Bihar Special : सिर्फ बिहार में है ये सूर्य मंदिर, पूरे विश्व में और कहीं नहीं, छठ पूजा से है इसका खास कनेक्शन

Written By मीना प्रजापति | Updated: Nov 07, 2024, 11:53 PM IST

बिहार में छठ महापर्व बड़े जोश के साथ मनाया जाता है. यहां एक ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धालुओं की आस्था अधिक है. छठ पर्व पर इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर के साथ छठ की एक कहानी भी जुड़ी है.

Bihar Special : बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित देव सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है. भगवान सूर्य का ये त्रिमूर्ति मंदिर पूरे विश्व में सिर्फ एक ही है. इस मंदिर की प्रसिद्धि इतनी है कि छठ पर्व पर देशभर से लोग यहां त्योहार मनाने आते हैं. लाखों की संख्या में व्रती यहां पहुंचेत हैं. इस स्थान पर छठ महापर्व करने का विशेष महत्व है. 

छठ और देव सूर्य मंदिर का कनेक्शन
ऐसा माना जाता है कि पहले देवताओं की माता अदिति ने रात भर का उपवास करके भगवान सूर्य का अर्घ्य इसी स्थान पर दिया था. कहा जाता है कि जब असुरों के हाथों देवता हार गए थे तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र प्राप्त करने के लिए छठी मैया की आराधना की थी. तब छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया था. उसी पुत्र ने देवता को जीत दिलाई थी.  इस कथा के बाद से यहां छठ मनाने का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस मंदिर में भगवान सूर्य के संहारकर्ता, पालनकर्ता और सृष्टि कर्ता तीनों ही रूप विद्यमान हैं. इस मंदिर का विशेष महत्व छठ महापर्व के समय अधिक बढ़ जाता है. लोगों का ऐसा मानना है कि इस मेंदिर में पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह मंदिर 100 फीट ऊंची एक संरचना है. 


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देवार्क मंदिर की खासियतें?
माना जाता है कि उमगा के चंद्रवंशी राजा भैरवेंद्र सिंह ने इसे बनवाया था. यह मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए जाना जाता है. पत्थरों से तराश कर बनाए गए इस मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट कला का नमूना है. इस मंदिर के निर्माण के समय को लेकर अलग-अलग मत हैं. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये मंदिर छठी-आठवीं सदी के बीच बना होगा, जबकि पौराणिक कथाएं इसे द्वार युग का मानती हैं. छठ पर्व के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी संख्या उमड़ती है. इस मंदिर में भगवान के उदयाचल, मध्याचल और अस्ताचाल तीनों रूप विद्यमान हैं. 

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