गहलोत और पायलट के झगड़े से क्रैश हुआ कांग्रेस का विमान, 20 से ज्यादा सीटों पर हुआ करारा नुकसान

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 04, 2023, 05:32 PM IST

सचिन पायलट और अशोक गहलोत. (फाइल फोटो-PTI)

Rajasthan Result 2023: राजस्थान चुनाव में इस बार अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2018 की तरह जुगलबंदी नहीं दिखी. यही वजह है कि राजस्थान में 20 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस 10 हजार से कम मार्जिन से हारी.

डीएनए हिंदी: राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत हुई. बीजेपी को 115 सीटें मिली हैं, जबकि कांग्रेस केवल 69 सीटों पर ही सिमट गई. पिछले कई सालों से चला आ रहा हर पांच साल में सरकार बदलने का रिवाज बरकरार रहा. हालांकि, इस बार यह रिवाज टूटने की पूरी संभावना थी लेकिन अशोक गहलोत और सचिन पायलट के मनमुटाव ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया. चुनाव परिणाम के जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि दोनों नेताओं के मनमुटाव की वजह से कांग्रेस को 20 से ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2018 की तरह जुगलबंदी नहीं दिखी. यही वजह है कि राजस्थान में 20 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस 10 हजार से कम मार्जिन से हारी. इन सीटों में विश्वेंद्र सिंह की डीग-कुम्हेर सीट, वाजिब अली की नगर, ममता भूपेश की सिकराय, प्रमोद जैन भाया की अंटा और करण सिंह की छबरा सीट शामिल हैं. यह सभी नेता गहलोत खेमे के थे. हालांकि इस झगड़े से नुकसान पायलट खेमे को भी हुआ. पायलट गुट को नसीराबाद, विराटनगर और चाकसू में हार का सामना करना पड़ा है.

गहलोत-पायलट ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
अंटा और छबरा सीट पर अंदरूनी राजनीति की वजह से कांग्रेस की हार हुई. अंटा सीट पर कांग्रेस ने मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा था. जबकि छबरा से पूर्व विधायक करण सिंह को टिकट दिया. इन दोनों सीट पर कांग्रेस उम्मीदवारों के हारने की वजह से सचिन पायलट गुट के नरेश मीणा हैं. क्योंकि यह दोनों सीट मीणा बहुल मानी जाती है. लेकिन गहलोत ने अपने नरेश मीणा को टिकट देने के बजाए अपने गुट के उम्मीदवारों को दे दिया. इससे नाराज नरेश मीणा ने भाया और करण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

ये भी पढ़ें- 'चुनाव में हार से सीखे विपक्ष' संसद के शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी की दहाड़ 

नरेश अंटा या छबरा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पायलट के नजदीकी होने की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने मीणा समाज की बैठक बुलाई और छबरा सीट से निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया. छबरा सीट से नरेश जीतने में सफल तो नहीं रहे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार करण सिंह वोट बिगड़ा दिया. बीजेपी उम्मीदवार प्रताब सिंह संघवी ने उन्हें मात्र 5108 वोट से हराया. जबकि निर्दलीय नरेश मीणा को 41,000 वोट मिले.


इसी तरह सीकर जिले की खंडेला सीट पर भी गहलोत-पायलट की जंग कांग्रेस के लिए हार की वजह बनी. सचिन पायलट अपने करीबी सुभाष मील को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन गहलोत निर्दलीय महादेव खंडेला को टिकट दे दिया. इससे नाराज सुभाष मील ने बीजेपी का दामन थाम लिया और उन्होंने 42,000 वोटों के अंतर जीत दर्ज की. इसी तरह चौहटन सीट पर द्माराम 1428 वोट से हार गए. डीडवाना पर निर्दलीय यूनूस खान ने कांग्रेस के चेतन डूडी को 2392 वोटों से हराया. 

कांग्रेस को 20 सीटों पर हुआ नुकसान
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव की वजह से कांग्रेस को 20 से ज्यादा सीटों का नुकसान हुआ. बीजेपी की जीत अंतर भी 10 हजार वोटों से कम था. जानकारों का कहना है कि अगर गहलोत और पायलट के बीच 2018 तरह जुगलबंदी रहती तो कांग्रेस आसानी का इतना बड़ा नुकसान नहीं होता और वह आसानी से सरकार बना लेती. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.