Tiger Deaths: चीता आ रहा और टाइगर जा रहा है? 39 दिन में 24 मरे, जानें क्यों एक-एक जान है जरूरी

Written By Subhesh Sharma | Updated: Feb 16, 2023, 01:52 PM IST

Tiger Deaths

24 Tigers death in one month: एक तरफ बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं कि भारत में दुनिया के 70 प्रतिशत बाघों की आबादी है और यहीं इतनी मौतें हो रही हैं.

डीएनए हिंदी: टाइगर जिंदा है लेकिन कहां? ये सवाल अब बड़ा हो गया है, क्योंकि भारत के जंगलों में बड़ी बिल्लियों के परिवार की सबसे बड़ी और ताकतवर बिल्ली का जीना मुश्किल हो गया है. सरकार जिस टाइगर की आबादी बढ़ने का दावा करती करती है, वहीं टाइगर एक-एक कर मर रहे हैं. हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि पिछले 39 दिनों में (1 जनवरी से 8 फरवरी, 2023) ही 24 बाघों की मौत हो चुकी है. नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरटरी के डेटा में ये बात सामने आई है. 

एमपी वाकई गजब है

देश के जिस राज्य को टाइगर स्टेट कह कर बुलाया जाता है. सबसे ज्यादा मौतें वही हुईं हैं. गौर करने वाली बात ये भी है कि मध्य प्रदेश में एक तरफ चीतों को लाकर जहां पूरे देश में डंका बजाया जा रहा है. वहीं बाघों की सबसे ज्यादा मौतें सामने आईं हैं. मध्य प्रदेश टूरिज्म का आपने वीडियो जरूर देखा होगा, जिसमें गाना बजता है 'एमपी अजब है सबसे गजब है'. इस वीडियो में खासतौर पर वाइल्डलाफ और टाइगर को अलग से ही हाइलाइट किया जाता है. लेकिन टाइगर स्टेट एमपी का हाल सबसे बुरा है. यहां 9 टाइगर्स की मौत हुई है. दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां तीन बाघों की मौत हुई. कर्नाटक और उत्तराखंड में दो मौतें दर्ज हुईं तो असम और केरल में एक-एक बाघ की मौत हुई. 

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क्यों एक-एक टाइगर है जरूरी

टाइगर फूड चेन में सबसे ऊपर आता है. अगर बाघ नहीं होंगे तो हिरण जैसे शाकाहारी जानवारों की आबादी बढ़ेगी. इनकी आबादी बढ़ेगी तो जंगल खत्म होंगे. जंगल खत्म होंगे तो पूरा इकोसिस्टम हिल जाएगा. इसलिए जिस जंगल में बाघ की मौजूदगी रहती है उसे एक स्वस्थ जंगल कहा जाता है. 

एक एक बाघ हमारे लिए क्यों इतना जरूरी है, इस बात को समझने के लिए आपको बाघ के लाइफ साइकल को समझना बेहद जरूरी है. एक बाघिन आमतौर पर तीन से चार बच्चे पैदा करती है. जिसमें से 80 प्रतिशत बच्चे बड़े होने से पहले ही मर जाते हैं. अगर कोई बच्चा बच भी गया तो फिर बाघिन मेटिंग नहीं करती है, तब तक जब तक वो दो साल से ऊपर का नहीं हो जाता. एक बात और एक बाघ की जंगल में औसत उम्र 12 से 15 साल होती है. मतलब अगर वो पूरा जीवन जीता है तो जंगल में इससे ज्यादा नहीं जी सकता. अब आप हिसाब लगाएंगे तो समझ में आ जाएगा क्यों बाघ इतने जरूरी हैं. 

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फिर तेंदुओं की आबादी कैसे बढ़ रही?

बाघ की आबादी ऐसे ही नहीं बढ़ेगी. उसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे. आप सोच रहे होंगे कि बाघ के जैसे तो तेंदुआ भी एक बड़ी बिल्ली है, लेकिन उनकी आबादी तो तेजी से बढ़ रही है. तो इस पर भी एक बात जाननी जरूरी है. तेंदुए एक या दो बच्चों को जन्म देते हैं और लगभग साल भर का होने पर तेंदुआ का बच्चा मां से अलग हो जाता है, जब कि टाइगर का बच्चा कम से कम दो साल तक मां के साथ ही रहता है. तेंदुए की आबादी बढ़ने की एक खास बात और भी है कि तेंदुआ उन इलाकों से दूर रहता है जहां बाघ होते हैं. मतलब तेंदुआ जंगलों के आसपास इंसानी बस्ती इर्द गिर्द रहना पसंद करता है. जहां वो कुत्ते, मवेशी और यहां तक की चूहों को खाकर भी अपना पेट पाल लेता है. जब कि टाइगर बड़ा शिकार चाहिए होता है.

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