यौन उत्पीड़न केस: सांसद बृजभूषण सिंह गिरफ्तार हो सकते हैं या नहीं? जानिए क्या कहता है कानून

अभिषेक शुक्ल | Updated:Jun 01, 2023, 10:45 AM IST

Brij Bhushan Singh

Wrestlers Protest Brij Bhushan Singh: पॉक्सो ऐक्ट के तहत एफआईआर के बावजूद बृजभूषण शरण सिंह को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

डीएनए हिंदी: पहलवानों का धरना, यौन उत्पीड़न का आरोप, बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर और लंबा इंतजार. यह घटनाक्रम इस साल जनवरी महीने से अब तक का है. भारतीय कुश्ती महासंघ के चेयरमैन रहे बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सीधे-सीधे यौन उत्पीड़न और नाबालिग से दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया गया है. आमतौर पर नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को तुरंत गिरफ्तारी की जाती है. ऐसे में बृजभूषण सिंह के खिलाफ अभी तक ऐसी कोई कार्यवाही न होने की वजह से पहलवान आक्रोशित हैं.

एक महीने तक जंतर-मंतर पर धरना देने के बाद पहलवान संसद की ओर महिला सम्मान महापंचायत का आयोजन करने चले तो उन्हें रोककर हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने का ऐलान कर दिया. भारतीय किसान यूनियन के मुखिया नरेश टिकैत ने पहलवानों को रोका और उनसे पांच दिन का वक्त मांगा है. इस सबके बीच बृजभूषण सिंह तरह-तरह से चुनौती दे रहे हैं लेकिन पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. इसी बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील और कानून के जानकार विराग गुप्ता से बातचीत की.

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क्या सांसद होने की वजह से नहीं हो रही गिरफ्तारी?
सांसदों को मिलने वाले संरक्षण के बारे में विराग गुप्ता का कहना है कि संविधान के हिसाब से आपराधिक मामलों में अंतिम सुरक्षा सिर्फ राष्ट्रपति और राज्यपाल को ही होती है, सांसदों और विधायकों को नहीं. यही वजह है कि विधायकों और सांसदों खिलाफ कार्यवाही के लिए विशेष अदालतों का गठन किया गया है. बृजभूषण सिंह के मामले में भी एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई होगी या फिर पटियाला हाउस कोर्ट में होगी, जिसके न्यायिक क्षेत्र में केस दर्ज किया गया है.

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विराग गुप्ता कहते हैं कि सांसद होने के नाते बृजभूषण सिंह को एफआईआर या गिरफ्तारी से कोई संवैधानिक सुरक्षा हासिल नहीं है.  CrPC के नियमों और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के मुताबिक चार मामलों में गिरफ्तारी जरूरी है. पहला- मामला बहुत संगीन हो, गैरजमानती हो और 7 साल की सजा हो सकती हो. दूसरा- अभियुक्त भाग सकता हो. तीसरा- अभियुक्त सबूतों और गवहों के साथ छेड़खानी कर सकता हो. चौथा- जांच में सहयोग न कर रहा हो. 

नीतीश राणा की पत्नी के केस से समझें
कानून का हवाला देते हुए विराग गुप्ता कहते हैं कि सामान्यत: छेड़खानी या पॉक्सो के मामले में तुरंत गिरफ्तारी होती है. ऐसा ही कुछ एक खिलाड़ी (नीतीश राणा) की पत्नी के मामले में हुआ था. रात के समय कुछ युवकों ने उनका पीछा किया और बदसलूकी की थी. पुलिस ने उन आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया. विराग गुप्ता कहते हैं, 'इतनी प्रतिष्ठित महिला खिलाड़ियों ने आरोप लगाए हैं और अभियुक्त की दबंग छवि है तो गिरफ्तारी न होने से सवाल खड़े होते हैं कि क्या बाकी की गिरफ्तारियां गैर जरूरी हैं?'

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उन्होंने कहा, 'दूसरा सवाल यह है कि क्या राजनीतिक दबाव में बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो रही है? अगर बाकी की गिरफ्तारियां गैर जरूरी हैं तो उन्हें रोकने की दिशा में कदम उठने चाहिए क्योंकि एक देश में दो तरह के कानून तो हो नहीं सकते हैं.' बता दें कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई से ठीक पहले दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थी.

कहां तक पहुंचा है मामला?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस में दिल्ली पुलिस ने आरोपी बृजभूषण का बयान ले लिया है. इसके अलावा, मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िताओं के बयान भी दर्ज कराए गए हैं. हालांकि, अभी तक दिल्ली पुलिस ने ऐसी कोई गतिविधि नहीं दिखाई है जिससे यह लगे कि वह बृजभूषण सिंह को गिरफ्तार करने के मूड में है. दूसरी तरफ, बृजभूषण सिंह ने लाई डिटेक्टर और नार्को टेस्ट कराने की चुनौती दी है.

बृजभूषण सिंह की चुनौती पर पहलवानों ने भी कहा है कि वह भी नार्को टेस्ट के लिए तैयार हैं. हालांकि, पुलिस की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है जिसके मुताबिक, किसी का नार्को टेस्ट कराने की जरूरत समझी गई हो.

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