डीएनए हिंदी: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में रविवार को मतदान हो रहा है. विपक्षी बीएनपी पार्टी ने इस चुनाव का बहिष्कार किया है. बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के बाद से ही भारत के साथ संबंध बेहतर रहे हैं और दोनों देश व्यापार से लेकर रणनीतिक मामलों में साझीदार हैं. पिछले कुछ वक्त से एशिया में अपना रौब बढ़ाने के लिए चीन ने कई एशियाई देशों को भरपूर कर्ज दिया है. बांग्लादेश की भौगोलिक और कूटनीतिक महत्व को देखते हुए शेख हसीना का सत्ता में आना भारत के लिए सकारात्मक खबर होगी. विदेश नीति के मोर्चे पर भारत और चीन के साथ शेख हसीना बैलेंस बनाकर चलने में काफी कुशल रही हैं. हसीना पाकिस्तान और श्रीलंका से अलग खुद को अब तक चीन के जाल से बचाने में कामयाब रही हैं.
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में और प्रगाढ़ता आई है. इस चुनाव में शेख हसीना की जीत तय मानी जा रही है क्योंकि विपक्षी पार्टी बीएनपी ने चुनावों का बहिष्कार किया है. अमेरिका और कई पश्चिमी देश बांग्लादेश में राजनीतिक हत्याओं पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. दूसरी ओर भारत ने स्पष्ट कहा था कि चुनाव बांग्लादेश का घरेलू मामला है और हमारा मानना है कि बांग्लादेश के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना है. विदेश मंत्रालय के इस बयान में शेख हसीना के साथ भारत के खड़े होने का संकेत समझा जा रहा है. समझें हसीना क्यों भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं.
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चीन ने बांग्लादेश में किया है भारी निवेश
बांग्लादेश और चीन के कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध काफी फैले हुए हैं जो कि भारत के लिए खतरे की घंटी ही है. चीन भी बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का समर्थन करता है. 2016 में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में बांग्लादेश शामिल हुआ था. बांग्लादेश को दो पनडुब्बियां बेचने के अलावा चीन कुतुबदिया में इनके लिए 1 बिलियन डॉलर का बेस बना रहा है. बीजिंग की यह मौजूदगी भारत के लिए चिंता का सबब है लेकिन इसके बाद भी भारत शेख हसीना सरकार के समर्थन में है क्योंकि उन्होंने अब तक कुशलता से चीन की साम्राज्यवादी नीयत और चाल को भांपते हुए एक-एक कदम उठाया है.
शेख हसीना ने हमेशा दी है भारत के हितों को तरजीह
विदेश मामलों की बात करें तो शेख हसीना ने अपने दिवंगत पिता की ही तरह भारत को हमेशा तरजीह दी है और नई दिल्ली की बड़े भाई वाली भूमिका का ख्याल रखा है. चीन के साथ रणनीतिक और व्यापारिक समझौतों के बाद भी ढाका और नई दिल्ली के बीच पिछले एक दशक में कई अहम साझेदारियां हुई हैं. 2021-22 में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार 15 बिलियन डॉलर से ज्यादा का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ है. बांग्लादेश 3 ओर से भारत से घिरा है और 2009 में शेख हसीना की सरकार बनने के बाद उन्होंने बड़े पैमाने पर भारत क हितों का ध्यान रखते हुए बांग्लादेश से संचालित होने वाले उग्रवादी गुटों और आतंकी संगठनों पर नकेल कसी थी.
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भारत ने बांग्लादेश के साथ व्यापार और कनेक्टिविटी पर दिया है जोर
भारत के सामने सुरक्षा के लिहाज से दो चुनौतियां रही हैं. पाकिस्तान और चीन की ओर से मिलने वाली चुनौती को देखते हुए भारत ने बांग्लादेश के साथ व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी के अलावा दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी पर भी जोर दिया है. भारतीय नीति निर्माताओं का मानना है कि दिल्ली को ढाका में एक मैत्रीपूर्ण शासन जरूरत है. दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक संबंधों के साथ कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए भी कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं. अगरतला-अखौरा रेल लिंक और भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन जैसी साझा परियोजनाएं दोनों देशों के संबंधों की मजबूती और भरोसे को दिखाती हैं.
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