डीएनए हिंदी: दुनियाभर की सरकारों ने महंगाई (Inflation) को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. खासकर फूड इंफ्लेशन (Food Inflation) को कम करने के लिए कई तरह के फैसले लिए गए हैं. जिसका असर अब इंटरनेशनल मार्केट समेत दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है. ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोर कमोडिटी इंडेक्स जिसमें एग्री कमोडिटी का 40 फीसदी हिस्सा है में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. इंटरनेशनल मार्केट से लेकर भारत के स्पॉट मार्केट तक गेहूं के दाम (Wheat Price) 10 से 15 सप्ताह के निचले स्तर पर आ चुका है. साथ ही स्थानीय वायदा बाजार में मसालों और खाने के तल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आम लोगों की ओर से इस्तेमाल होने वाली खाने-पीने की चीजें कितनी सस्ती हुई हैं.
इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं हुआ सस्ता
कोर कमोडिटी इंडेक्स, जिसमें एग्री कमोडिटी की 40 फीसदी की भागेदारी है, बड़ी खाद्य आपूर्ति की संभावनाओं के बीच 5 सप्ताह के निचले स्तर पर गिर गया. गेहूं वायदा 10-सप्ताह के निचले स्तर 10 डॉलर प्रति बीयू पर गिर गया और मई में 14-वर्ष के हाई से 20 फीसदी नीचे है. अगर बात मकई वायदा की करें तो मौजूदा समय में 7.7 डॉलर प्रति बीयू के आसपास कारोबार कर रहा है, जो अप्रैल में 8.1 डॉलर के 10-वर्ष के हाई से नीचे है. अमेरिका और रूस में गेहूं का उत्पादन बढ़ रहा है.
पाम ऑयल में भी गिरावट
इसके अलावा, पाम तेल की कीमतें मलेशियन करेंसी में 5,000-प्रति-टन के स्तर से नीचे गिर गईं हैं. पाम ऑयल मार्च में रिकॉर्ड स्तर से 20 फीसदी से ज्यादा सस्ता हो गया है. वास्तव में इंडोनेशिया ने कम से कम 1 मिलियन टन शिप करने के लिए एस्पोर्ट बढ़ाने की योजना का ऐलान किया है. दूसरी एग्री कमोडिटी में भी गिरावट आई है. रेपसीड तेल और सूरजमुखी के तेल में जो रिकॉर्ड ऊंचाई से क्रमश: 30 फीसदी और 15 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. और सोयाबीन भी 18 डॉलर प्रति बीयू के रिकॉर्ड लेवल से नीचे है.
भारत का क्या हाल
अगर बात भारत की करें तो देश की राजधानी दिल्ली में गेहूं स्पॉट के दाम 2270 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं. जोकि 08 मार्च 2022 के अपने 2420 रुपये के हाई से करीब 6 फीसदी नीचे हैं. जिसे एक बड़ी गिरावट कही जा सकती है. अगर दूसरे कमोडिटी की बात करें तो कास्टर सीड के दाम अपने हाई से 6.24 फीसदी नीचे आ चुके हैं. जबकि मेंथा ऑयल 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देख चुका है. कॉटन के दाम अपने हाई से 7 फीसदी से ज्यादा नीचे आ चुके हैं. ग्वार के बीच में 19 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. हल्दी अपने हाई से करीब 31 फीसदी सस्ती हो चुकी है. जीरे के दाम में करीब 11 फीसदी की गिरावट है. धनिया भी करीब 17 फीसदी सस्ता हो चुका है.
Inflation को कम करने का 'बाइडेन प्लान', क्या दुनिया से कम होगी महंगाई?
क्या कहते हैं जानकार
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार रूस और अमेरिका में गेहूं के प्रोडक्शन में इजाफा देखने को मिला है. वहीं भारत में भी गेहूं के उत्पादन में तेजी देखने को मिली है. जिसका असर कीमतों में देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर इंडोनेशिया ने भी ने पाम ऑयल के एक्सपोर्ट को बढ़ाने की योजना पर काम कर दिया है. जिसके खाने के तेल की कीमतों पर काबू में लाने का बड़ा कदम कहा जा सकता है. जिसका असर सभी देशों में देखने को मिलेगा.
भारत में उठाए गए कदम
ओरिगो ई-मंडी के सीनियर मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) इंद्रजीत पॉल के मुताबिक मौजूदा समय में सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रण में रखने के साथ ही खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं का प्रबंधन करने के लिए नीतियां बनाने में काफी सक्रिय है. उनका कहना है कि गेहूं के निर्यात पर रोक, चीनी निर्यात को सीमित करने और 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन एवं सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाने जैसे कदम से पिछले कुछ दिनों में एग्री कमोडिटीज की कीमतों में कमजोरी देखने को मिली है. इंद्रजीत पॉल का कहना है कि अगले कुछ दिनों में मानसून की स्थिति में सुधार होने से अधिकांश प्रमुख खरीफ फसल उगाने वाले क्षेत्रों में बुआई बढ़ने की संभावना है जिससे भी कीमतों पर नकारात्मक असर देखने को मिला है. यूक्रेन से सड़क और अन्य माध्यमों से अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के माध्यम से निर्यात शुरू होने की वजह से रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजार में सप्लाई की चिंता में भी कमी हुई है.
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