डीएनए हिंदीः चीन (China) और ताइवान (Taiwan) के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) के ताइवान दौरे के बाद तनाव और बढ़ गया है. चीन ने ताइवान और अमेरिका (America) को इसका अंजाम भुगतने की धमकी दी है तो वहीं अमेरिका ने भी साफ कर दिया है कि वह ताइवान का हर हाल में साथ देगा. चीन ने ताइवान के नजदीक युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया है. इसी बीच दुनिया दो धड़ों में बंटती हुई दिखाई दे रही है. नॉर्थ कोरिया और रूस (Russia) ने चीन को समर्थन दे दिया है. हालात कुछ उसी तरह बनते दिखाई दे हैं जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान दिखाई दिए थे.
चीन को किन-किन देशों ने दिया समर्थन?
चीन के समर्थन में पाकिस्तान आ गया है. इसके अलावा रूस और उत्तर कोरिया ने भी चीन को समर्थन दे दिया है. उत्तर कोरिया ने अमेरिका के खिलाफ बयान देते हुए यह तक कह दिया है कि अगर कोई बाहरी ताकत किसी देश के आंतरिक मामलों में खुलेआम दखल देती है, तो ये उसका अधिकार है कि वो अपनी संप्रभुता बचाने के लिए जवाबी कार्रवाई करे. वहीं पाकिस्तान (Pakistan) का चीन को समर्थन देना कोई नई बात नहीं है. पाक पहले भी कई मौकों पर हमेशा चीन के साथ ही खड़ा नजर आया है.
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ताइवान के साथ कौन-कौन?
ताइवान को सबसे बड़ा साथ अमेरिका का मिला है. अमेरिका ने यहां तक कह दिया है कि अगर चीन उस पर हमला करता है तो वह ताइवान की सैन्य मदद भी करेगा. ताइवान के इतिहास पर नजर डालें तो 1949 में खुद को आजाद मुल्क मानने के बाद से अब तक सिर्फ 14 देशों ने ही उसे मान्यता दी है. ऐसे में यह देश ताइवान को समर्थन दे सकते हैं. हालांकि ये इतने छोटे देश हैं कि युद्ध के हालात में ताइवान का साथ देने से पीछे भी हट सकते हैं. इन देशों में ताइवान के मार्शल द्वीप, नौरू, पलाऊ, तुवालु, इस्वातिनी, होली सी, बेलिज, ग्वाटेमाला, हैती, होंडूरस, पराग्वे, फेडरेशन ऑफ सेंट क्रिस्टोफर एंड नेविस, सेंट लुशिया और सेंट विंसेंट एंड ग्रेनाडाइन्स शामिल हैं. इन देशों के साथ उसके डिप्लोमैटिक संबंध है.
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भारत किसका देगा साथ?
ताइवान के मामल में भारत का रुख अभी तक तटस्थ रहा है. रूस-यूक्रेन के मामले में भी भारत का रुख ऐसा ही रहा था. ऐसे में भारत एक बार फिर वही रास्ता अपना सकता है. दरअसल भारत चिप को लेकर ताइवान पर निर्भर है. दुनिया में आधे से ज्यादा चिप ताइवान में ही बनाई जाती है. इलेक्ट्रिक कार से लेकर, मोबाइल, टीवी, अन्य इलेक्ट्रोनिक उपकरण से लेकर सैटेलाइट तक में यह चिप लगाई जाती है. ऐसे में ताइवान का विरोध भारत करना नहीं चाहेगा. उधर चीन के साथ भी भारत अपने संबंधों को और खराब करना नहीं चाहता है.
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