डीएनए हिंदी: बारिश के दिनों में बादल फटने (Cloudburst) की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं. बादल का फटना बड़े त्रासदी की वजह बनता है. कश्मीर में अमरनाथ (Amarnath Yatra 2022) की पवित्र गुफा के पास बादल फटा है जिसकी वजह से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 40 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं. इससे पहले हिमाचल के कुल्लू में बादल फटा था. उत्तराखंड में अक्सर बादल फटने की घटनाएं सामने आती हैं. पर्वतीय राज्यों में बादल फटने का खतरा हमेशा बना रहता है. आखिर क्यों फटते हैं बादल, क्यों आसमान से बरसती है आफत, आइए समझते हैं.
क्यों फटते हैं बादल?
जब किसी क्षेत्र विशेष में एक सीमा से अधिक मूसलाधार बारिश होती है तो इस घटना को बादल का फटना कहते हैं. सामान्य स्थिति में अगर किसी जगह पर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश होने लगती है तो यह घटना बादल का फटना कहलाती है. बादल फटने की वजह से उस जगह पर बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. पहाड़ी जगहों पर ऐसी घटनाएं जानलेवा साबित होती हैं. मैदानी भागों में बादल के फटने की घटना असामान्य है और इसका व्यापक असर नहीं पड़ता है.
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जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह स्थिर हो जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिलने लगती हैं तब अचानक से भीषण बारिश होने लगती है. बादल की बूंदों के मिलने की वजह से इनका भार बढ़ जाता है और बादल का घनत्व बढ़ जाता है. जिस जगह पर बादल फटते हैं वहां बारिश की रफ्तार बेहद तेज होती है.
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किन स्थितियों में मैदानी भागों में भी फट सकते हैं बादल?
मैदानी भागों में बादल का फटना बेहद असामान्य है. पहाड़ी जगहों पर अगर बादल फटें तो त्रासदी आ सकती है लेकिन मैदानी भागों में नहीं. पहाड़ों की संरचनाएं भी त्रासदी के लिए जिम्मेदार होती हैं. हालांकि अगर गर्म हवा का झोंका बादलों की तरफ मुड़ जाएं तो भी बादल फट सकते हैं. मैदानी इलाकों में ऐसी घटनाएं हो सकती है.
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