Aishwarya Rai का बढ़ता वजन My body My Rights और आदमी की तोंद 'थुलथुली', क्या मजाक है?

Written By मीना प्रजापति | Updated: Nov 01, 2024, 07:37 PM IST

मोटापा एक बीमारी ही नहीं बल्कि महामारी है. पूरी दुनिया इस परेशानी से जूझ रही है. ऐसे में किसी मोटापे का भी स्त्री-पुरुष कर देना ठीक नहीं है. मतलब मोटापे का कोई जेंडर नहीं होता. फिर मोटापा चाहें स्त्री में हो या पुरुष में. मोटापा कई बीमारियों को जन्म देता है.

मिस वर्ल्ड रह चुकीं फिल्म इंडस्ट्री की सबसे चर्चित एक्ट्रेस में से एक ऐश्वर्या राय बच्चन अपनी खूबसूरती को लेकर दुनियाभर में मशहूर हैं. ऐश्वर्या अपनी एक्टिंग और खूबसूरत अदाओं से फैन्स का दिल जीत लेती हैं. 2011 में बेटी आराध्या के जन्म के बाद उनका वजन बढ़ने लगा. उन्होंने प्रेग्नेंसी के बाद पहली बार करण जौहर की 'ऐ दिल है मुश्किल' में काम किया. इस फिल्म में उनका वो वजन दिखा जो किसी भी महिला का प्रेग्नेंसी के बाद होता है. प्रेग्नेंसी के बाद अक्सर महिलाओं का वजन बढ़ जाता है. पर कुछ हार्मोनल कारणों से वजन बढ़ना और कुछ गलत लाइफस्टाइल के कारण वजन बढ़ना दोनों में फर्क है. 

ऐश (Aishwarya Rai) के बढ़ते वजन पर उनकी प्रेग्नेंसी (Aishwarya Rai Pregnancy) के बाद भी चर्चा हुई और अब जब अभिषेक बच्चन के साथ तलाक की अफवाहें  (Aishwarya rai and Abhishek bachchan divorce rumours) उड़ रही हैं तब भी. आज ऐश्वर्या राय अपना 51वां जन्मदिन भी मना रही हैं. ऐसे में फिर उन पर चर्चा शुरू हो गई है. हालांकि, ऐश्वर्या ने पहले भी अपने बढ़ते वजन पर बोला है कि वे अपनी उम्र के हर बदलाव को महसूस करना चाहती हैं और उन्हें उनके वजन से कोई दिक्कत नहीं है. यहां मुद्दा ये है कि कुछ अपवादों को छोड़कर अगर किसी के शरीर का वजन बढ़ता है तो वो शरीर को नुकसान ही पहुंचाता है फिर चाहें वो पुरुष का वजन हो या महिला का. बीते दिनों कुछ ऐसी खबरें, 'राय', 'धारा' देखने को मिली जो महिलाओं में बढ़ते वजन को माय बॉडी माय राइट्स के तहत सही मानती है और सेलिब्रेट करती है. इस पर विशेषज्ञों की राय अलग-अलग है. 

'उन्मुक्तता पुरुषों जैसा होकर नहीं स्त्री होकर आएगी'
ऐश्वर्या राय का बढ़ता वजन माय बॉडी माय राइट्स और मर्दों की तोंद थुलथुली क्यों? सवाल के जवाब में कवयित्री, समाज सेविका और डेंटिस्ट डॉ. सांत्वना श्रीकांत कहती हैं कि महिलाओं को महिलाओं की तरह ही जो बेस्ट हो सकता है वो जीना चाहिए न कि पुरुषों जैसा दिखने की कोशिश करना चाहिए. एक संतुलित बॉडी वेट होना ज्यादा जरूरी है. इसमें कोई शक नहीं है कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वजन बढ़ता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हमें अपने बॉडी वेट को बैलेंस नहीं करना है. महिलाओं में 35 के बाद वजन बढ़ना शुरू होने लगता है. बढ़ता वजन बढ़ती उम्र के साथ घुटनों का दर्द से लेकर तमाम परेशानियों में बदल जाएगा. महिलाओं को पुरुषों के जैसा दिखने की कवायद क्यों करनी है. महिलाएं पहले ही श्रेष्ठ हैं.

'पुरुषों जैसी आदतों को अपनाने से या उनकी गलत आदतों को अपनाकर हम बेहतर हो जाएंगे ये गलत धारणा है. फेमिनिज्म के बिगड़े रूप ने चीजें खराब की हैं. उन्मुक्तता पुरुषों जैसा होकर नहीं आएगी स्त्री में स्त्री होकर आएगी.'

-डॉ. सांत्वना श्रीकांत, डेंटिस्ट, समाजसेविका

'ऐश्वर्या का वजन बढ़ना परंपरागत ब्यूटी पर 'कब्जा''
वर्धा के महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में वुमन स्टडी डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. सुप्रिया पाठक कहती हैं कि वजन चाहें महिला का बढ़े या पुरुष का दोनों के स्वास्थ्य का मसला है. बात जब महिलाओं के वजन की होती है तब वे ब्यूटी के कॉन्सेप्ट से जोड़ दी जाती हैं. अगर कोई ऐश्वर्या के बढ़ते वजन पर मजाक बनाता है तो वो एक आहत पुरुषोत्व है.

'ऐश्वर्या का वजन बढ़ना ब्यूटी पर कब्जा है. वह ब्यूटी जो परंपरागत ब्यूटी से अलग हो गई है, जिसे समाज ने गढ़ा. वहीं, माय बॉडी माय राइट्स के नाम पर अगर कोई अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहा है तो वो उस व्यक्ति की अपने प्रति जिम्मेदारी खुद होनी चाहिए.'

-प्रो. सुप्रिया पाठक, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा

'माय बॉडी माय राइट्स के नाम पर खुद को बीमार न करें'
स्वामी विवेकानंद अस्पताल में जनरल फिजिशियन डॉ. ग्लैडविन त्यागी का कहना है कि एक उम्र के बाद वजन बढ़ने की प्रवृत्ति देखने को मिलती है. जब हम हम अपनी डिसिप्लीन लाइफ से हट जाते हैं तब हमारा वजन बढ़ जाता है. ऐसे में हमारे पास खुद को बरगलाने के माय बॉडी माय राइट्स कहने के सिवाय कुछ नहीं बचता. हालांकि, अक्षय कुमार, अनिल कुमार जैसे एक्ट्रेस ने खुद के वजन को मेंटेन रखा है. जो लोग मेंटेन रख सकते हैं वे रख सकते हैं. अपने खानपान और एक्सरसाइज के बीच संतुलन करना ही फिट रहने का मंत्र है.

'माय बॉडी माय राइट्स तो ठीक है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि खुद को बीमार कर लें. ऐसा कोई भी नहीं है जो खुद को भद्दा दिखाना चाहेगा.'

- डॉ. ग्लैडविन त्यागी, जनरल फिजिशियन, स्वामी विवेकानंद अस्पताल, दिल्ली

'स्त्री-पुरुष में वजन बढ़ने के अलग कारण'
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. शैली बत्रा कहती हैं कि महिलाओं और पुरुषों में वजन बढ़ने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं कॉमन कारणों में इनटेक ज्यादा है और आउटपुट कम है. मतलब जितना हम खा रहे हैं उतना हम निकाल नहीं रहे हैं. साथ ही जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है. महिलाओं में प्रेग्नेंसी, ब्रेस्टफीडिंग, मेनोपॉज, बढ़ती उम्र के साथ शरीर का वजन बढ़ता है. अगर हम आदमियों को परमिशन देते हैं कि उनकी तोंद निकल रही है वहीं महिलाओं के वजन बढ़ने पर बॉडी शेमिंग कर रहे हैं. दोनों ही स्थितियां गलत हैं.

'बढ़ते वजन पर बॉडी शेमिंग गलत है, लेकिन किसी के बढ़ते वजन को ग्लोरिफाई करके प्रभावित करना ठीक नहीं है. मर्दों में वजन बढ़ने की टेंडेंसी महिलाओं के मुकाबले कम होती है.'

-डॉ. शैली बत्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बत्रा अस्पताल

क्या कहते हैं मोटापे पर आकड़े?
बात जब दुनिया भर के आंकड़ों की की जाती है तब विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 में, 18 साल और उससे अधिक उम्र के 2.5 बिलियन वयस्क ओवरवेट वाले थे, जिनमें 890 मिलियन से ज्यादा अडल्ट्स मोटापे से ग्रस्त थे. यह 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के 43% वयस्कों (पुरुषों का 43% और महिलाओं का 44%) के अनुरूप है, जो अधिक वजन वाले थे. अधिक वजन का प्रचलन क्षेत्र के अनुसार भिन्न होता है. लैंसेट जर्नल की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में वयस्क मोटापे की दर 1990 में 1.2% से बढ़कर 2022 तक महिलाओं के लिए 9.8% और पुरुषों के लिए 0.5% से बढ़कर 5.4% होने की उम्मीद हो गई. यह बताया गया कि 2022 में लगभग 4.4 करोड़ महिलाएं और 2.6 करोड़ पुरुष मोटापे का सामना किया. 


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क्या है माय बॉडी माय राइट्स?
डॉ. सांत्वना श्रीकांत का कहना है कि महिलाएं पहले ही अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. ऐसे में उनके बढ़ते वजन को सही ठहराना ठीक नहीं है. अगर किसी को क्लिनिकल प्रॉबल्म है तब अलग बात है लेकिन वैसे एक संतुलित डाइट और संतुलित वजन होना ही स्वास्थ्य के नजरिए से ठीक है. माय बॉडी माय राइट एक वैश्विक मुहिम है, जिसमें महिलाएं अपने स्वास्थ्य, शरीर और सेक्शुलिटी के निर्णयों को एक मूलभूत मानव अधिकार मानती हैं. प्रो. सुप्रिया पाठक कहती हैं कि माय बॉडी माय राइट्स के नाम पर फ्री सेक्स को भी बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. इससे समाज में नैतिकता खत्म हो जाएगी. अगर कोई पुरुष विवाह से इतर संबंध बनाता है तो वह भी गलत है और कोई स्त्री बनाती है तो वह भी गलत है. शादी सिर्फ बंधन ही नहीं बल्कि नैतिकता, विश्वास, भरोसा भी है. 

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