एमपी में OBC, छत्तीसगढ़ में आदिवासी और राजस्थान में ब्राह्मण, इसके पीछे क्या है BJP का एजेंडा?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 12, 2023, 10:20 PM IST

vishnu deo sai, mohan yadav and bhajan lal sharma

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी ने नए चेहरों को कमान सौंपकर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए दांव खेला है. यह कितना कारगर साबित होगा, यह तो अगले साल में ही पता चलेगा. फिलहाल आंकड़े क्या कहते हैं आइये जानते हैं.

डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में प्रंचड जीत हासिल करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है. यही वजह है कि बीजेपी ने तीनों राज्यों में नए चेहरों को मौका देकर 2024 के लिए बड़ा दांव खेला है. मध्य प्रदेश में मोहन यादव, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और राजस्थान में भजन लाल शर्मा को सीएम बनाया है. तीनों चेहरे अलग-अलग जातियों से आते हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी ने 2024 में जाति-वर्गों का समीकरण बनाने के लिए नए चेहरों पर दांव खेला है. आइए समझते हैं कि असल में बीजेपी का गेम प्लान है क्या?


सबसे पहले छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया है. वह आदिवासी समाज से आते हैं. राज्य में आदिवासी वोटर्स को निर्णायक माना जाता है. यहां की लगभग एक तिहाई आबादी आदिवासी है. 90 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में 29 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा राज्य में 11 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 4 आदिवासी समाज के लिए आरक्षित हैं.

छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटर्स पर नजर
जानकारों की मानें तो विष्णुदेव साय को सीएम बनाने के पीछे बीजेपी आदिवासी गढ़ में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है. इस बार विधानसभा चुनाव में आदिवासी इलाकों से बीजेपी को अच्छा खासा वोट मिला था. बीजेपी चाहती है कि आदिवासी वोटरों का फायदा उसे लोकसभा चुनाव के दौरान भी मिले. छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज की आबादी लगभग 34 फीसदी है. वहीं देश में अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों की आबादी करीब 9 फीसदी है.

MP में ओबीसी-यादव वोट बैंक में सेंध
ओबीसी और यादव वोट बैंक पर अखिलेश यादव और लालू यादव की अच्छी पकड़ मानी जाती है. कांग्रेस भी जातिगत जनगणना की बात कहकर OBC को अपने पाले में लाने में जुटी थी. ऐसे में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर विपक्षी दलों के वोट बैंक में सेंध लगा दी.  मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में ओबीसी वोट काफी अहम माना जाता है. ऐसे में बीजेपी ने ओबीसी चेहरे को सीएम बनाकर हिंदी भाषी राज्यों में लोकसभा चुनाव के लिए सियासी पिच तैयार कर ली.

आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश में करीब 42 फीसदी ओबीसी वोटर हैं. वहीं यादव वोटरों की संख्या 12 से 14 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश में  54 प्रतिशत OBC और 10 प्रतिशत यादव वोटर हैं. बिहार में 63.13 फीसदी ओबीसी और 14.26 फीसदी यादव मतदाता हैं. जबकि हरियाणा की बात करें तो यहां 28.3 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी यादव वोटर हैं. तीनों राज्यों में ओबीसी वोटर जिस तरफ रुख कर लिया उधर उस पार्टी की नैया पार हो जाती है.

राजस्थान में ब्राह्मणों को साधने की कोशिश 
राजस्थान में भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने ब्राह्मण वोटर्स को साधने की कोशिश की है. राजस्थान में 89 प्रतिशत हिंदू वोटर्स हैं. इनमें अनुसूचित जाति की संख्या 18 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की 13 प्रतिशत है. ब्राह्मणों की जनसंख्या लगभग 8 प्रतिशत है. देश में सबसे ज्यादा ब्राह्मण राजस्थान में हैं. देश में 5 प्रतिशत ब्राह्मण हैं. ब्राह्मण बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. ब्राह्मण वोट बैंक को बीजेपी खोना नहीं चाहती. यही वजह है कि इस ठोस वोटर्स पर अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए भजन लाल शर्मा को राजस्थान की कमान सौंपी गई है.

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