डीएनए हिंदीः श्रीलंका में आर्थिक संकट (Sri Lanka Economic Crisis) के कारण हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) पहले ही देश छोड़ चुके हैं. देशभर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं. राजधानी कोलंबो में एक बार फिर कर्फ्यू लगा दिया गया है. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. श्रीलंका में जैसे हालात इस समय बने हुए हैं वैसे दुनिया के कई अन्य देशों में भी हैं. इन देशों की अर्थव्यवस्था लगातार चरमराती जा रही है. एशिया में यह मुश्किल सबसे अधिक है. दूसरी तरफ रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप में भी हालात तेजी से बदल रहे हैं.
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. दो दशकों बाद जब नाटो सैनिकों की वापसी हुई तो लोगों को उम्मीद थी अफगानिस्तान के हालात सुधरेंगे. तालिबान सरकार बनते ही बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह चरमराने लगी. कई देशों ने अफगानिस्तान के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते खत्म कर लिए हैं. ऐसे में समस्या और बढ़ गई है. बाइडन प्रशासन ने अफगानिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में 7 बिलियन डॉलर को फ्रीज कर दिया है. अफगानिस्तान के हालात ऐसे हैं कि लोगों के सामने खाद्यान्न संकट खड़ा हो गया. भारत ने अफगानिस्तान में गेहूं भेजकर लोगों की मदद की लेकिन 4 करोड़ से अधिक आबादी के सामने अभी भी संकट बना हुआ है. यहां सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को भी कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. कई देशों में तो काउंसलेट के कर्मचारियों ने वेतन ना मिलने के कारण नौकरी ही छोड़ दी.
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पाकिस्तान
पड़ोसी देश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार खराब होती जा रही है. यहां तक कि जरूरी काम के लिए भी पाकिस्तान के सामने पैसे नहीं है. वह आईएमएफ के सामने हाथ फैलाए खड़ा है. उसे उम्मीद थी कि आईएमएफ से राहत मिल जाएगी लेकिन जैसे ही पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार गई, आईएमएफ ने पाक को दिए जाने वाले 6 बिलियन डॉलर के राहत पैकेज को भी रोक दिया. पाकिस्तान में महंगाई ने पहले ही रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने पाकिस्तान की हालत और खराब कर दी. यहां तक कि पाकिस्तान को विदेशों से लिए कर्ज को चुकाने के लिए भी कर्ज की जरूरत पड़ रही है. हाल ही में शहबाज सरकार ने ईंधन की कीमतें बेतहाशा बढ़ाईं और सब्सिडी खत्म कर दी. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कितनी तेजी के साथ बर्बाद दी कगार पर जा रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 13.5 बिलियन डॉलर रह गया है.
अर्जेंटीना
अर्जेंटीना की हालत किसी से छुपी नहीं है. यहां हर 10 में से चार अर्जेंटीनावासी गरीब है. यहां आर्थिक संकट कितनी तेजी से गहराता जा रहा है इसकी अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस साल यहां महंगाई दर 70 फीसदी से अधिक रहने की आशंका है. अर्जेंटीना का केंद्रीय बैंक भी आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. यहां विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म हो रहा है. अर्जेंटीना की सरकार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिलने वाली राहत से आस है. उसे आईएमएफ से 44 बिलियन डॉलर का राहत पैकेज मिलना है. हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि इस कर्ज के लिए जिस तरह की शर्तें लगाई गई हैं उससे देश के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा.
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लेबनान
लेबनान पिछले काफी समय से गृहयुद्ध का सामना कर रहा है. इससे यहां की सरकार लगातार आर्थिक संकट में घिरती जा रही है. खुद विश्व बैंक ने भी माना है कि जिस तरह के हालात लेबनान में इस वक्त मौजूद हैं वैसे पिछले 150 सालों में नहीं देखे गए हैं. लेबनान पर करीब 90 बिलियन डॉलर का कर्ज है उसकी जीडीपी का 170 फीसद है. बता दें कि जून 2021 में लेबनानी मुद्रा की कीमत 90 फीसदी कम हो गई है. यहां लोगों को जरूरी चीजों की कमी, गैंस और ईंधन के लेकर अन्य जरूरी सामान के लिए दोगुने तक पैसे देने पड़ रहे हैं. इस मुश्किलों से सरकार निकटने की कोशिश भी कर रही है लेकिन यहां आतंकी हमले लोगों की उम्मीदें खत्म कर रहे हैं.
इजिप्ट
इजिप्ट के लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. सरकार इसके लिए की कदम उठा रही है लेकिन हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय मुद्रा का बार-बार अवमूल्यन हो रहा है. वहीं पानी, ईंधन और बिजली जैसी चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी को कम कर दिया गया है. महंगाई दर 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है. करीब 11 करोड़ की आबादी में से एक तिहाई लोग इस समय इस संकट का सामना कर रहे हैं. यहां कुछ पाकिस्तान जैसे ही हालात है. विदेशी कर्ज चुकाने में सरकार को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी और विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट लगातार जारी है. राहत भरी बात यह है कि यूएई, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों ने मिलकर इजिप्ट को करीब 22 बिलियन डॉलर की मदद दी है. इससे फौरी तौर पर तो कुछ राहत मिली है लेकिन संकट लगातार बढ़ता जा रहा है.
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लाओस
लाओस में अभी जैसे हालात हैं उसे देखकर उसकी श्रीलंका से तुलना की जा सकती है. हालांकि किसी समय यह देश आर्थिक रूप से संपन्न और मजबूत अर्थ व्यवस्था वाली श्रेणी में आता था. कोरोना के कारण यहां हालात तेजी से बिगड़ते गए. यहां उद्योगों पर कोरोना का काफी असर दिखा. यहां की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर रहती है. कोरोना ने यहां लोगों की कमर तोड़ दी. यहां ताजा हालात ऐसे हैं कि मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार से एक-दो महीने ही आयात किया जा सकेगा. विदेशी मुद्रा भंडार में 30 फीसदी की कमी आ चुकी है. अगर हालात नहीं संभले तो मुश्किलें गंभीर हो सकती है.
म्यांमार
कोरोना महामारी के बाद ही म्यांमार आर्थिक संकट से जूझ रहा था. बाकी कसर फरवरी 2021 में हुए तख्तापलट ने कर दी. सैन्य शासन आने के बाद ही कई पश्चिमी देशों ने म्यांमार पर प्रतिबंध थोप दिए. हालात कुछ ऐसे बिगड़े कि लाखों लोगों को अपना घर तक छोड़ना पड़ा. विश्व बैंक ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्था वाली लिस्ट से इसे बाहर कर दिया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी और राजनैतिक संकट के बाद, पिछले दो साल के दौरान, स्कूलों में दाख़िल छात्रों की संख्या में, 80 प्रतिशत तक की कमी आई है और लगभग 78 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा से बाहर हो गए हैं. वहीं 10 लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिमों को पड़ोसी देश बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में शरण लेनी पड़ी है.
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