Akhilesh Yadav को CBI ने खनन मामले में भेजा है समन, समझिए क्या है पूरा मामला

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Feb 29, 2024, 09:32 AM IST

अखिलेश यादव

Akhilesh Yadav CBI Summon: अखिलेश यादव को सीबीआई ने खनन घोटाले में समन भेजा है. इसी केस में सीबीआई ने साल 2019 में एक एफआईआर दर्ज की थी.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने समन भेजा है. अखिलेश यादव को आज यानी 29 फरवरी को सीबीआई के सामने पेश होने को कहा गया था. हालांकि, अखिलेश यादव आज पेश नहीं होंगे. यह मामला साल 2012 से 2016 के बीच हुए खनन आवंटनों से जुड़ा है. इस दौरान अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. आरोप है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के प्रतिबंधों के बावजूद अवैध रूप से खनन की अनुमति दी गई. इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने अखिलेश यादव को बतौर गवाब पेश होने के लिए समन भेजा है.

जिस मामले में अखिलेश यादव को समन भेजा गया है उसमें साल 2019 में FIR भेजी गई थी. बता दें कि यूपी में 2012 से 2017 के बीच समाजवादी पार्टी की सरकार थी जिसकी अगुवाई अखिलेश यादव मुख्यमंत्री के रूप में कर रहे थे. इसी सरकार के दौरान हमीरपुर, सिद्धार्थनगर, सहारनपुर, कौशांबी, शामली, देवरिया और फतेहपुर में अवैध खनन के मामले सामने आए थे. इसी मामले में 2 फरवरी 2019 को CBI ने कुल 11 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. हालांकि, अखिलेश यादव इस मामले में आरोपी नहीं हैं.


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क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि एनजीटी के प्रतिबंधों के बावजूद सपा सरकार ने खनन लाइसेंसों को अवैध रूप से रिन्यू कर दिया था. सरकारी अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने अन्य आरोपियों के मिलकर हमीरपुर में अवैध खनन करवाया. 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने अवैध खनन की जांच शुरू की. साल 2019 में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और कई जगहों पर छापेमारी भी की थी.

CBI के मुताबिक, अखिलेश यादव ने CM रहते हुए ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का उल्लंघन किया और 17 फरवरी 2013 को एक ही दिन में खनन से जुड़े 13 प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. आरोप है कि CM ऑफिस से हरी झंडी के बाद हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला ने खनन की अनुमति दे दी. साल 2012 से 2013 तक खनन विभाग अखिलेश यादव के पास ही थी. इसी वजह से उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है.


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2019 में दर्ज की गई FIR में सीबीआई ने तीन सरकारी अधिकारियों समेत कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया. तत्कालीन डीएम बी चंद्रकला, खनन अधिकारी मोइनुद्दीन और क्लर्क रामाश्रय प्रजापति का नाम आरोपी के तौर पर शामिल किया गया. जिन लोगों को पट्टा दिया गया उनमें से दिनेश मिश्रा, रमेश मिश्रा, अंबिका तिवारी, सत्यदेव दीक्षित, उनके बेटे संजय दीक्षित, राम अवतार सिंह, आदिल खान और करण सिंह को भी आरोपी बनाया गया.

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