BRICS Summit 2024: पिछले कुछ सालों में विकासशील देशों का रुझान BRICS समूह की ओर तेजी से बढ़ा है. BRICS, यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बना ये समूह आज दुनिया में अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव को एक नया आयाम दिया है. BRICS में हालिया विस्तार और इसके विकासशील देशों के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के चलते, यह समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और ज्यादा महत्वपूर्ण हो रहा है. इस समूह की राजनीतिक शक्ति भी कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, क्योंकि इसमें शामिल देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बड़े निर्णयों में भाग लेते हैं.
BRICS की ताकत और वैश्विक महत्व
BRICS दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है. इसमें शामिल देशों का वैश्विक जीडीपी (GDP) में 25 प्रतिशत से भी ज्यादा योगदान है. इसके अलावा, इन देशों में दुनिया की करीब 40 प्रतिशत जनसंख्या रहती है. BRICS की कुल अर्थव्यवस्था लगभग $60 ट्रिलियन की है, जो इसे एक आर्थिक महाशक्ति बनाती है. आप इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि दुनिया के नौ सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में BRICS के कुल 6 सदस्य हैं, जिनमें सऊदी अरब, रूस, चीन, ब्राजील, ईरान, और यूएई शामिल हैं. इस समूह का दुनिया के तेल बाजार पर काफी प्रभाव है, क्योंकि BRICS देशों में दुनिया का 43% से ज्यादा तेल का उत्पादन होता है. इसका सीधा प्रभाव वैश्विक तेल बाजार और कीमतों पर पड़ता है.
BRICS शिखर सम्मेलन और इसके विस्तार की योजना
इस वर्ष, रूस के कजान शहर में BRICS शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. 22 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक होने वाले इस सम्मेलन में BRICS के सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं. इस बार का सम्मेलन को इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इसमें BRICS के विस्तार पर भी चर्चा होनी है. जंग के बीच हो रही इस बैठक को कई तरह से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
कब हुई ब्रिक्स की शुरुआत
ब्रिक्स (BRICS) पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है. इसकी स्थापना 2009 में वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने और विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई थी. BRICS देशों का वैश्विक GDP में महत्वपूर्ण योगदान है और ये विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी और सहयोग पर जोर देते हैं. BRICS समूह की पहली औपचारिक बैठक 2009 में रूस में हुई थी, और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने के बाद यह समूह BRICS के रूप में जाना जाने लगा. पिछले साल इस समूह में पांच नए देशों को शामिल किया गया था, जिसमें ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, और इथियोपिया शामिल हैं. इस विस्तार के साथ BRICS का दायरा और भी बढ़ गया है, और इसे और ज्यादा वैश्विक मान्यता मिली है.
विकासशील देशों का BRICS की ओर झुकाव
BRICS समूह के प्रति विकासशील देशों का झुकाव कई कारणों से है. सबसे पहले, BRICS का उद्देश्य उन देशों को साथ लेकर चलना है जो विकासशील स्थिति में हैं और अपने आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. एक ओर जहां G7 जैसे पश्चिमी समूह आमतौर पर विकसित देशों के हितों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं BRICS ने हमेशा से विकासशील देशों के लिए अवसर और समर्थन प्रदान किया है. न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जैसे संस्थान, जो BRICS द्वारा स्थापित किए गए हैं, विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं. इससे देशों को अपनी बुनियादी सुविधाओं को सुधारने और अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है.
पश्चिमी समूहों से असंतोष
कई विकासशील देश G7 और अन्य पश्चिमी समूहों से असंतुष्ट हैं. उनका मानना है कि इन समूहों की संरचना और नीतियां विकसित देशों के हितों पर केंद्रित रहती हैं. इन समूहों की नीतियों का उद्देश्य अक्सर उनके वैश्विक प्रभुत्व को बनाए रखना होता है, जिससे विकासशील देशों को निवेश और संसाधनों के वितरण में मुश्किलें होती हैं. उदाहरण के तौर पर, जलवायु परिवर्तन, व्यापार असंतुलन, और वित्तीय सहयोग जैसे मुद्दों पर G7 की नीतियां कई बार विकासशील देशों के हितों के खिलाफ जाती हैं. BRICS इस असंतोष को दूर करने का एक मंच बन गया है, जहां विकासशील देशों की आवाज को सुना जाता है और उनके हितों को प्राथमिकता दी जाती है.
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चीन और रूस का प्रभाव
पिछले कुछ सालों में BRICS में चीन और रूस का प्रभाव भी महत्वपूर्ण है. ये दोनों देश दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं और BRICS में इनकी भागीदारी ने इस समूह को और ज्यादा प्रभावशाली बनाया है. हालांकि, चीन की बढ़ती भागीदारी ने कुछ चिंताओं को भी जन्म दिया है, खासकर इस बात को लेकर कि क्या यह समूह चीनी प्रभाव के अधीन हो जाएगा. आपको बाते दें इसी संदर्भ में हाल ही में पाकिस्तान ने भी BRICS में शामिल होने के लिए आवेदन दिया है. जिसके बाद रूस ने इस कदम का समर्थन किया है, हालांकि अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
BRICS और नई विश्व व्यवस्था
BRICS के विस्तार का सबसे बड़ा समर्थन रूस और चीन द्वारा किया जा रहा है. ये दोनों देश अमेरिका और पश्चिमी देशों के विरोधी माने जाते हैं और चाहते हैं कि BRICS का विस्तार हो, ताकि अमेरिका और पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती दी जा सके. आने वाले समय में, BRICS में और भी नए सदस्य देशों के शामिल होने की संभावना है, जिससे यह संगठन और भी मजबूत और प्रभावशाली बन सकता है. विकासशील देशों के लिए BRICS एक ऐसा मंच बन चुका है जहां उन्हें न केवल सुना जाता है, बल्कि उनके विकास के प्रयासों को सही दिशा और समर्थन भी मिलता है.
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