DNA TV Show: पेड सीट से लेकर वेब चेक इन तक एयरलाइंस कंपनियां कैसे लगा रही हैं चूना, समझें पूरा खेल 

| Updated: Oct 26, 2023, 11:22 PM IST

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Airline Companies Policy: एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों को खूब चूना लगा रही हैं और यात्रियों से उन सेवाओं के नाम पर भी पैसा वसूल रही हैं जो कि असल में फ्री हैं. DNA TV Show में इसके हर पहलू का विस्तार से विश्लेषण किया गया है. 

डीएनए हिंदी: अगर आप हवाई सफर करते हैं तो आपको अनिवार्य फ्री वेब चेक-इन (Mandatory Free Web Check-In) के बारे में तो पता ही होगा. इसके बावजूद जब भी आप वेब चेक इन करते होंगे तो कुछ सवाल दिमाग में शायद जरूर आते होंगे. जैसे कि जब वेब चेक-इन फ्री होता है तो फिर एयरलाइंस कपनियां अलग से पैसे क्यों चार्ज करती हैं? इसी तरह से जब आप टिकट के पैसे दे चुके हैं और टिकट कन्फर्म भी है तो फिर सीट अलॉट करने के लिए अलग से पैसे क्यों लिया जा रहा है? एक वक्त था जब हवाई यात्रियों को सिर्फ विंडो सीट और एक्स्ट्रा लेग रूम वाली सीट के लिए टिकट के दाम से ज्यादा पैसे देने होते थे. अब यात्रियों को वेब चेक इन के दौरान फ्री सीट का विकल्प मिलना किस्मत की बात हो चुकी है. टिकट होने के बाद  फ्री वेब चेक इन के लिए भी सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये तक ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यानी पहले यात्री टिकट खरीदें और फिर सीट भी खरीदें.

अब सवाल उठता है कि क्या यह वाकई में सही है ? जाहिर है कि बिलकुल नहीं लेकिन फिर भी एयरलाइंस कंपनियां  इस गलत तरीके से भी यात्रियों को लूट रही हैं. यात्रियों को ठगने का ये खेल विमानन कंपनियां कई सालों से खेल रही हैं. इसकी वजह से यात्रियों के पास तीन विकल्प होते हैं: पहला - ज्यादा पैसे करके देकर वेब चेक इन करें. दूसरा - सीधे एयरपोर्ट पर पहुंचकर बोर्डिंग पास लेकर लेकर फ्लाइट में चढ़ें लेकिन इस स्थिति में एयरलाइन अपनी मर्जी की सीट यात्री को अलॉट करती है.  वेब चेक इन किए बिना एयरपोर्ट पहुंचने वाले यात्रियों को तंग करने में भी एयरलाइन कंपनी पीछे नहीं हैं. 

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आंकड़े भी दे रहे हैं गवाही 
National Consumer Helpline पर पिछले एक वर्ष में एयरलाइंस  से जुड़ी लगभग 10 हजार शिकायतें दर्ज की गईं हैं.

इनमें 41 प्रतिशत शिकायतें टिकट कैंसल होने के बाद रिफंड से मना कर देने की हैं.

15 फीसदी शिकायतें एयरलाइंस कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सर्विस में कमी को लेकर है.

जबकि 5 फीसदी शिकायतें वैलिड टिकट होने के बावजूद यात्रियों को बोर्डिंग से इनकार करने की हैं.

वेब चेक इन के नाम पर किया जा रहा परेशान

वैलिड टिकट  होने पर भी बोर्डिंग की इजाजत अक्सर उन्हीं यात्रियों को नहीं मिलतीं है जो वेब चेक इन किए बिना एयरपोर्ट पहुंचते हैं. जिन्हें एयरलाइंस कंपनियां  जानबूझकर परेशान करती हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा यात्री वेब चेक इन करें और सीट के लिए अलग से पैसे भरें. अब इसका भी एक नमूना आपको दिखाते हैं...

Air India का इस मामले पर जानिए जवाब

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (एक्स) पर एक यात्री ने Air India को टैगकरके पूछा है कि जब वो अपनी यात्रा के लिए पहले ही टिकट खरीद चुके हैं तो वो सीट के लिए दो सौ से एक हजार रुपये क्यों पे करें?

अब देखिये कि Air India ने यात्री को क्या जवाब दिया है. Air India ने कहा कि मुफ्त सीट उपलब्धता पर निर्भर है. आप अगर एयरपोर्ट जल्दी पहुंचेंगे तो फ्री सीट मिलने के चांस बढ़ जाएंगे. इस पर यात्री ने Air India से पूछा कि क्या एयरपोर्ट पहुंचने के बाद भी उसे फ्री सीट देने से इनकार किया जा सकता है ? अगर यात्री के पास वैलिड टिकट है तो भी क्या उपलब्ध ना होने की बात कहकर उसे फ्री सीट देने से मना कर दिया जाएगा? इसके बाद Air India बैकफुट पर आया । और उसकी तरफ से जवाब आया कि उसकी टीम यात्री को सीट उपलब्ध करवाने में पूरी मदद करेगी.

वेब चेक इन और पेड सीट के नाम पर हो रहा है खेल

हमने तो आपको सिर्फ एक उदाहरण दिखाया है कि कैसे विमानन कंपनियां मुफ्त वेब चेक इन के नाम पर यात्रियों से जबरदस्ती वसूली कर रही हैं. एयरलाइंस कंपनियां रोजाना यात्रियों से सीट के नाम पर पैसे वसूलकर करोड़ों की कमाई कर रही हैं जिसकी गवाही हर वो शख्स दे सकता है जो हवाई यात्रा करता है. फ्री वेब चेक इन के नाम पर यात्रियों से पैसे वसूलने के अवैध काम में एक-दो नहीं बल्कि हर एयरलाइन कंपनी लगी है. पिछले एक साल के दौरान घरेलू हवाई यात्रा करने वाले कुल यात्रियों में से एक तिहाई ने सीट के लिए एक्स्ट्रा पैसे चुकाए हैं. ये आंकड़ा ऑनलाइन प्लैटफॉर्म LocalCircles के सर्वे में आया है. इसमें तीस हजार लोगों से बात की गई थी. सितंबर 2022 में जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक:

- सर्वे में शामिल हर तीन में से एक व्यक्ति ने कहा कि टिकट बुक करने के बाद सीट चुनने के दौरान उन्हें फ्री सीट चुनने का कोई विकल्प नहीं मिला.
- इसके अलावा हर तीन में से एक व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने जब भी फ्लाइट में सफर किया हर बार सीट चुनने के लिए अलग से पैसे चुकाने पड़े हैं..
-  सर्वे में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने सुझाव दिया कि Flight में सिर्फ 30 प्रतिशत सीटें ही Paid होनी चाहिएं ।

सर्वे के नतीजे बताते हैं बहुत कुछ

ये पिछले साल के सर्वे के नतीजे हैं. सितंबर 2023 में आए LocalCircles के ही हालिया सर्वे में पता चला है कि 51 प्रतिशत लोगों को टिकट बुक करने के बाद सीट चुनने के दौरान फ्री सीट चुनने का कोई विकल्प नहीं मिलता.
अब सवाल यही है कि जब टिकट खरीद लिया तो सीट क्यों खरीदें? आखिर एयरलाइंस को ये हक किसने दिया कि वो यात्रियों को सीट अलॉट करने के नाम पर भी पैसे ले लें?

2013 में पहली बार DGCA ने बनाया यह नियम

साल 2013 से पहले ऐसा कोई नियम नहीं था. इसके बाद भी डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी DGCA एक नियम लेकर आया और एयरलाइंस को ये अधिकार दे दिया कि वो फ्लाइट की 25 प्रतिशत सीटों पर यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क वसूल कर सकती हैं. इसके दो साल बाद ही यानी 2015 में DGCA ने एयरलाइंस को छूट दे दी कि वेब चेक इन प्रक्रिया के दौरान वो यात्रियों से सभी सीटों के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूल सकती हैं.

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यानी DGCA ने खुद ही एयरलाइंस  को इस बात का लाइसेंस दे दिया कि वो पहले यात्रियों से टिकट के दाम लें और फिर सीट देने के लिए अलग से दाम वसूलें. इसी छूट का फायदा उठाकर अब विमानन कंपनियां यात्रियों को लूट रही हैं. अब खुद सरकार भी मान रही है कि एयरलाइंस मुफ्त वेब चेक इन के बाद भी हर सीट को पेड के रूप में दिखाती हैं और यात्रियों से अतिरिक्त शुल्क चार्ज करती हैं जो कि गलत है. उपभोक्ता मंत्रालयने सभी एयरलाइंस को चेतावनी दी है कि वो फ्लाइट की हर सीट को पेड नहीं कर सकती. 

ये नियम सरकार ने ही बनाया था कि एयरलाइंस यात्रियों से सीट के लिए अलग पैसे चार्ज कर सकती हैं लेकिन अब सरकार ही कह रही है कि एयरलाइंस हर सीट के लिए अलग से पैसे चार्ज नहीं कर सकतीं हैं. दरअसल पेड सीट के नियम के पीछे सरकार की सोच थी कि इससे हवाई यात्रा सस्ती होगी और ज्यादा लोग हवाई सफर कर पाएंगे. जो लोग अपनी सुविधा के मुताबिक सीट चुनेंगे उनसे अतिरिक्त पैसे लिए जा सकते हैं. बाकी लोगों को वही सीटें मिलेंगी जो एयरलाइंस अलॉट करेंगी. हकीकत में एयरलाइंस ने इस नियम को आधार बना हर सीट बेचना शुरू कर दिया और पेड सीट वाले विकल्प को अपना अधिकार ही मान लिया है. इसी साल अगस्त में एक संसदीय समिति ने एयरलाइंस कंपनियों से इसकी वजह पूछी तो AirAsia India, Air India, IndiGo, Vistara जैसी Airlines ने जो तर्क दिये उसे हम संक्षेप में आपको बताते हैं.

- वो कम दाम में हवाई यात्रा करवाने का ऑफर देती हैं और बाकी हर सुविधा के लिए अलग से चार्ज करती हैं.

- जो यात्री पेड सीट का विकल्प नहीं चुनते हैं उन्हें उपलब्धता के आधार पर फ्री सीट दी जाती हैं.

- बिजनेस क्लास और फर्स्ट क्लास की सीटों के लिए अलग से कोई चार्ज नहीं लिया जाता.

- सुविधा के हिसाब से ही सीटों के लिए अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है.

- फ्लाइट में पेड सीट का चलन पूरी दुनिया में है और भारतीय एयरलाइंस भी उसी पर चल रही हैं.

ये विमानन कंपनियों के तर्क हैं लेकिन यात्रियों के भी अपने सवाल हैं जिन्हें नजरअंदाज तो बिलकुल नहीं किया जा सकता. अगर एयरलाइंस दावा कर रही हैं कि वो फ्री सीट का विकल्प देती हैं तो फिर लोग ये शिकायत क्यों कर रहे हैं कि उन्हें फ्री सीट का विकल्प नहीं मिलता है. सवाल यही है कि क्या सरकार सिर्फ एयरलाइन कंपनियों की ही फिक्र कर रही हैं. अगर ऐसा नहीं है तो पेड सीट पर कोई कैपिंग तो लगाई ही जा सकती है.

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