दुनिया में कैंसर (Cancer) ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनकर ही मरीज और उनके परिजन घबरा जाते हैं. इस बीमारी के नाम से मरीज का मनोबल ही टूटने लगता है. बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनके लिए Cancer का इलाज कराना तक संभव नहीं होता. क्योंकि कैंसर में Chemotherapy के लिए दिए जाने वाले इंजेक्शन की कीमत डेढ़ से दो लाख रुपये की होती है. लेकिन नकली दवा माफिया इस घातक बीमारी से पीड़ितों को भी नहीं बख्श रहे हैं. आज हम ऐसे ही एक गिरोह के बारे में बता रहे हैं जो कैंसर की नकली दवाएं बेचकर मरीजों की जिंदगी से खेल कर रहा था.
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो कैंसर की महंगी दवाओं को Discount पर दिलाने का झांसा देकर लूट रहा था. इस गिरोह के 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह गैंग अब तक कैंसर की कितनी दवाओं को अब तक बेच चुका है और इसके तार कहां-कहां तक जुड़ें इसके बारे में पुलिस जांच कर रही है.
Global Cancer Observatory के मुताबिक, वर्ष 2020 में दुनिया में कैंसर के 1 करोड़ 93 लाख केस सामने आए थे. इनमें चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर था. 2020 में भारत में कैंसर के 13 लाख 90 हजार मरीज थे, जो 2021 में बढ़कर 14.20 लाख हो गए. वर्ष 2022 में कैंसर के केस में और बढ़ोतरी हुई और 14 लाख 60 हजार पर पहुंचग गए. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2025 तक कैंसर के मरीज 12 फीसदी की दर से बढ़ते हुए 15 लाख 70 हजार होने का अनुमान है.
फरवरी 2024 में संसद में केंद्र सरकार ने बताया था कि देश में 2023 में सर्वाइकल कैंसर के 3 लाख 40 हजार केस सामने आए थे. कैंसर के केस दुनिया में बढ़ रहे हैं, भारत भी इससे अछूता नहीं है. कैंसर का महंगा इलाज सबसे बड़ी समस्या है. समय पर कैंसर की पहचान ना हो और इलाज ना मिला तो कई बार मरीज की जान चली जाती है. बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज विदेश से इलाज कराने भारत आते हैं. ऐसे विदेशी लोगों को गिरोह के सदस्य अपना शिकार बनाते थे. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को जब इसकी जानकारी हुई, तो गिरोह के चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की.
Delhi Police ने इन जगहों पर मारा छापा
- दिल्ली के मोतीनगर में DLF Capitol Hills
- गुरुग्राम की साउथ सिटी
- दिल्ली के यमुना विहार स्थित एक घर और एक नामी कैंसर अस्पताल.
चार जगह छापेमारी से क्राइम ब्रांच को कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली 9 ब्रांडेड दवाओं की नकली दवा बरामद हुई. मोतीनगर में गिरोह का मुख्य आरोपी विफल जैन नकली दवा बनाने का काम किया करता था, जहां उसने दो फ्लैट किराए पर ले रखे थे. मोतीनगर में छापेमारी से पुलिस को कैंसर की नकली दवाओं से भरी 140 शीशी मिली. जिनकी कीमत 1 करोड़ 75 लाख रुपये बताई जाती है.
एंटी फंगल भरकर 1 लाख रुपये में बेच रहे थे दवा
पुलिस की जांच में पता चला कि Chemotherapy में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन की शीशी में आरोपी 50 से 100 रुपये वाली एंटी फंगल दवा भर दिया करते थे. जिसे डिस्काउंट के साथ 1 से सवा लाख रुपये में बेचते थे. मरीज और उनके परिजनों को लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी पता नहीं होता था कि उन्हें नकली दवा मिली है. कुछ पैसों के लिए किसी मरीज की जिंदगी को खतरे में डालना, हत्या से कम अपराध नहीं है. लेकिन नकली दवा माफियाओं के लिए ये नोट छापने का मौका होता है. उन्हें मरीज की जिंदगी से कोई मतलब नहीं रहता.
दिल्ली-एनसीआर में कैंसर की नकली दवा का काला कारोबार संगठित तौर पर चल रहा था, जिसमें pharmacist से लेकर कैंसर अस्पताल में काम करने वाले कुछ लोग भी शामिल थे. कैंसर की नकली दवाओं को बनाने और सप्लाई करने वाले इस रैकेट पर हमने एक रिपोर्ट तैयार की है. जिससे आपको समझ आएगा कि किस तरह ये गिरोह मरीजों को अपने जाल में फंसाने से लेकर उन्हें नकली दवाएं खरीदने पर मजबूर किया करता था.
Foreigners को बनाते थे शिकार
कैंसर मरीज के लिए कीमोथेरेपी वो पड़ाव है, जिससे उसे जिंदगी की नई उम्मीद जगती है. कीमोथेरेपी में लाखों रुपये कीमत की दवा इस्तेमाल होती है. जिसे इंजेक्शन के जरिए मरीज को दिया जाता है. कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा शीशियों में भरी रहती है. लेकिन इन शीशियों में मौत के सौदागर असली दवा के बजाय नकली दवा भर रहे थे. जो कैंसर मरीज को जिंदगी देने की बजाए मौत के करीब ले जा सकती थीं. कैंसर की इन नकली दवाओं की सप्लाई के लिए गिरोह के लोग मेडिकल टूरिज्म पर भारत आने वाले लोगों को अपना शिकार बनाते थे।
स्पेशल कमिश्नर क्राइम ब्रांच शालिनी सिंह ने बताया कि गिरोह असली दवा की शीशी में 50 से 100 रुपये में मिलने वाली एंटी फंगल दवा भरकर बेच रहे थे. ये काम दिल्ली के मोतीनगर में किराए के दो फ्लैट में चल रहा था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक, कीमोथेरेपी में इस्तेमाल दवा की असली खाली शीशियों की व्यवस्था अभिनय कोहली और कोमल तिवारी करते थे. क्योंकि, दोनों दिल्ली के एक बड़े कैंसर अस्पताल से जुड़े हैं. कोमल तिवारी और अभिनय से खाली शीशियां परवेज नाम का शख्स लेता था, जो इन्हें मुख्य आरोपी विफल जैन को मुहैया कराता था.
विफल जैन नकली दवा गिरोह का मास्टरमाइंड है. विफल और उसका भतीजा सूरज शीशियों में दवा भरने और उनकी पैकिंग का काम करते थे. पहले दिन छापेमारी में क्राइम ब्रांच ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया था. बाद में एक और आरोपी आदित्य बालकृष्णन को बिहार के मुजफ्फरपुर से धर दबोचा गया. पुलिस को पता चला कि पुणे के फार्मासिस्ट भी इस गिरोह का हिस्सा थे. मतलब ये कि कैंसर की नकली दवा सप्लाई करने वाले इस गिरोह का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है.
कैसे करें असली और नकली दवा की पहचान
- दवाएं हमेशा अधिकृत दवा विक्रेता से लें.
- दवा विक्रेता से दवाओं का बिल जरूर लें.
- सीधे किसी व्यक्ति विशेष से दवा ना लें.
- डिस्काउंट पर मिलने वाली दवाओं से बचें.
जब आप दवा खरीदने जायें तो ध्यान दें कि दवा के रैपर पर एक QR Code प्रिंट होता है. नियम के मुताबिक, 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाली सभी दवाओं पर QR Code प्रिंट करना अनिवार्य है, ऐसे में दवा खरीदने के बाद आप क्यूआर कोड स्कैन करें. इससे आपको दवा का सही नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डिटेल और लाइसेंस नंबर जैसी तमाम जानकारियां मिल जाएंगी. इससे आप आसानी से पता लगा सकेंगे कि दवा असली है या नकली.
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