ICICI Bank loan fraud: ब्रॉडकास्टिंग की बादशाहत से बदहाली तक, कैसे जेल पहुंचे Videocon के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 27, 2022, 03:48 PM IST

वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत. (फाइल फोटो)

Videocon Loan Sca: वीडियोकॉन ब्रांड को यूनिवर्सल बनाने वाले वेणुगोपाल धूत सलाखों के पीछे हैं. उन्हें लोन फ्रॉड के एक केस में CBI ने गिरफ्तार किया था.

डीएनए हिंदी: Venugopal Dhoot News- ICICI बैंक की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO चंदा कोच्चर और उनके पति की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत भी सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं. सोमवार को CBI ने उन्हें कथित ICICI लोन फ्रॉड केस में गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि इस फ्रॉड केस में वेणुगोपाल धूत की भी संलिप्तता है.  धोखाधड़ी के इस मामले में 71 वर्षीय देश के दिग्गज उद्योगपतियों में से एक वेणुगोपाल धूत न्यायिक हिरासत में हैं. बजाज स्कूटर की डीलरशिप रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले वेणुगोपाल धूत ने कुछ दशकों में ही इलेक्ट्रॉनिक्स उपभोक्ता उत्पादों की श्रेणी में अपनी कंपनी वीडियोकॉन को घर-घर तक पहुंचा दिया था.

बीते कुछ साल वेणुगोपाल धूत के लिए अच्छे नहीं रहे और वह लगातार आर्थिक मुश्किलों में घिरते चले गए. इस बीच आईसीआईसीआई बैंक से लिए गए कर्ज में शीर्ष स्तर पर हुई गड़बड़ियों के उजागर होने से उनकी स्थिति और बिगड़ी. इसी मामले में अब उन्हें CBI ने गिरफ्तार कर लिया है. वेणुगोपाल धूत का अरबती होने से लेकर फ्रॉड में शामिल होने तक कैसा सफर रहा है, आइए समझाते हैं.

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CBI की एक स्पेशल कोर्ट ने लोन फ्रॉड के एक केस में उन्हें 28 दिसंबर तक CBI की हिरासत में भेज दिया है. वेणुगोपाल धूत ने अपना सफर छोटे कस्बे के एक कारोबारी के रूप में शुरू किया था. नंदलाल माधवलाल धूत के बड़े बेटे वेणुगोपाल ने अपनी कोशिशों से वीडियोकॉन ग्रुप का विस्तार घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के अलावा तेल एवं गैस, रियल एस्टेट और खुदरा कारोबार में भी किया. 

CBI के मुताबिक वीडियोकॉन समूह से लोन लेने के लिए वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर चंदा कोचर और उनके परिवार को रिश्वत दी थी. 2010 और 2012 के बीच चंदा कोचर के नेतृत्व वाले बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का उन्हें लोन मिला था. कुछ ही महीनों बाद, उन्होंने कथित तौर पर कई शेल कंपनियों के जरिए दीपक कोचर की न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये की राशि का निवेश किया. वीडियोकॉन को उधार दी गई ज्यादातर राशि NPA में तब्दी हो गई.

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एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि चंदा कोचर ने इन शेल कंपनियों को लोन देने में अहम भूमिका निभाई थी और अपने पद का दुरुपयोग किया था. चंदा कोचर इन सभी आरोपों से हमेशा इनकार करती रही हैं. उन्हें साल 2018 में ICICI बैंक के एमडी और सीईओ के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

एक साल बाद, CBI ने ICICI बैंक आईसीआईसीआई बैंक के 1,730 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड केस में कोचर, वेणुगोपाल धूत और नूपावर रिन्यूएबल्स और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज समेत कई कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया. CBI ने IPC और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस दर्ज किया है.

आरोप है कि चंदा कोचर ने ICICI बैंक को धोखा देने के लिए एक आपराधिक साजिश के तहत कुछ प्राइवेट कंपनियों के लिए लोन पास किए. इस केस में सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (VIEL) और अज्ञात पब्लिक ऑफीसर्स को भी आरोपी बनाया. अब इसी केस में वेणुगोपाल धूत सलाखों के पीछे पहुंचे हैं.

कैसे वेणुगोपाल ने बदल दी थी टीवी की दुनिया

वेणुगोपाल धूत जन्म महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक कृषक परिवार में हुआ था. उनके पिता के पास रुई ओटने वाली एक मिल थी और वह अनाज का थोक कारोबार भी करते थे. लेकिन 1982 में देश में रंगीन टेलीविजन प्रसारण शुरू होने के साथ परिवार को एक नया कारोबारी अवसर नजर आया और उसने रंगीन टीवी सेट बनाने की सोची. 

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पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले वेणुगोपाल ने टेलीविजन निर्माण की बारीकियां सीखने के लिए जापान का रुख किया और एक साल तक वहां पर इसका प्रशिक्षण लिया. वहां से लौटने के बाद 1986 में वेणुगोपाल ने वीडियोकॉन इंटरनेशल की नींव रखी जिसका इरादा हर साल एक लाख टीवी सेट बनाने का था. इसके लिए कंपनी ने जापानी कंपनी तोशिबा के साथ तकनीकी सहयोग करार भी किया था. वहां से शुरू हुआ सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा. 

...और इस तरह खड़ा कर लिया बिजनेस अंपायर

रंगीन टीवी सेट के मामले में अपनी पकड़ बनाने के बाद वीडियोकॉन ने फ्रिज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडीशनर और अन्य छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के क्षेत्र में भी कदम रखा. इस दौरान उसने ओनिडा, सलोरा और वेस्टन जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया. समस्या उस समय शुरू हुई जब धूत ने वीडियोकॉन का विस्तार अन्य कारोबार क्षेत्रों में भी किया. खासकर वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस के जरिये सेल्युलर सेवा में उतरना नुकसानदेह साबित हुआ. इसे 18 सर्किल के लाइसेंस मिले थे लेकिन कंपनी सिर्फ 11 सर्किल में ही वाणिज्यिक संचार सेवाएं शुरू कर पाई. 


कैसे वीडियोकॉन ग्रुप पर छाए संकट के बादल?

साल 2012 में 122 दूरसंचार लाइसेंस निरस्त करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला वीडियोकॉन समूह पर बहुत भारी पड़ा. रद्द किए गए लाइसेंस में से 21 सिर्फ वीडियोकॉन के थे. हालांकि, बाद में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में समूह को छह सर्किल के लाइसेंस मिल गए थे लेकिन उसने उसे भारती एयरटेल को बेचकर अपना दूरसंचार कारोबार समेट लिया. इसके अलावा नब्बे के दशक के अंत में एलजी और सैमसंग के अलावा सोनी जैसी दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के भारत आने से उसकी बाजार हिस्सेदारी कम होने लगी. बदले हुए हालात में कंपनी का राजस्व लगातार घटता गया और धीरे-धीरे उसपर कर्ज का बोझ बढ़ता गया. 

और ऐसे बदहाल हो गई कंपनी

अपने बकाया कर्ज की वसूली न हो पाने से परेशान बैंकों ने वर्ष 2018 में वीडियोकॉन के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की अपील राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में की. उनके अनुरोध पर कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू की गई और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज में समूह की 12 अन्य कंपनियों को मिला दिया गया. हालांकि, अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज की तरफ से लगाई गई सिर्फ 2,692 करोड़ रुपये की बोली को जून, 2021 में एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी थी. लेकिन बाद में वह पेशकश भी विवादों में घिर गई. हालत यह है कि वीडियोकॉन के कर्जदाताओं को अब भी अपने पैसे वापस मिलने का इंतजार है. (PTI इनपुट के साथ)

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