क्या सूरज पर उतर जाएगा भारत का आदित्य L-1 मिशन? समझिए क्या है लैग्रेंज प्वाइंट

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Sep 02, 2023, 01:46 PM IST

Aditya L1 Mission

What is Aditya L1 Mission: इसरो जल्द ही सूरज के लिए अपना मिशन भेजने वाला जा रहा है. इससे जुड़े कई सवाल लोगों के मन में घूम रहे हैं.

डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद भारत उत्साहित है. भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO के वैज्ञानिक इतनी बड़ी सफलता के बाद छुट्टी या आराम के मूड में नहीं हैं. चंद्रयान की सफलता के बाद अब ISRO सूरज पर मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है. अगले ही महीने सूरज के लिए यह मिशन आदित्य L-1 भेजा जाना है. इसके लिए इसरो की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि क्या चंद्रयान की तरह ही सूरज पर भी लैंडिंग की कोशिश होगी? लोग यह भी जानना चाह रहे हैं कि इस मिशन का मकसद क्या है और यह कहां तक जाएगा?

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आइए इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं कि आखिर आदित्य L-1 मिशन क्या है और इसके जरिए इसरो क्या पता लगाने की कोशिश कर रहा है. बता दें कि सूरज का अध्ययन करने के लिए यह मिशन इसरो की ओर से भेजा जा रहा है. इस मिशन के तहत एक स्पेसक्राफ्ट भेजा जा रहा है जो कि एक निश्चित दूरी पर रुका रहेगा और वहां चक्कर लगाते हुए ही सूरज का अध्ययन करता रहेगा.

लैग्रेंज प्वाइंट पर रहेगा सूर्य मिशन?
इसरो पहली बार सूरज के लिए कोई मिशन भेज रहा है. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि जल्द ही लॉन्च का सही समय और तारीख बता दिया जाएगा. बता दें कि इस स्पेसक्राफ्ट को सूरज और धरती के होलो ऑर्बिट सिस्टम में लैंग्रेज प्वाइंट 1 यानी L1 पर स्थापित किया जाएगा. इस प्वाइंट की धरती से दूरी 15 लाख किलोमीटर होगी. सूर्ययान यहीं से सूरज का अध्ययन करता रहेगा. इस स्थान की खासियत यह है कि यहां से सूर्य ग्रहण का भी कोई असर नहीं दिखेगा.

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धरती से लॉन्च किए जाने के बाद आदित्य L-1 मिशन को अपने लैग्रेंज प्वाइंट तक पहुंचने में 125 दिनों तक का समय लग जाएगा. इस मिशन के साथ कुल 7 पेलोड भेजे जाएंगे. ये उपकरण फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूरज की बाहरी परतों का अलग-अलग अध्ययन करेंगे.

लैग्रेंज प्वाइंट होता क्या है?
इस मिशन में सबसे ज्यादा चर्चा में L-1 प्वाइंट ही है. बता दें कि धरती और सूरज के बीच कुल पांच प्वाइंट ऐसे हैं जहां सूरज और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रीफ्यूगल फोर्स बन जाता है. यानी इस जगह पर कोई भी चीज पहुंचती है तो वह दोनों के बीच स्थिर हो जाती है और कम ऊर्जा खर्च होती है. बता दें कि यह प्वाइंट धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है.

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क्या करेंगे ये सात पेलोड?
आदित्य L-1 मिशन के साथ भेजे जा रहे ये सात पेलोड दो कैटगरी में बांटे गए हैं. चार पेलोड रिमोट सेंसिंग वाले हैं और 3 ऐसे हैं जो इन-सीटू प्रोसेस में काम करेंगे. VELC इमेजिंग का काम करेगा, SUIT फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की इमेजिंग करेगा, SoLEXS एक सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है और HEL1OS हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है.

इसके अलावा, ASPEX सोलर विंड, प्रोटान और अन्य आयनों का अध्ययन करेगा, PAPA इलेक्ट्रॉन और अन्य आयनों और उनकी दिशाओं का अध्ययन करेगा और अडवांस ट्राई-एग्जियल हाई रेजॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स इन सीटू मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा.

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