BBC documentary: 'इंडिया द मोदी क्वेश्चन' पर दिल्ली से हैदराबाद तक सुलग रही आग, पढ़ें JNU में स्क्रीनिंग पर क्यों मची सियासी रार

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jan 25, 2023, 11:01 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credit @BJP/twitter)

The BBC documentary film India: इंडिया द मोदी क्वेश्चन पर जमकर बवाल हो रहा है. JNU और हैदराबाद यूनिवर्सिटी में हंगामा भड़क गया है.

डीएनए हिंदी: BBC की डॉक्यूमेंट्री  'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन'  पर भारत में सियासी बवाल शुरू हो गया है. JNU और हैदराबाद जैसे विश्वविद्यालयों में इस डॉक्यूमेंट्री पर हंगामा बरपा है. देश में इसकी स्क्रीनिंग पर बवाल हो रहा है. राजनीतिक दलों और छात्र संघों के अलग-अलग गुटों में सियासी लड़ाई इसकी स्क्रीनिंग को लेकर ठनी है. एक गुट है जो चाहता है कि इसकी स्क्रीनिंग रोकी जाए. दूसरे गुट की मांग है कि इसकी हर जगह स्क्रीनिंग हो.

केंद्र और विदेश मंत्रालय ने विवादास्पद बीबीसी के इस डॉक्यूमेंट की निंदा की है. विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का शीर्षक 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' .  यह एक दो पार्ट की एक फिल्म सीरीज है. 2002 गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी यह डॉक्यूमेंट्री, तब के राजनीतिक हालात को बयां करती है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन पर गुजरात दंगे कराने के आरोप लगाए गए हैं. केंद्र सरकार की ओर से पहले ही इस डॉक्यूमेंट की स्क्रीनिंग रोक दी गई है. विदेश मंत्रालय ने इसे प्रोपेगेंडा करार दिया है.

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इंडिया: द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड 17 जनवरी को ब्रिटेन में प्रसारित हुआ था. अगला एपिसोड 24 जनवरी को प्रसारित हुआ है, जिसकी स्क्रीनिंग रोक दी गई है. पहले एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुरुआती राजनीतिक जीवन को दिखाया गया है कि कैसे वह गुजरात के मुख्यमंत्री बने. इस डॉक्यूमेंट्री में उनके खिलाफ कई बातें दिखाई गई हैं.

BBC की डॉक्यूमेंट्री पर क्यों भारत में हो रहा बवाल?

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात कार्यकाल को लेकर सवाल खडे़ किए गए हैं. जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी साल 2002 में दंगे भड़के थे. इस दंगे में करीब 2,000 लोग मारे गए थे. इसी को लेकर नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर सवाल उठाए गए हैं. दावा किया गया है कि यह पूरी तरह से शोधपरक रिपोर्टिंग है, जो हिंसा की सही तस्वीर दिखा रही है. भारत में इसे भ्रामक और गलत कहा जा रहा है.

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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच एक राजनीतिक युद्ध छेड़ दिया है. जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर भी हंगामा भड़का है.

JNU में कैसे भड़का हंगामा?

JNU छात्र संघ बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री का स्क्रीनिंग नहीं कर पाया है. छात्रों का आरोप है कि स्क्रीनिंग के दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रसंघ के कार्यालय का बिजली और इंटरनेट कनेक्शन काट दिया. छात्रों ने अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी. इसी दौरान जमकर हंगामा भड़का.

JNUSU कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए छात्रों ने दावा किया कि जब वे इसे अपने फोन पर देख रहे थे तो उन पर पत्थर फेंके गए. हालांकि पुलिस को ऐसी किसी घटना की सूचना से इनकार कर रही है. छात्रों के आरोपों और दावों पर JNU प्रशासन की ओर से भी तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. छात्र संघ ने कार्यक्रम के लिए प्रशासन की अनुमति नहीं ली थी.

AISA के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनसाई बालाजी ने दावा किया कि छात्रों ने इसे देखने और साझा करने के लिए एक ऑनलाइन एप्लिकेशन के जरिए अपने मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री को डाउनलोड किया. JNU में  डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, स्टूडेंट फेडेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के सदस्यों ने आरोप लगाए हैं कि स्क्रीनिंग के दौरान उन पर पत्थर फेंके गए हैं.

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भारत में बैन है BBC की ये डॉक्यूमेंट्री

सरकार ने शुक्रवार को ट्विटर और यूट्यूब को 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री के लिंक को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था. विदेश मंत्रालय ने इसे दुष्प्रचार का हथकंडा बताया था. सरकार का कहना है कि इसमें निष्पक्षता का अभाव है और यह एक औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है.

सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी की मिल चुकी है क्लीन चिट

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों से संबंधित सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी क्लीन चिट मिल चुकी है. फिर भी विपक्ष पीएम मोदी को गुजरात दंगों पर घेरना चाहता है. 

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