US Elections 2024: वो 7 Swing States कौन से हैं? जो बदल देते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे, समझें पूरा समीकरण

Written By राजा राम | Updated: Oct 25, 2024, 04:15 PM IST

अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. दोनों पार्टियां चुनावी प्रचार में ज़ोर-शोर से लगी हुई हैं. लेकिन इस बार भी लोगों की निगाहें उन 7 स्विंग स्टेट्स पर टिकी हुई हैं, जो यह फैसला करेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में से कौन व्हाइट हाउस जाएगा.

US Elections 2024: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में महज कुछ दिन ही बचे हैं. 5 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए देश भर में एडवांस वोटिंग की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 20 करोड़ से भी ज्यादा लोग मतदान करने वाले हैं, जिसके बाद ये तय होगा कि अगले चार साल तक व्हाइट हाउस से अमेरिका का सत्ता कौन संभालेगा. अमूमन हर देश में कुछ ऐसे राज्य होते हैं जहां की जनता उस देश के चुनावी परिणाम को बदलने में सक्षम होती है.  उदाहरण के तौर पर, भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. उसी तरह अमेरिका में भी सात ऐसे राज्य हैं जो वहां के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को बदलने की क्षमता रखते हैं. आमतौर पर इन्हें स्विंग स्टेट्स (Swing State) के नाम से भी जाना जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ये स्विंग स्टेट्स, जिनमें एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना, पेनसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन शामिल हैं, यहां के मतदाताओं की विविधताएं और जनसांख्यिकी भी उम्मीदवारों की रणनीतियों को आकार देती हैं. इस चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच की कड़ी टक्कर में इन स्विंग स्टेट्स का महत्व और भी बढ़ गया है.

स्विंग स्टेट्स की विशेषताएं
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली में स्विंग स्टेट्स का विशेष महत्व है. ये ऐसे राज्य हैं जहां किसी भी पार्टी का स्पष्ट वर्चस्व नहीं होता. चुनावी प्रक्रिया के दौरान, उम्मीदवार इन राज्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हैं, क्योंकि ये चुनाव परिणामों को पलट सकते हैं. जबकि कई 'सेफ स्टेट्स' आमतौर पर एक ही पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करते हैं. स्विंग स्टेट्स में मतदाता कभी भी अपनी पसंद बदल सकते हैं. यही कारण है कि यहां उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रचार में एक बहुत बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है.

इलेक्टोरल कॉलेज और स्विंग स्टेट्स
अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के माध्यम से किया जाता है, जो इस प्रक्रिया को ज्यादा मुश्किल बनाता है. अमेरिका में राष्ट्रपति पद जीतने के लिए एक उम्मीदवार को 538 में से 270 इलेक्टोरल वोट्स की जरूरत होती है. स्विंग स्टेट्स की राजनीति न केवल राष्ट्रपति चुनावों में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विभिन्न मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करती है. ये राज्य आमतौर पर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमियों के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. यही कारण है कि उम्मीदवार अक्सर अपनी नीतियों को इन राज्यों के लोगों के मुद्दों और चिंताओं के अनुसार तैयार करते हैं.

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चलिये आपको इन सातों स्विंग स्टेट्स के बारे में बताते हैं. पिछले कुछ अमेरिकी चुनावों में इन स्विंग स्टेट्स ने कितनी अहम भूमिका निभाई है?

  • पेनसिल्वेनिया: 19 इलेक्टोरल वोट के साथ पेनसिल्वेनिया सबसे बड़ा स्विंग स्टेट है. आपको बता दें इस राज्य का ऐतिहासिक महत्व भी है, क्योंकि इसी राज्य में अमेरिका का संविधान तैयार किया गया था. वैसे तो इस राज्य को डेमोक्रेट का गढ़ माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ समय में रिपब्लिकन ने भी अपना दबदबा बनाया है. 1992 से 2012 तक लगातार डेमोक्रेट्स ने यहां अपना वर्चस्व कायम रखा. लेकिन 2016 में ट्रंप ने यहां जीत हासिल की. हालांकि, 2020 में बाइडन ने एक बार फिर अपनी पार्टी को इस राज्य में वापसी कराई जिससे इसकी महत्व और बढ़ गई है.
  • जॉर्जिया: 16 इलेक्टोरल वोट्स के साथ जॉर्जिया को दूसरा बड़ा स्विंग स्टेट माना जाता है. यह राज्य हाल ही में स्विंग स्टेट्स की सूची में शामिल हुआ है.  2020 में जो बाइडेन ने इस राज्य में जीत हासिल की, जो पहले एक भरोसेमंद रिपब्लिकन गढ़ था. यहां की लगभग 33% आबादी अफ्रीकी-अमेरिकियों की है, जो चुनावी नतीजों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है.
  • मिशिगन: मिशिगन में 15 इलेक्टोरल वोट्स हैं और यह दोनों पार्टियों के लिए एक चुनौतीपूर्ण राज्य है. यहां की जनसंख्या का मिजाज अक्सर चुनावी नतीजों को प्रभावित करता है. 2020 में बाइडन ने इस राज्य में वापसी की, लेकिन हालिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि अब यहां ट्रंप को भी समर्थन मिल रहा है.
  • नेवादा: नेवादा में 6 इलेक्टोरल वोट हैं और यहां इमिग्रेशन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. यह राज्य आर्थिक रूप से बाइडन के कार्यकाल में बेहतर हुआ है, लेकिन यहां बेरोजगारी की समस्या भी बनी हुई है. 2020 में बाइडन ने यहां से जीत हासिल की थी.

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  • नॉर्थ कैरोलाइना: 16 इलेक्टोरल वोट्स के साथ, नॉर्थ कैरोलाइना हाल के वर्षों में स्विंग स्टेट बन गया है. यहां के जनसांख्यिकी में परिवर्तन ने चुनावी दंगल को और रोचक बना दिया है. चुनावी पंडितों की माने तो यहां के ग्रामीण वोटर्स रिपब्लिकन को और शहरी वोटर्स डेमोक्रेट्स को वोट देते हैं.
  • एरिज़ोना: 11 इलेक्टोरल वोट्स के साथ, एरिज़ोना एक ऐसा राज्य है जो हाल के वर्षों में डेमोक्रेट की ओर झुकाव दिखा रहा है. यहां की 52.9% जनसंख्या श्वेत है, और हिस्पैनिक आबादी 32.5% है.
  • विस्कॉन्सिन: 10 इलेक्टोरल वोट्स के साथ, विस्कॉन्सिन भी एक स्विंग स्टेट्स माना जाता है. विस्कॉन्सिन में श्वेत आबादी का वोटिंग में हिस्सा अन्य किसी भी स्विंग राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा है. इस राज्य ने 2016 और 2020 में विजेता राष्ट्रपति उम्मीदवार को 25,000 वोटों से भी कम के अंतर से चुना, जो दर्शाता है कि स्विंग राज्य में हर वोट का क्या महत्व होता है. 2020 में बाइडन ने इस राज्य से जीत अपने नाम किया था.

चुनाव प्रचार की रणनीतियां
स्विंग स्टेट्स में चुनाव प्रचार का खर्चा बहुत ज्यादा होता है, जिसमें रैलियां, दौरे, और विज्ञापन अभियान शामिल होते हैं.  इन राज्यों में चुनावी प्रचार का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को प्रभावित करना और उन्हें अपने पक्ष में लाना होता है. डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही पार्टियों के लिए इन राज्यों में जीत हासिल करना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है. अमेरिकी चुनाव को समझने वाले एक्सपेर्स्ट बताते हैं की जो बाइडन के चुनाव न लड़ने का फैसला भी इस बार स्विंग स्टेट्स के गणित को बदल सकते हैं.


2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में स्विंग स्टेट्स की भूमिका न केवल चुनावी नतीजों को प्रभावित करेगी, बल्कि यह भी तय करेगी कि कौन सा उम्मीदवार व्हाइट हाउस में प्रवेश करेगा. यह चुनाव विभिन्न जनसांख्यिकीय बदलावों और राजनीतिक घटनाक्रमों का एक आदर्श उदाहरण है. बहरहाल, दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति माने जाने वाली अमेरिका में 5 अक्टूबर को चुनाव हिने हैं जिसके बाद ये फैसला होगा की अगला राष्ट्रपति कौन होगा.

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