डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश की सियासत में हमेशा बाहुबली नेताओं का दबदबा रहा है. जो अपने दबंग रसूख के कारण चुनावी बयार को अपनी तरफ मोड़ने में माहिर माने जाते थे. ऐसा ही कद्दावर नेता पूर्वांचल में भी था. जिसका रसूख ऐसा था कि राज्य में सरकार चाहे जिसकी भी बने लेकिन वो मंत्री बन जाते थे. हम बात कर रहे बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) की. अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी 19 साल बाद जेल से रिहा किया जा रहा हैं. उन्हें युवा कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
दरअसल, अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को जेल में अच्छे आचरण की वजह से रिहा किया जा रहा है. गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को उनके आचरण और क्राइम को देखते हुए रिहाई का आदेश दिया था. इसके आधार पर त्रिपाठी दंपती ने कोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि अगर किसी और मामले में जेल में रखने की जरूरत नहीं है तो सजा की अवधि और उम्र को देखते हुए दोनों को रिहा किया जा सकता है.
करीब 20 साल पहले की गई थी मधुमिता की हत्या
बता दें कि 9 मई 2003 को लखनऊ की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कप मच गया था. पुलिस ने इस मामले की जांच की तो अमरमणि त्रिपाठी का नाम सामने आया था. पुलिस को नौकर देशराज से मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में पता चला था. लेकिन अमरमणि के कद्दावर नेता होने के वजह से पुलिस हाथ डालने से डर रही थी. तभी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने CB-CID के जांच के आदेश दिए.
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मधुमिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए उनके गृह जनपद लखीमपुर भेजा गया. रिपोर्ट जब सामने आई तो जांच टीम की आंखें फटी की फटी रह गई. दअरसल, रिपोर्ट में मधुमिता के गर्भवती होने का जिक्र था. अधिकारियों ने तुरंत अमरमणि और बच्चे के डीएनए की जांच कराई तो मामला खुल गया. इसके बाद बसपा सरकार पर दवाब पड़ने लगा तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
मधुमिता के पेट ने खोला राज
सीबीआई को भी अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ कई सबूत मिले. इस दौरान बाहुबलि नेता की तरफ से गवाहों को धमकाने के आरोप लगे तो मामले को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया. देहरादून कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई.
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लेकिन जेल के बाद भी अमरमणि त्रिपाठी का दबदबा कम नहीं हुआ. वह लगातार 6 बार विधायक रहे. अमरमणि त्रिपाठी उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए भी जीत हासिल की. जेल में रहकर उन्होंने अपने बेटे अमनमणि त्रिपाठी को भी विधायक बनाया. कई बार उन पर जेल से ज्यादा अस्पताल में समय बिताने का आरोप लगा. अमरमणि की रिहाई एक बार फिर यूपी की सियासत में उबाल ला सकती है.
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