपात में बढ़ जाएंगी.
3. राज्यसभा और विधानपरिषद में नहीं मिलेगा कोटा
लोकसभा में पेश किए गए बिल के तहत केवल लोकसभा और विधानसभाओं में ही महिला आरक्षण तय करने का निर्णय लिया गया है. इसका मतलब है कि महिलाओं को राज्यसभा और विधानपरिषदों में फिलहाल आरक्षण नहीं मिलने जा रहा है.
4. अभी पायलट मोड में मिलेगा कोटा
महिलाओं के लिए आरक्षण तय करने का मतलब यह भी नहीं है कि हमेशा के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में उन्हें 33% हिस्सेदारी दी जा रही है. अभी महिला आरक्षण की व्यवस्था 15 साल के लिए की जा रही है. इसका मतलब है कि 15 साल बाद एक बार फिर महिलाओं को आरक्षण देने के लिए नए सिरे से संसद में बिल पेश करना पड़ेगा.
5. ऐसे बदल जाएगी लोकसभा और विधानसभाओं की सूरत
अभी 19 राज्य विधानसभाओं में महिला भागीदारी 10 फीसदी से भी कम है. लोकसभा में भी 543 सीट के सापेक्ष महज 78 महिला सांसद हैं. राज्य सभा में भी महिलाओं की भागीदारी 14 फीसदी है. उत्तर प्रदेश में 11.66%, हरियाणा में 10%, पंजाब में 11.11%, राजस्थान में 12%, उत्तराखंड में 11.43%, झारखंड में 12.35%, बिहार में 10.70%, पश्चिम बंगाल में 13.70%, दिल्ली में 11.43% और छत्तीसगढ़ में 14.44% महिला विधायक हैं. कई राज्यों में यह आंकड़ा 10 फीसदी से भी कम है, जिनमें गुजरात में 8.2% और हिमाचल प्रदेश में महज 1 महिला विधायक है. आरक्षण कानून पारित होने के बाद हर विधानसभा में महिलाओं की संख्या 33% हो जाएगी यानी महिला विधायकों की संख्या बढ़ने जा रही है. दिल्ली का ही उदाहरण लें तो संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिलेगा, जिससे दिल्ली में 70 में से 23 विधायक महिलाएं चुनी जाएंगी.
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