AFSPA: नागालैंड और अरुणाचल के कुछ इलाकों में 6 महीने बढ़ाया गया अफ्स्पा, जानिए क्यों है इस कानून की जरूरत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 25, 2023, 10:34 AM IST

AFSPA को लेकर देश में एक अरसे से बहस होती रही है. 

नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कई इलाके अशांत क्षेत्र घोषित किए गए हैं. कुछ इलाकों में AFSPA लगाया गया है.

डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागालैंड और अरूणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट(AFSPA) 1958 के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है. इन इलाकों में 6 महीने अफ्स्पा बढ़ा दिया गया है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इसको लेकर दो अलग अलग अधिसूचना भी जारी की है. अरुणाचल प्रदेश में तिरप, चांगलांग एवं लांगडिंग जिलों और असम राज्य की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसई, महादेवपुर एवं चौखम इलाके में AFSPA लागू किया गया है.

नागालैंड राज्य में दिमापुर, निउलैंड, चुमुकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों और कोहिमा जिले में खुजामा, कोहिमा उत्तर, कोहिमा दक्षिण, जुबजा और केजोचा पुलिस थाने में AFPA लागू किया गया है.

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क्या है AFSPA कानून?

पूर्वोत्तर के राज्यों में अलगाववादी गतिविधियों के बढ़ते प्रभाव को देखने के बाद 11 सितंबर 1958 को आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट पारित किया गया था. संविधान के तहत यह प्रावधान है कि अशांत क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आफस्पा कानून लागू किया जा सकता है. हालांकि, अशांत क्षेत्र या डिस्टर्ब्ड एरिया घोषित करने के लिए डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट है.

सुरक्षाबलों को क्या मिलते हैं AFSPA के तहत अधिकार?

22 मई 1958 को यह एक्ट पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू हो गया था. अशांत क्षेत्रों में इस एक्ट के जरिए कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे. यह एक्ट सुरक्षाबलों को कुछ मामलों में असीमित अधिकार देता है. सुरक्षाबल बिना किसी वारंट के किसी की भी जांच कर सकते हैं, किसी की भी ठिकाने की तलाशी ले सकते हैं. यह एक्ट सुरक्षाबलों को शक्ति देता है कि वे किसी भी संदिग्ध ठिकानों को शक के आधार पर तबाह कर सकते हैं.

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क्यों है नॉर्थ ईस्ट में इसकी जरूरत?

एक वक्त में नॉर्थ-ईस्ट के राज्य देश के सबसे ज्यादा अशांत क्षेत्रों में शुमार थे. उग्रवाद और स्थानीय अलगाववादी गुटों के विद्रोह को को खत्म करने के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट ( AFSPA) को साल 1958 में लागू किया गया था. देश के भीतर आंतरिक शांति बहाल करने के लिए इस एक्ट को प्रवर्तनीय किया गया था. इस एक्ट का समय-समय पर विरोध होता रहता है.

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