डीएनए हिंदीः एक समय ऐसा था जब चंदा कोचर (Chanda Cochhar) ICICI बैंक की सीईओ हुआ करती थीं. आज वह सीबीआई की गिरफ्त में हैं. उनके साथ उनके पति दीपक कोचर (Deepak Cochhar) को भी गिरफ्तार किया गया है. दोनों को स्पेशल कोर्ट ने सीबीआई की हिरासत में भेज दिया है. वीडियोकॉन ग्रुप को फर्जी तरीके दिए गए लोन के केस में इन दोनों को गिरफ्तार हुई. दो दिन बाद ही सीबीआई ने वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत (Venu Goapl Dhoot) को भी गिरफ्तार कर लिया है. चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप को फर्जी तरीके से लोन दिलवाए. बदले में वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को फायदा पहुंचाया. चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में ICICI बैंक की सीईओ केपद से इस्तीफा दे दिया था. यह पूरा मामला 3,250 करोड़ रुपये के फर्जी लोन, रिश्वतखोरी और घोटाले का है.
आखिर यह मामला क्या और क्यों मामला दोनों की गिरफ्तारी तक पहुंचा है इसे विस्तार से समझते हैं.
क्या है पूरा मामला?
1 मई 2009 को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की सीईओ बनने के बाद चंदा कोचर ने अनियमित तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत की कंपनियों के लिए लोन मंजूर कराए थे. सीईओ बनने को दो साल बाद 2011 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया. चंदा कोचर ने वीडियोकॉन को करीब 3250 करोड़ रुपये का लोन जारी किया गया था. जबकि धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाया था. इस मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के साथ जुड़ी चार अन्य कंपनियों को जून, 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच 1,875 करोड़ रुपये के 6 लोन को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं का पता चला. CBI का आरोप है कि वीडियोकॉन समूह को दिए इस लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी शामिल थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और वीडियोकॉन को लोन मंजूर करने के लिए वेणुगोपाल धूत से अपने पति के माध्यम से अवैध/अनुचित लाभ प्राप्त किया.
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2016 से शुरू हुआ था खेल
जांच में सामने आया कि अक्टूबर 2016 में यह सब शुरू हुआ था. अरविंद गुप्ता ICICI बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप दोनों में निवेशक थे. उन्होंने लोन देने में गड़बड़ी को लेकर चिंताएं जाहिर की. उन्होंने आरोप लगाया कि चंदा कोचर ने साल 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप के नाम पर 3,250 करोड़ रुपये के लोन को मंजूरी दी थी. आरोप है कि इस लोन के बदले कंपनी ने NuPower रिन्यूएबल्स के साथ डील की थी, जिसके मालिक चंदा कोचर के पति दीपक कोचर थे. गुप्ता ने फिर प्रधानमंत्री, आरबीआई और कई दूसरी अथॉरिटी को इसकी जांच की मांग करते हुए लिखा था. लेकिन उस समय उनकी शिकायत पर किसी का ध्यान नहीं गया.
2018 में व्हिसिल ब्लोअर ने की शिकायत
पूरा मामला सुर्खियों में मार्च 2018 में तब सामने आया जब एक अन्य व्यक्ति ने बैंक के शीर्ष मैनेजमेंट के खिलाफ शिकायत की. इसमें चंदा कोचर शामिल थीं. उनका आरोप था कि बैंक ने जानबूझकर साल 2008 और 2016 के बीच कई लोन अकाउंट्स के नुकसान पर ध्यान नहीं दिया, जिससे प्रोविजनिंग कॉस्ट बचे. 30 मई को, ICICI बैंक ने भी बढ़ते दबाव के चलते मामले में जांच शुरू कर दी. इस बीच, सेबी ने भी कोचर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. उन्होंने इसका रिप्लाई नहीं दिया. जांच आगे बढ़ाने के साथ चंदा कोचर ने अपने पद से जल्दी रिटायर होने का आवेदन किया. बैंक ने इस बात को 4 अक्टूबर को मंजूरी दे दी.
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2019 में दर्ज हुई एफआईआर
चंदा कोचर ने इस मामले में भारी विवाद के बाद चार अक्टूबर, 2018 को अपना पद छोड़ दिया था. 22 जनवरी, 2019 को सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर, और वेणुगोपाल धूत और उनकी कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी. ईडी ने चंदा और उनके पति से जुड़ी 78.15 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्तियां कुर्क की थीं.
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