डीएनए हिंदी: जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने (Cloud burst in Amarnath) की वजह से आई अचानक बाढ़ ने त्रासदी जैसी स्थिति पैदा कर दी है. हादसे में कुल 16 लोगों की जान चली गई है वहीं 40 से ज्यादा लोग अभी लापता हैं. हादसे के बाद सेना रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue operation) के लिए एक खास तकनीक का इस्तेमाल कर रही है, जिसके जरिए मलबे में दबे लोगों को तलाशा जा रहा है. सेना के मुताबिक, बाढ़ के मलबे में दबे जवानों और सिविलयन का पता लगाने के लिए सेना ने वॉल पेनिट्रेशन रडार (Wall Penetration Radar) का इस्तेमाल किया है. यह तकनीक एक बार फिर चर्चा में है. आइए समझते हैं क्या होती है यह तकनीक?
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क्या है वॉल पेनिट्रेशन रडार?
इस रडार का इस्तेमाल सेना एंटी-टेरिरिस्ट ऑपरेशन में घर और दीवारों के पीछे छिपे आंतकियों की लोकेशन ट्रेस करने के लिए करती है. यह रडार दीवार के पीछे स्टेटिक और मूविंग टारगेट का पता लगा सकती है. इसी रडार को मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाने के लिए यूज किया जा रहा है.
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कैसे काम करती है वॉल पेनिट्रेशन रडार तकनीक?
वॉल पेनिट्रेटिंग रडार हाई रिजोल्यूशन के साथ उच्च आवृत्ति की रेडियो वेव रिलीज करता है. बेहद कम समय में यह ऑब्जेक्ट से टकराकर उसकी मौजूदगी भांप लेता है. यह तकनीक विद्युत चुम्बकीय तरगों पर आधारित है. यह वॉल को आसानी से क्रॉस करने में सक्षम है. अब इसी तकनीक का इस्तेमाल जांच के लिए किया जा रहा है.
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मलबे में अब भी दबे हैं कई लोग, इसी तकनीक से आएंगे बाहर
कई लोगों के अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका जताई जा रही है. NDRF और भारतीय सेना के जवान लगातार मलबे में फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश में जुटे हैं. अमरनाथ पहुंचे कम से कम 15,000 तीर्थयात्रियों को पंजतरणी ले जाया गया है.
25 घायलों को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना, सुरक्षाबल और एनडीआरएफ के जवान जुटे हैं. बीते 24 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. वॉल पेनिट्रेशन रडार के जरिए लोगों को बाहर निकाला जा रहा है.
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