Jagannath Puri मंदिर का रत्न भंडार क्यों खुलवाना चाहती है बीजेपी? जानिए कितने गहनों से भरा है खजाना

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 09, 2023, 01:30 PM IST

Jagannath Mandir

Jagannath Puri Ratna Bhandar: जगन्नाथ पुरी मंदिर के रत्न भंडार को खोलने की मांग पर एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गई है और बीजेडी से सवाल पूछे जा रहे हैं.

डीएनए हिंदी: ओडिशा के पुरी में मौजूद मशहूर जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार एक बार फिर से चर्चा में है. चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रत्न भंडार को खोलने की मांग फिर से उठा दी है. आशंका जताई जा रही है कि कहीं समय के साथ भगवान के बहुमूल्य गहने रत्न भंडार में बचे हैं या फिर वे समय के साथ गायब हो गए? बीजेपी के अलावा कांग्रेस ने भी ऐसी ही मांग उठाते हुए बीजू जनता दल (बीजेडी) को घेरा है. ओडिशा सरकार के मुताबिक, आखिरी बार इस रत्न भंडार को 38 साल पहले खोला गया था. इस रत्न भंडार में करोड़ों रुपये कीमत के सोने और चांदी के गहने रखे हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वे गहने भगवान के हैं.

विधानसभा में ओडिशा सरकार द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, रत्न भंडार आखिरी बार 1985 में खोला गया था लेकिन कीमती सामानों की नवीनतम सूची 1978 में बनाई गई थी. 1985 तक दो हिस्सों में बंटे रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष को किसी ने नहीं देखा था. बाहरी कक्ष नियमित रूप से खोला जाता है और त्योहारों पर पुजारियों द्वारा आभूषण निकाले जाते हैं. उड़ीसा हाईकोर्ट के एक आदेश के अनुसार, 4 अप्रैल 2018 को रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष को खोलने का प्रयास किया गया था लेकिन मंदिर प्रशासन को चाबियां नहीं मिल पाने के कारण इसे नहीं खोला जा सका. रत्न भंडार के अंदर गए अधिकारियों, सेवकों और विशेषज्ञों को बाहरी कक्ष से वापस लौटना पड़ा.

चाबियां गायब होने की बात पर उठे सवाल
रत्न भंडार को खोलने की इस कोशिश के दो दिन बाद प्रबंध समिति की बैठक में मामला उठने तक प्रशासन ने चाबी गायब होने की बात सार्वजनिक नहीं की. दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिनों के हंगामे के बाद अचानक पुरी जिला प्रशासन ने दावा किया कि रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी उपलब्ध है. अब सवाल यह था कि डुप्लीकेट कहां से आई और मूल चाबी कहां गई? इससे देश भर में भगवान जगन्नाथ के भक्तों के बीच बहुत भ्रम पैदा हो गया.

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बाद में, रत्न भंडार पर न्यायमूर्ति रघुबीर दास जांच आयोग का गठन किया गया और न्यायमूर्ति दास ने नवंबर, 2018 में राज्य सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी. आयोग की रिपोर्ट अभी तक विधानसभा में नहीं रखी गई है. इसी पृष्ठभूमि में लंबे समय से रत्न भंडार को दोबारा खोलने की मांग की जा रही है. पिछले साल दिसंबर में अपने ओडिशा दौरे के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मुद्दे को उठाया था और बीजेडी सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबियां गायब होने के बारे में पूछा था. नड्डा ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेडी सरकार महाप्रभु जगन्नाथ के बहुमूल्य रत्नों और संपत्तियों की रक्षा करने में विफल रही है.

बीजेडी को घेर रही हैं पार्टियां
अलग-अलग अवसरों पर बीजेपी ने रत्न भंडार को फिर से खोलने की मांग की है, जिसे कथित तौर पर कुछ मरम्मत की भी आवश्यकता है. केवल बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों, पुरी के राजा गजपति दिव्यसिंघा देब और पुरी मंदिर के कई वरिष्ठ सेवकों ने भी ओडिशा सरकार से रत्न भंडार को फिर से खोलने और भगवान जगन्नाथ के कीमती सामानों की मरम्मत और सूची बनाने का आग्रह किया है. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने भी मंदिर के खजाने को दोबारा खोलने की मांग की है. हालांकि, राज्य सरकार ने किसी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है.

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ऐसे में बीजेपी ने हाल ही में उड़ीसा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ओडिशा बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष समीर मोहंती की याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने 5 जुलाई को श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के उद्घाटन पर चार लोगों को नोटिस दिया था. मोहंती ने आरोप लगाया था, '45 साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने रत्न भंडार को दोबारा नहीं खोला. जब पुरी के राजा और दुनियाभर के जगन्नाथ भक्त यह जानने का इंतजार कर रहे हैं कि रत्न भंडार में जगन्नाथ की कीमती वस्तुएं सुरक्षित हैं या नहीं तो सरकार गहरी नींद में है.'

7 अगस्त को हाई कोर्ट में होगी सुनवाई
बीजेपी नेता ने कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया है और अदालत ने इसे गंभीरता से लिया है. अगली सुनवाई 7 अगस्त को तय की गई है. जब मीडियाकर्मियों ने हाल ही में रत्न भंडार को फिर से खोलने के बारे में पूछा तो ओडिशा के कानून मंत्री जगन्नाथ सारका ने कहा, 'हमें नहीं पता कि रत्न भंडार की चाबियां गायब हो गई हैं या नहीं. मामला अब उड़ीसा हाई कोर्ट के समक्ष है. राज्य सरकार न्यायालय के निर्देशानुसार विभिन्न पहलुओं की जांच के बाद आवश्यक कदम उठाएगी.'

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2021 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा को बताया कि रत्न भंडार 1978 में खोला गया था. उस समय, इसमें 12,831 'भारी' सोना और 22,153 'भारी' चांदी (एक भारी 11.66 ग्राम के बराबर) थी. भंडारगृह में 12,831 ग्राम सोने के आभूषणों के साथ महंगे पत्थर और अन्य कीमती सामान थे. इसी तरह 22,153 ग्राम चांदी के साथ महंगे पत्थर, चांदी के बर्तन और अन्य कीमती सामान मिला. हालांकि, अलग-अलग कारणों से इन्वेंट्री प्रक्रिया के दौरान 14 सोने और चांदी की वस्तुओं का वजन नहीं किया जा सका. मंत्री ने अपने लिखित बयान में कहा था कि प्रक्रिया के दौरान, वस्तुओं के मूल्य का आकलन नहीं किया गया.

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